पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया है. 5 सदस्यीय बेंच ने चुनाव के बाद हुई हिंसा के पीड़ितों के सभी केस दर्ज करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही राज्य सरकार को सभी पीड़ितों के लिए चिकित्सा उपचार सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है.
कलकत्ता हाई कोर्ट ने ममता सरकार को निर्देश दिया गया है कि प्रभावितों के पास राशन कार्ड न होने पर भी उनके लिए राशन सुनिश्चित किया जाए. इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता अभिजीत सरकार का फिर से पोस्टमार्टम कराने का आदेश दिया गया है. यह पोस्टमार्टम कमांड अस्पताल कोलकाता में होगा.
कलकत्ता हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के सदस्यों पर हुए हमले पर भी सख्त रवैया अपनाया है. कोर्ट ने जादवपुर के जिला अधिकारी और पुलिस अधीक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी करते पूछा कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाए?
इसके साथ ही कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को चुनाव के बाद हुई हिंसा से संबंधित सभी दस्तावेजों को सुरक्षित रखने के निर्देश दिए. हाई कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने एनएचआरसी द्वारा प्रस्तुत अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर निर्देश दिए.
कार्यवाहक चीफ जस्टिस राजेश बिंदल ने एजी से पूछा कि आपको किसने बताया कि राज्य से मांगी गई सभी जानकारी प्रदान की गई है, कृपया हमें बताएं कि यह किसने कहा ताकि हम बाद में उसे जवाबदेह ठहरा सकें. एजी ने कहा कि एडीजी लॉ एंड ऑर्डर जावेद शमीम ने बताया है कि एनएचआरसी को सभी जानकारी और डेटा दे दिया गया है.
गौरतलब है कि चुनाव बाद हुई हिंसा की जांच करने के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट ने एनएचआरसी को एक समिति बनाने का निर्देश दिया था. इसी आधार पर एनएचआरसी ने एक समिति बनाई, जो बंगाल के अलग-अलग हिस्सों में गई थी. जादवपुर में इसी समिति पर हमला हुआ था. हाई कोर्ट ने इसी समिति की रिपोर्ट के आधार पर सख्त आदेश दिए हैं.