ममता बनर्जी ने आखिरकार पार्थ चटर्जी को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. साथ ही उनको सभी पदों से हटाते हुए TMC से फिलहाल सस्पेंड कर दिया गया है. विपक्ष के साथ-साथ टीएमसी के अंदर भी ऐसी मांग उठ रही थी जिसके बाद सीएम ममता को पार्थ के खिलाफ सख्त रुख अपनाना पड़ा, जिनको वह अपना 'बड़ा भाई' कहती थीं.
बंगाल के लोग खासकर TMC कार्यकर्ता जानते हैं कि पार्टी में पार्थ चटर्जी का कद कितना बड़ा था. वह TMC पार्टी बनने के तुरंत बाद उसमें शामिल हो गये थे और तब से लेकर अबतक ममता के साथ थे. शायद इसी वजह से मलाईदार मंत्रालयों की जिम्मेदारी पार्थ को मिलती रही. ममता पार्थ से दो साल छोटी हैं. इसलिए वह 70 साल के पार्थ को दा (बड़ा भाई) कहकर भी संबोधित करती थीं.
पार्थ फिलहाल ममता सरकार में उद्योग मंत्री थे. संसदीय कार्य विभाग का प्रभार भी उनके पास था. लेकिन अब घोटाले में नाम आने के बाद उनको इन जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया है. पार्थ के पोर्टफोलियो की बात करें तो वह साल 2014 से 2021 तक बंगाल के शिक्षा मंत्री रहे थे. पार्थ चटर्जी पश्चिम बंगाल तृणमूल कांग्रस के महासचिव भी हैं.
1998 में TMC में हुए शामिल, 2001 में बने विधायक
साल 1998 में जब टीएमसी बनी तो पार्थ ने एचआर मैनेजर की नौकरी छोड़ दी और पार्टी में शामिल हो गए. तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर वह साल 2001 में पहली बार विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए थे. तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
पाथ चटर्जी साल 2001 के बाद 2006, 2011, 2016 और 2021 में भी पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए चुने गए. पार्थ चटर्जी टीएमसी के उन चुनिंदा नेताओं में गिने जाते हैं, जिन पर मुख्यमंत्री और टीएमसी की प्रमुख ममता बनर्जी अधिक भरोसा करती थीं जो शायद अब नहीं रहा होगा.
विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे हैं पार्थ तृणमूल कांग्रेस साल 2011 के विधानसभा चुनाव में वाम दलों का किला ध्वस्त कर सत्ता में आई थी. पार्थ चटर्जी पर ममता बनर्जी के भरोसे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि टीएमसी के सत्ता में आने से पहले पार्थ चटर्जी विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे हैं.
पार्थ चटर्जी विधायक के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान साल 2006 से 2011 तक विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे थे. ममता की सरकार में पार्थ को वाणिज्य और उद्योग, सार्वजनिक उद्यम, सूचना प्रौद्योगिकी के साथ संसदीय मामले विभाग का मंत्री बनाया गया था.
ममता सरकार 2.0 में रहे शिक्षा मंत्री मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में साल 2016 का विधानसभा चुनाव जीतकर जब तृणमूल कांग्रेस ने लगातार दूसरी बार सरकार बनाई, पार्थ चटर्जी को भी मंत्री बनाया गया. पार्थ चटर्जी को उच्च शिक्षा और स्कूल शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी दी गई थी.
पार्थ चटर्जी के शिक्षा मंत्री रहते ही पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन के जरिये भर्ती हुई थी जिसमें अनियमितता के आरोप की जांच केंद्रीय एजेंसियां कर रही हैं.
कलकत्ता यूनिवर्सिटी से की थी MBA की पढ़ाई
राजनीति में आने से पहले पार्थ एक कंपनी में मैनेजर थे. 6 अक्टूबर 1952 को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में जन्में पार्थ चटर्जी ने नरेंद्रपुर के रामकृष्ण मिशन स्कूल से शुरुआती शिक्षा ली थी. पार्थ चटर्जी ने आशुतोष कॉलेज से अर्थशास्त्र की पढ़ाई करने के बाद कलकत्ता यूनिवर्सिटी से MBA किया. कलकत्ता यूनिवर्सिटी से MBA करने के बाद उन्होंने एक कंपनी में एचआर मैनेजर के तौर पर नौकरी भी की थी.