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यौन शोषण के आरोप, धरना-प्रदर्शन और मेडल वापसी... पहलवानों Vs बृजभूषण मामले में कब क्या-क्या हुआ?

पहलवानों Vs बृजभूषण शरण सिंह मामले में WFI के निलंबित के बाद नया मोड़ आ गया हूं. कयास लगाए जा रहे हैं कि खेल मंत्रालय ने यह फैसला बजरंग पूनिया के पद्मश्री वापस करने और साक्षी मलिक के कुश्ती त्याग देने के बाद लिया गया है.

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पहलवानों Vs बृजभूषण मामले में कब क्या-क्या हुआ?.
पहलवानों Vs बृजभूषण मामले में कब क्या-क्या हुआ?.

भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष Vs पहलवानों के मामले में नया मोड़ आ गया है. खेल मंत्रालय ने रविवार को नए कुश्ती संघ को निलंबित कर दिया. खेल मंत्रालय ने कुश्ती संघ को रद्द करते हुए संजय सिंह द्वारा लिए गए सभी फैसलों पर रोक लगा दी और अगले आदेश तक किसी भी तरह की गतिविधि पर रोक लगा दी है.

खेल मंत्रालय ने कुश्ती संघ को रद्द करते हुए कहा कि WFI के नवनिर्वाचित कार्यकारी द्वारा लिए गए फैसले पूरी तरह से नियमों के खिलाफ हैं जो नेशनल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट कोड का उल्लंघन करते हैं और इन सभी फैसलों में नए अध्यक्ष की मनमानी दिखाई दे रही है. खेल में निष्पक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही तय करने के लिए नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है.

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WFI को नहीं किया गया बर्खास्त: सूत्र

इस बीच खेल मंत्रालय के सूत्रों ने कहा है कि कुश्ती संघ को बर्खास्त नहीं किया गया है, उन्हें अभी सिर्फ सस्पेंड किया गया है. उन्हें एक स्पोर्ट्स बॉडी के रूप में नियमों के तहत काम करना होगा.

हाल ही में हुआ WFI चुनाव में बृजभूषण शरण सिंह के करीब संजय सिंह की जीत के बाद पहलवानों ने अपना विरोध जताया था और महिला पहलवान साक्षी मलिक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कुश्ती से रिटायरमेंट लेने का एलान कर दिया तो वहीं, पहलवान बजरंग पूनिया ने अपने पद्मश्री पुरस्कार वापस करने का घोषणा कर दी थी. 

साक्षी ने लिया कुश्ती से संन्यास

21 दिसंबर को WFI के चुनाव नतीजों के बाद महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास ले लिया था और 22 दिसंबर को बजरंग पूनिया ने प्रधानमंत्री आवास के पास कर्तव्य पथ पर एक नोट के साथ अपने पद्मश्री रास्ते पर रख दिया था. अब हम आपको इस मामले में यौन शोषण के आरोपों से लेकर सड़क पर पहलवानों के प्रदर्शन और अब WFI के निलंबन के बारे में बता रहे हैं.

कब क्या-क्या हुआ

बता दें कि इस साल के शुरुआत में 18 जनवरी, 2023 को महिला पहलवान विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया समेत करीब 30 पहलवानों ने भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष के खिलाफ जंतर मंतर पर धरने पर बैठे थे. पहलवानों ने कुश्ती संघ के अध्यक्ष पर यौन शोषण समेत कई गंभीर आरोप लगाए थे। तब मामले में खेल मंत्रालय के दखल के बाद पहलवानों  ने अपना धरना खत्म कर दिया था.

मंत्रालय की ओर से पहलवानों के आरोपों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया और बृजभूषण शरण सिंह को अपने काम से दूर रहने को कहा गया, लेकिन वह अपने पद पर बरकरार रहे और लगातार खुद को निर्दोष बताते रहे. हालांकि, जांच समिति ने 5 अप्रैल को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, लेकिन इस रिपोर्ट को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया था.

