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जंतर-मंतर पर बैठे पहलवानों को मिला किसानों का साथ, 2 मई को राकेश टिकैत भी धरने में होंगे शामिल

जंतर-मंतर पर जारी पहलवानों के धरने को रविवार को आठ दिन हो गए. इस दौरान पहलवानों ने एक बार फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा- पीएम मोदी हमारे मन की बात भी सुनें. वहीं दूसरी ओर पहलवानों को किसानों का भी समर्थन मिला है. संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि संगठन ने खिलाड़ियों से मुलाकात कर इसका ऐलान किया है.

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पहलवानों के धरने को मिला किसानों का साथ
पहलवानों के धरने को मिला किसानों का साथ

पहलवानों और WFI के बीच जारी 'कुश्ती' में अब पहलवानों को किसानों का भी साथ मिल गया है. दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहलवान धरने पर बैठे हैं और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं. रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा का एक प्रतिनिधिमंडल धरना स्थल पहुंचा और कहा कि मोर्चा पहलवानों के साथ है और उन्होंने भी इस दौरान WFI अध्यक्ष की गिरफ्तारी की मांग दोहराई. रविवार को पहलवानों के धरने को आठ दिन पूरे हो चुके हैं. इस दौरान उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि प्रधानमंत्री हमारे मन की बात भी सुनें.

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किसान अपने आंदोलन को देने वाले हैं धार
बता दें कि, किसान एक बार फिर अपने आंदोलन को धार देने वाले हैं. कृषि कानूनों के खिलाफ शुरू हुए कृषि आंदोलनों को भले ही खत्म हो गए एक अरसा बीत गया है लेकिन किसानों के संगठन अभी भी सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते. सरकार को उसके वायदों की याद दिलाते हुए कृषि संगठनों ने फैसला लिया है कि मई महीने में देश के हर राज्य में फिर से किसानों द्वारा आक्रामक आंदोलन किया जाएगा. यह फैसला रविवार को दिल्ली में संयुक्त किसान मोर्चा की राष्ट्रीय बैठक में लिया गया जिसमें किसान संगठनों के 200 से अधिक किसान नेता शामिल थे. 

26 मई से 31 मई तक होगा किसानों का प्रदर्शन
संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले जमा हुए किसान संगठनों ने यह फैसला लिया है कि एमएसपी को कानूनी दर्जा, कर्ज मुक्ति, किसान और खेतजदुर पेंशन और लखीमपुर खीरी हिंसा के मामले में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा की गिरफ्तारी समेत किसानों पर हुए मुकदमों की वापसी और किसान आंदोलन के दौरान मृत हुए किसान परिवारों को मुआवजा के मुद्दे पर 26 मई से लेकर 31 मई तक देश के सभी राज्यों में धरना प्रदर्शन होगा. ‌

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संयुक्त किसान मोर्चा का ऐलान, हम पहलवानों के साथ
इसी बीच संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन कर रहे पहलवानों की मांग का भी समर्थन किया है. किसान संगठनों ने भाजपा सांसद बृजभूषण शरण की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है तो वही मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को भी किसान संगठनों ने अपना समर्थन दिया है.

पहलवानों के धरने को हुए 8 दिन
दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहलवानों का धरना रविवार को आठवें दिन भी जारी रहा. इस प्रदर्शन के दौरान पहलवानों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने लिए इंसाफ की मांग उठाई है. विरोध प्रदर्शन में बजरंग पुनिया ने कहा, जब तक इंसाफ नहीं होगा, हमारी लड़ाई जारी रहेगी. बजरंग पुनिया ने कहा वो (फेडरेशन) इस आंदोलन को दूसरा रूप देना चाहते हैं. हमें कोर्ट पर पूरा भरोसा है. पहलवानों ने स्पष्ट किया, हम कोई कब्जा नहीं चाह रहे हैं, साथ ही परिवारवाद के मुद्दे पर कहा- सारा परिवारवाद वहीं हो रहा है और आरोप हम पर लगा रहे हैं. उन्होंने कहा, किसी खिलाड़ी का क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है, बल्कि बृजभूषण का क्रिमनल रिकॉर्ड है.

प्रेस वार्ता में, विनेश फोगाट ने कहा, कानूनी प्रक्रिया पर हम कुछ नहीं कहेंगे? कई राज्यों से खिलाड़ी समर्थन कर रहे हैं. इसके अलावा विनेश फोगाट ने कहा कि प्रधानमंत्री हमारे मन की बात भी सुनें. करोड़ों लोग हमारे समर्थन में बैठे हैं, यही हमारी ताकत हैं. उन्होंने कहा कि हमें नॉलेज नहीं कि कितने सांसद और विधायक हैं.

