लैंड फॉर जॉब स्कैम में लालू यादव और उनके परिवार की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं. जांच एजेंसी सीबीआई और ईडी ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है. उधर, दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने लालू यादव, राबड़ी देवी, मीसा भारती समेत 14 आरोपियों को पिछले दिन समन जारी कर 15 मार्च को पेश होने के लिए कहा है. सीबीआई ने इस मामले में पिछले दिनों लैंड फॉर जॉब स्कैम में चार्जशीट दाखिल की थी. इसी पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने सभी आरोपियों को समन जारी किया. सीबीआई की यह चार्जशीट आजतक के हाथ लगी, आईए जानते हैं कि जॉच एजेंसी ने लालू यादव समेत सभी आरोपियों को लेकर क्या क्या दावे किए हैं...
क्या है लैंड फॉर जॉब स्कैम ?
- सीबीआई ने पिछले साल अक्टूबर में इस मामले में चार्जशीट दाखिल की थी. सीबीआई का दावा है कि रेलवे के मानदंडों, दिशानिर्देशों और प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए उम्मीदवारों की अनियमित और अवैध नियुक्तियां की गईं.
- सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक, जिन उम्मीदवारों को नौकरी दी गई, उनके या उनके परिवार के सदस्यों द्वारा तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के परिवार के सदस्यों को बाजार दर से काफी कम कीमत में जमीन बेची गईं. ये राशि बाजार कीमत से 1/4 या 1/5 थी.
- 2007-08 में जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे, तब महुआबाग, कुंजवा में उनका इरादा उन जमीनों को खरीदने का था, जो पहले से उनके परिवार के सदस्यों के स्वामित्व वाली जमीनों के पास थीं.
- ऐसे में लालू यादव अपनी राबड़ी देवी, बेटी मीसा भारती, मध्य रेलवे के अधिकारी तत्कालीन महाप्रबंधक सौम्या राघवन, तत्कालीन मुख्य कार्मिक अधिकारी कमल दीप मैनराई समेत अन्य आरोपियों के साथ मिलकर आपराधिक साजिश में शामिल हुए.
- इन उम्मीदवारों को बाद में नियमित किया गया. रेलवे में नियुक्ति दिलाने के एवज में लालू प्रसाद यादव ने इन उम्मीदवारों और उनके परिवार के सदस्यों के स्वामित्व वाली जमीनों को अपनी पत्नी राबड़ी देवी और बेटी मीसा भारती के नाम पर काफी कम कीमत में खरीदीं.
- इसी मामले में 15 मार्च को लालू यादव, राबड़ी देवी, मीसा भारती समेत मामले में सभी आरोपियों की कोर्ट में पेशी होनी है.
क्या है लैंड फॉर जॉब स्कैम?
लैंड फॉर जॉब स्कैम का यह केस 14 साल पुराना है. उस वक्त लालू यादव रेल मंत्री थे. दावा है कि लालू यादव ने रेल मंत्री रहते हुए रेलवे में लोगों को नौकरी देने के बदले उनकी जमीन लिखवा ली थी. बताते चलें कि लालू यादव 2004 से 2009 तक रेल मंत्री रहे थे. सीबीआई ने इस मामले में 18 मई को केस दर्ज किया था. सीबीआई के मुताबिक, लोगों को पहले रेलवे में ग्रुप डी के पदों पर सब्स्टीट्यूट के तौर पर भर्ती किया गया और जब उनके परिवार ने जमीन का सौदा किया, तब उन्हें रेगुलर कर दिया गया.