पहलवानों ने 21 अप्रैल, 2023 को एक नाबालिग समेत सात महिला रेसलर ने दिल्ली पुलिस के पास यौन शोषण की शिकायत की थी, लेकिन मामले में FIR दर्ज नहीं हुई.  इसके बाद पहलवान 23 अप्रैल को धरने पर बैठ गए.

इसके बाद पहलवानों ने दिल्ली पुलिस के खिलाफ 23 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. इस मामले में 25 अप्रैल को सुनवाई के बाद अदालत ने दो दिन में दिल्ली पुलिस को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था और 28 अप्रैल को पुलिस ने बताया कि वह बृजभूषण शरण के खिलाफ FIR दर्ज करेंगे.

इसके पुलिस ने WFI के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पॉक्सो एक्ट समेत दो एफआईआर दर्ज की थी और महिला पहलवानों के बयान दर्ज किए थे.

इस मामले में नाबालिग महिला पहलवान द्वारा एफआईआर दर्ज कराने के बाद उस एफआईआर को वापस लेने की पक्ष रखकर सभी को चौंका दिया था.

गिरफ्तारी मांग पर अड़े पहलवान

दिल्ली पुलिस द्वारा बृजभूषण के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के बाद पहलवानों तत्कालीन अध्यक्ष की गिरफ्तारी को लेकर धरना जारी रखा और नई संसद के उद्घाटन वाले दिन संसद मार्ग पर मार्च की कोशिश की थी, जिसकी पुलिस ने उन्हें अनुमति नहीं दी. मार्च की कोशिश के बाद सभी पहलवानों को पुलिस ने हिरासत में लेकर धरना खत्म करा दिया और पहलवानों को धरना न देने की हिदायत देते हुए देर रात तक छोड़ दिया.

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दिल्ली पुलिस 29 मई को पहलवानों पर FIR दर्ज की थी. पुलिस ने दावा किया कि पहलवानों ने बेरिकेड्स को तोड़ा, दुर्व्यवहार किया और महिला कांस्टेबलों समेत अन्य पुलिस कर्मियों के धक्का मुक्की की.  

दिल्ली पुलिस ने 15 जून को कोर्ट में छह बार के सांसद बृजभूषण के खिलाफ आईपीसी की धारा 354,  354 ए,  354 डी और 506 के तहत अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था.

इसके बाद कोर्ट बृजभूषण शरण सिंह को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था.

अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने 20 जुलाई को बृजभूषण शरण सिंह और भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निलंबित सहायक सचिव विनोद तोमर को जमानत दे दी.

अभी यह मामला दिल्ली की एक अदालत में लंबित है.

क्या है गिरफ्तारी का प्रावधान

दिल्ली पुलिस ने पहलवानों की शिकायत के बाद WFI के अध्यक्ष बृजभूषण शरण पर 2 एफआईआर दर्ज की थी, लेकिन इसमें से एक पॉक्सो एक्ट के मामले वाली एफआईआर को वापसी लेने की प्रक्रिया चल रही है. इन धाराओं के तहत तीन से सात साल सजा का प्रावधान है.

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है कि पुलिस विवेक का पालन करते हुए सात साल तक सजा वाले मुकदमे में आरोपी को गिरफ्तार न करना चाहे तो नहीं कर सकती है. चूंकि आरोपित सांसद हैं, उनके कहीं भाग जाने का खतरा नहीं हो सकता है, इसलिए सांसद की गिरफ्तारी नहीं भी की जा सकती है. वैसे भी पुलिस अगर गिरफ्तार करती भी है, तब इन्हें जल्द जमानत देने का प्रावधान है. पुलिस उन्हें जांच में शामिल होने के लिए नोटिस भेज सकती है या उनके घर या कार्यालय में ही जाकर बयान दर्ज कर सकती है.

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बृजभूषण पर लगे हैं गंभीर आरोप

पहलवानों ने संसद पर 2012 से 2022 तक अलग-अलग जगहों पर छेड़खानी करने का आरोप लगाया है. सभी महिला पहलवान हरियाणा की रहने वाली हैं. उन्होंने सांसद पर देश ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय इवेंट के दौरान विदेश में भी यौन शोषण का आरोप लगाया है.

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