पश्चिम बंगाल में हुए पंचायत चुनाव हिंसा की घटनाओं को लेकर चर्चा में रहा. पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव अब अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच गया है. नतीजों की घड़ी आ गई है. पंचायत चुनाव के लिए आज वोटों की गिनती हो रही है. वोटों की गिनती से पहले भी दिनहाटा में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता मतगणना केंद्र पर ही भिड़ गए.
पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा के बाद पुलिस-प्रशासन सतर्क है. मतगणना केंद्रों पर सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए गए हैं. वोटों की गिनती सुबह 8 बजे से शुरू होनी थी लेकिन टीएमसी और बीजेपी, दोनों ही दलों के नेता-कार्यकर्ता रात से ही मतगणना केंद्रों पर पहुंच गए. 2024 के लोकसभा चुनाव में अब कुछ ही महीने का समय बचा है.
पश्चिम बंगाल के गांवों में सियासी बयार किस ओर बह रही है, ये जानने के लिहाज से पंचायत चुनाव के नतीजे अहम माने जा रहे हैं. पंचायत चुनाव के नतीजों से तस्वीर एक हद तक साफ हो जाएगी कि टीएमसी, बीजेपी और कांग्रेस-लेफ्ट में से कौन कहां खड़ा है? यही वजह है कि हर दल ने पंचायत चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी.
चुनावी हिंसा में गई तीन दर्जन से अधिक की जान
पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा की कई घटनाएं हुईं. सूबे में चुनावी हिंसा में तीन दर्जन से अधिक मौतें हुई हैं. इनमें करीब दर्जनभर टीएमसी कार्यकर्ता बताए जाते हैं. बीजेपी के तीन, कांग्रेस के तीन और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के दो कार्यकर्ताओं की मौत हुई है. राजधानी कोलकाता के करीब स्थित उत्तर 24 परगना और दक्षिण 24 परगना, नादिया, पूर्वी बर्दवान और मुर्शिदाबाद जिले में हिंसा की घटनाएं हुईं. उत्तर बंगाल के कूचबिहार और मालदा जिले में भी हिंसक घटनाएं हुईं.
हिंसा पर कोलकाता से दिल्ली तक हलचल
चुनावी हिंसा पर कोलकाता से लेकर दिल्ली तक हलचल है. सूबे के राज्यपाल सीवी आनंद बोस दिल्ली पहुंचे और सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. कहा जा रहा है कि राज्यपाल पंचायत चुनाव के दौरान हुई हिंसा को लेकर गृह मंत्री को रिपोर्ट सौंप सकते हैं. दूसरी तरफ, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पंचायत चुनाव में हिंसा की जांच के लिए पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है जो इसकी जांच कर पार्टी अध्यक्ष को रिपोर्ट सौंपेगी.
टीएमसी ने केंद्रीय बलों पर उठाए सवाल, आया जवाब
पश्चिम बंगाल चुनाव में हिंसा की घटनाओं के बाद टीएमसी ने केंद्रीय बलों पर सवाल उठाए. टीएमसी ने सवाल किया कि केंद्रीय बल कहां थे? इसके बाद गृह मंत्रालय ने जवाब में कहा कि जहां केंद्रीय बलों की तैनाती थी, वहां हिंसा की घटनाएं नहीं हुई हैं. केंद्रीय बलों को संवेदनशील बूथ पर तैनात किया जाना था और इसके निर्धारण की जिम्मेदारी जिलाधिकारियों की थी. जिलाधिकारियों ने जहां भेजा, सुरक्षाबलों के जवानों ने वहां जाकर व्यवस्था संभाली.
चुनाव आयोग ने मांगी थीं 825 कंपनियां, पहुंचीं 649
पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के लए राज्य चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार से सीएपीएफ की 825 कंपनियां तैनात करने की मांग की थी. इनमें से 649 कंपनियां चुनाव के लिए पहुंचीं. बाकी कंपनियां चुनाव संपन्न हो जाने के बाद भी अभी पहुंच रही हैं. गृह मंत्रालय ने इस देरी के लिए राज्य चुनाव आयोग का सहयोग नहीं मिलने को कारण बताया है. सीएपीएफ के कोऑर्डिनेटर ने इसे लेकर राज्य चुनाव आयुक्त को पत्र भी लिखा है और कहा है कि बल को संवेदनशील इलाकों, बूथ की सूची नहीं दी गई.
74 हजार से अधिक पंचायतों के लिए हुई है वोटिंग
पश्चिम बंगाल की 74 हजार से अधिक पंचायतों के लिए वोटिंग हुई है. वोटिंग के दौरान कई पोलिंग बूथ पर बैलेट पेपर लूट लिए जाने, आग लगा देने या तालाब में फेंक देने की घटनाएं हुईं. चुनावी हिंसा के बाद सूबे के 19 जिलों के 697 पोलिंग बूथ पर पुनर्मतदान कराना पड़ा. बीजेपी की ओर से सूबे में दोबारा पंचायत चुनाव कराने की मांग की थी.