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पश्चिम बंगाल में ठाकुरबाड़ी मंदिर में एंट्री को लेकर विवाद, मतुआ समुदाय के विरोध पर बीजेपी पर भड़के अभिषेक बनर्जी

पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना में रविवार को ठाकुरबाड़ी मंदिर के बाहर हंगामा हो गया है. यहां बीजेपी नेताओं और स्थानीय लोगों ने टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी के दौरे का विरोध किया है. अभिषेक ने कहा, उन्हें मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया गया है. उन्होंने कहा, टीएमसी कार्यकर्ताओं पर केंद्रीय सुरक्षा बलों ने हमला किया है.

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टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी और बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी.
टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी और बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी.

पश्चिम बंगाल में उत्तर 24 परगना के ठाकुरनगर में ठाकुरबाड़ी मंदिर को विवाद थमा नहीं है. इसे लेकर सियासत तेज हो गई है. एक दिन पहले यहां जमकर बवाल और हंगामा हुआ था. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के महासचिव अभिषेक बनर्जी रविवार को ठाकुरबाड़ी मंदिर पहुंचे थे, जिसके बाद माहौल गरमा गया था और कथित हंगामे को लेकर एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगे.

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टीएमसी सांसद बनर्जी ने भाजपा कार्यकर्ताओं पर मंदिर में प्रवेश करने से रोकने का आरोप लगाया. वहीं, अधिकारी ने बनर्जी पर बिना अनुमति के प्रवेश पाने की कोशिश करने का आरोप लगाया. अभिषेक बनर्जी ने इस मामले में एक बयान जारी किया और शांतनु ठाकुर समेत भाजपा कार्यकर्ताओं पर मंदिर को 'अपवित्र' करने का आरोप लगाया.

'बीजेपी ने मंदिर को अपवित्र किया है...'

उन्होंने कहा, सुबह से करीब 200-250 बीजेपी कार्यकर्ता मंदिर के बाहर पहुंच और मुझे अंदर प्रवेश करने से रोकने में जुटे हुए हैं. यह पवित्र भूमि किसी की संपत्ति नहीं है, बल्कि एक मंदिर है, जो जाति, पंथ या धर्म के बावजूद सभी के लिए खुला है. शांतनु ठाकुर और अन्य भाजपा कार्यकर्ताओं ने अपनी गतिविधियों से ठाकुरबाड़ी मंदिर को अपवित्र किया है. लोग निकट भविष्य में इसका मुंहतोड़ जवाब देंगे.

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'पावर के बल पर अंदर जाने की कोशिश की'

टीएमसी सांसद पर पलटवार करते हुए शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि बनर्जी ने 'शक्ति के आधार पर' मंदिर में प्रवेश करने का प्रयास किया. अधिकारी ने कहा, यह एक खतरनाक कदम है. उन्होंने अपने पावर के बल पर अंदर जाने का प्रयास किया. ये बात ठीक नहीं है. सांसद होने के नाते उन्हें पहले ठाकुरबाड़ी से अनुमति लेनी चाहिए थी और पत्र भेजना चाहिए था. बिना झंडे के जाना चाहिए था, जैसा कि ठाकुरबाड़ी में प्रथा है. समुदाय को सलाम है कि उन्होंने इसका खुलकर विरोध किया.

मतुआ मठ पहुंचे अभिषेक बनर्जी को दिखाए गए काले झंडे, ठाकुरनगर में तनाव

क्या है पूरा मामला

बता दें कि रविवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता अभिषेक बनर्जी के समर्थकों और केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर के समर्थकों और मतुआ महासंघ के सदस्यों के बीच जमकर बवाल देखने को मिला. ठाकुरनगर शांतनु ठाकुर का लोकसभा क्षेत्र है. रविवार को टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी ने रविवार को ठाकुरनगर का दौरा किया है. बनर्जी के दौरे से पहले ठाकुर के समर्थकों और मतुआ महासंघ के नेताओं ने काले झंडे लहराए और बनर्जी को 'वापस जाओ' के नारे लगाए. मतुआ महासंघ के नेताओं ने ठाकुरबारी मंदिर को भी बंद कर दिया, जहां बनर्जी को जाना था.

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टीएमसी नेता ने कहा कि शांतनु ठाकुर और बीजेपी विधायक उनके भाई सुब्रत की सुरक्षा करने वाले केंद्रीय सुरक्षाकर्मियों ने महिला टीएमसी कार्यकर्ताओं पर हमला किया और उन्हें परेशान किया. अभिषेक बनर्जी ने कहा, ठाकुरबाड़ी किसी की निजी संपत्ति नहीं है. मतुआ धाम सभी के लिए है. कोई भी पूजा करने आ सकता है. शांतनु ठाकुर और उनके गुंडे हरिचंद ठाकुर के कामों पर काला धब्बा लगा रहे हैं.

 

उन्होंने कहा, मैं यहां प्रार्थना करने आया था और केंद्रीय बलों ने हमारी महिला समर्थकों को पीटा. भविष्य में धर्म के साथ राजनीति करने वालों को जनता जवाब देगी. उन्होंने आगे कहा कि वह प्रार्थना करने आए हैं, न कि राजनीति करने. कैमरे के सामने रिश्वत लेने वाले लोग पवित्र होते हैं और वे यहां आ सकते हैं, जबकि मुझे यहां मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है.

उधर, बंगाल में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी समेत बीजेपी नेताओं ने ट्वीट कर कहा कि टीएमसी कार्यकर्ताओं ने मतुआ महासंघ के सदस्यों पर हमला किया.

अधिकारी ने ट्वीट किया, टीएमसी के गुंडों ने पुलिस के सामने मतुआ समुदाय के पवित्र श्री ठाकुरबाड़ी धाम मंदिर पर हमला किया. मैं केंद्रीय गृह मंत्री से अनुरोध करता हूं कि कृपया तत्काल हस्तक्षेप करें और अखिल भारतीय मतुआ महासंघ के सदस्यों और पदाधिकारियों और मतुआ समुदाय के सदस्यों को सुरक्षा प्रदान करें.

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मतुआ समुदाय का गढ़ है ठाकुरनगर

बताते चलें कि उत्तरी 24 परगना जिले में ठाकुरनगर को मतुआ समुदाय के गढ़ माना जाता है. मतुआ समुदाय अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखता है, जो मूल रूप से पड़ोसी बांग्लादेश से है. बंगाल में कई लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों में इस समुदाय की बड़ी संख्या में वोटर्स हैं. ठाकुरनगर उनका पारंपरिक आधार और गढ़ माना जाता है. यह कस्बा बांग्लादेश की सीमा से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

CAA को जल्द लागू कराना चाहता है मतुआ समुदाय

मतुआ समुदाय की लंबे समय से नागरिकता को लेकर मांग की जा रही है. नागरिकता प्राप्त करना इस शरणार्थी समुदाय की लंबे समय से चली आ रही मांगों में से एक है. फिर से उनका समर्थन पाने के लिए बीजेपी ने पिछले साल पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के अपने घोषणापत्र में राज्य में सत्ता में आने पर पहली कैबिनेट में सीएए को लागू करने का वादा किया था. दरअसल, ठाकुरनगर के लोग चाहते हैं कि नागरिकता कानून (सीएए) बहुत जल्दी लागू हो जाए. इस कानून के लागू होने से बांग्लादेश से सालों पहले आकर बसे हिंदू शरणार्थी को बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है. जिनके पास जमीन की कोई स्थायी पट्टा भी नहीं है, उन्हें भारत की नागरिकता मिल जाएगी.

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