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पहलवानों के विरोध पर ये बोले बृजभूषण
वहीं दूसरी ओर, भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि वह खिलाड़ियों की कृपा से नहीं, बल्कि जनता के दम पर सांसद बने हैं और आगे भी बने रहेंगे. पहलवानों को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को जो भरोसा दिया था, उसके हिसाब से तो कुश्ती खिलाड़ियों को अपने घर चले जाना चाहिए. बृजभूषण ने आगे कहा कि तीन महीने पहले तक पहलवान एफआईआर के लिए क्यों नहीं गए? केस दर्ज करने की बात सुप्रीम कोर्ट ने नहीं, बल्कि सरकार ने कही है. लोगों को पुलिस की रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए, जिसमें सब साफ हो जाएगा. 

वहीं इसके पहले, बृजभूषण सिंह ने आरोप लगाया था कि यह लड़ाई अब खिलाड़ियों के हाथों से निकल चुकी है और राजनीतिक पार्टियों का इसमें प्रवेश हो चुका है. सिंह ने कहा इसका अंदाजा पहले दिन से ही होने लगा था. उन्होंने दीपेंद्र हुड्डा को इस कहानी का कथाकार बताया और प्रियंका गांधी को गोंडा या कैसरगंज से चुनाव लड़ने की चुनौती दी.

18 जनवरी को पहलवानों ने लगाए थे आरोप
 बता दें कि, 18 जनवरी 2023 को कुश्ती महासंघ और पहलवानों का ये विवाद सामने आया था. जंतर-मंतर पर विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक समेत कई दिग्गज पहलवान इकट्ठा हुए थे. उस दिन भी शाम 4 बजे कुश्ती खिलाड़ियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे. ब्रजभूषण सिंह के खिलाफ पहलवानों ने प्रमुख तौर पर पांच आरोप लगाए हैं. 
1. यौन शोषण 
2. तानाशाही-मनमानी 
3. अपशब्दों का प्रयोग 
4. मानसिक प्रताड़ना 
5. आवाज उठाने पर धमकाने का आरोप 

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सुप्रीम कोर्ट में गया मामला, तब दर्ज हुई FIR
इसके बाद पहलवानों के इन आरोपों की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था. बीते एक हफ्ते पहले पहलवान एक बार फिर जंतर-मंतर पर इकट्ठा हुए और उन्होंने अपनी शिकायतों और आरोपों को दोहराया और बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण के भी आरोप लगाए. कनॉट प्लेस थाने में जब मामले को दर्ज नहीं किया गया तो पहलवान सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और फिर छह दिन बाद मामले में FIR दर्ज हुई थी.

आरोपों की कहानी, पहलवानों की जुबानी 
विनेश फोगाट ने महिला पहलवानों के साथ यौन शोषण किए जाने का मुद्दा उठाया था. उनका कहना है कि 'मैं खुद यौन उत्पीड़न के 10-20 केसों के बारे में जानती हूं. उन्होंने कोच और रेफरी पर भी आरोप लगाए.' फोगाट ने आगे कहा- 'जब हाई कोर्ट हमें निर्देश देगा तब हम सभी सबूत पेश करेंगे. हम पीएम को भी सभी सबूत सौंपने को तैयार हैं. 

सिर्फ लखनऊ में कैंप, तानाशाही का आरोप: कई कुश्ती खिलाड़ियों का आरोप है कि भारतीय कुश्ती संघ की तानाशाही के आगे उन्हें अपमानित होना पड़ता है, जबकि वह विदेशों तक भारत का परचम लहराते हैं. एक आरोप यह भी है कि 'जबसे अध्यक्ष जी हैं, लखनऊ में ही कैंप क्यों लगता है.' 

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आरोप, गाली देते हैं बृजभूषण सिंह: पहलवानों का आरोप था कि रेसलर फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह ने अपशब्दों का प्रयोग किया था और खिलाड़ियों को गाली भी दी गई थी. वो विशेष रूप से खिलाड़ी और राज्य को टारगेट कर रहे हैं. 

मानसिक प्रताड़ना का शिकार हुए खिलाड़ी: विनेश फोगाट ने कहा है कि घायल होने पर कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है. नेशनल ना खेलने की बात करते हैं. उन्होंने रोते हुए कहा था कि 'अध्यक्ष ने मुझे खोटा सिक्का बोला था.' फेडरेशन ने मुझे मेंटली टॉर्चर किया. मैं इसके बाद सुसाइड करने की सोच रही थी. बजरंग पूनिया ने कहा था कि महासंघ द्वारा हमें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है. फेडरेशन द्वारा एक दिन पहले ही नियम बना लिए जाते हैं. सारी भूमिका प्रेसिडेंट निभा रहे हैं. प्रेसिडेंट हमसे गाली-गलौज करते हैं. प्लेयर्स को थप्पड़ मार दिया था. 

आरोप, शिकायत करने पर खिलाड़ियों को धमकाया गया: विनेश फोगाट ने यह भी कहा था कि 'वे (संघ) हमारे निजी जीवन में भी दखल देते हैं और हमें परेशान करते हैं. वे हमारा शोषण कर रहे हैं. जब हम ओलंपिक में गए थे तो हमारे पास फिजियो या कोच नहीं था. जंतर मंतर के पहलवानों का कहना है कि जब से हमने आवाज उठाई है, हमें धमकाया जा रहा है.'
 

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