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Marital Rape: देश में 82% महिलाएं पति की यौन हिंसा की शिकार, सिर्फ एक पेंच के कारण मैरिटल रेप अपराध नहीं

भारत में आईपीसी की धारा 375 में बताया गया है कि किसी महिला के साथ बने शारीरिक संबंध को कब बलात्कार माना जाएगा. लेकिन इस धारा में एक अपवाद भी है, जिस कारण मैरिटल रेप को अपराध नहीं माना जाता है.

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भारत उन देशों में शामिल है जहां मैरिटल रेप अपराध नहीं है. (फाइल फोटो)
भारत उन देशों में शामिल है जहां मैरिटल रेप अपराध नहीं है. (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • भारतीय कानून में मैरिटल रेप की कोई सजा नहीं
  • धारा 375 में अपवाद के कारण नहीं है अपराध

- देश में 82% शादीशुदा महिलाएं ऐसी हैं, जो पति की यौन हिंसा की शिकार हैं.

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- देश में 6% शादीशुदा महिलाओं ने जीवन में कभी न कभी यौन हिंसा झेली है.

- देश में 30% महिलाएं ऐसी हैं जिन्होंने पति की शारीरिक या यौन हिंसा झेली है.

ये कुछ आंकड़े हैं जो देश में शादीशुदा महिलाओं की स्थिति को बयां करते हैं. ये आंकड़े और किसी के नहीं, बल्कि सरकार के ही हैं. ये सारे आंकड़े नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS-5) की ताजा रिपोर्ट में सामने आए हैं. इस रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि करीब 14 फीसदी महिलाओं ने अपने पूर्व पति की यौन हिंसा का सामना किया है. 

इस सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, यौन हिंसा से पीड़ित 45% शादीशुदा महिलाओं के शरीर पर किसी न किसी तरह के जख्म के निशान हैं. 17% महिलाएं तो गहरे घाव, हड्डियां और दांत तोड़ने जैसी ज्यादतियों को भी बर्दाश्त कर चुकी हैं. वहीं, 10% ऐसी हैं जिन्हें जलाया भी गया है. 

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ये वो आंकड़े हैं जो न सिर्फ चौंकाते हैं, बल्कि एक काले सच को भी सामने रखते हैं. इतने आंकड़े सामने होने के बावजूद भारत उन 34 देशों में शामिल है, जहां मैरिटल रेप को लेकर कोई कानून नहीं हैं. मैरिटल रेप को अपराध बनाने की मांग को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई थी. इस पर सालों सुनवाई हुई और दो जजों की बेंच में से एक जज इसके खिलाफ रहे. अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में जा सकता है. 

भारतीय कानून में मैरिटल रेप कानूनी अपराध नहीं है. हालांकि, इसे अपराध घोषित करने की मांग को लेकर कई संगठनों की ओर से लंबे वक्त से मांग चल रही है. पिछले साल अगस्त में केरल हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा था, 'भारत में मैरिटल रेप के लिए सजा का प्रावधान नहीं है, लेकिन इसके बावजूद ये तलाक का आधार हो सकता है.' हालांकि, केरल हाईकोर्ट ने भी मैरिटल रेप को अपराध मानने से इनकार कर दिया. 

मैरिटल रेप या वैवाहिक बलात्कार भारत में अपराध नहीं है. अगर कोई पति अपनी पत्नी से उसकी सहमति के बगैर सेक्सुअल रिलेशन बनाता है तो ये मैरिटल रेप कहा जाता है लेकिन इसके लिए कोई सजा का प्रावधान नहीं है. 2017 में मैरिटल रेप को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा था, 'मैरिटल रेप को अपराध करार नहीं दिया जा सकता है और अगर ऐसा होता है तो इससे शादी जैसी पवित्र संस्था अस्थिर हो जाएगी.' ये तर्क भी दिया गया कि ये पतियों को सताने के लिए आसान हथियार हो सकता है.

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तो फिर रेप कब माना जाएगा?

- किसी भी महिला की मर्जी के खिलाफ या सहमति के बगैर उसके शरीर में अपने शरीर का कोई अंग डालना रेप है. उसके निजी अंगों को पेनेट्रेशन के मकसद से नुकसान पहुंचाना रेप है. इसके अलावा ओरल सेक्स भी बलात्कार की श्रेणी में आता है. 

- किसी महिला के साथ बने शारीरिक संबंध को बलात्कार कब माना जाएगा, इसका प्रावधान इंडियन पीनल कोड (IPC) की धारा 375 में किया गया है. इस धारा में उन 6 परिस्थितियों के बारे में बताया गया है...

1. महिला की इच्छा के बगैर अगर संबंध बनाए गए हों.

2. महिला की सहमति के बिना संबंध बनाए गए हों.

3. अगर महिला को मौत या नुकसान पहुंचाने या किसी और का डर दिखाकर उससे सहमति लेकर संबंध बनाए गए हों.

4. अगर किसी महिला से शादी का झांसा देकर संबंध बनाए गए हों.

5. संबंध तब बनाए गए हों, जब किसी महिला की मानसिक स्थिति ठीक न हो या उसे कोई नशीला पदार्थ दिया गया हो या फिर महिला सहमति देने के नतीजों को समझने की स्थिति न हो. 

6. 16 साल से कम उम्र की महिला से संबंध बनाए गए हों. फिर भले ही उसकी मर्जी और सहमति ही क्यों न हो.

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इसी धारा में है एक अपवाद...!

- धारा 375 में ही एक अपवाद है जिस वजह से मैरिटल रेप को अपराध नहीं माना जाता. धारा 375 में प्रावधान है कि अगर पत्नी नाबालिग भी है तो भी पुरुष का उसके साथ सेक्सुअल इंटरकोर्स रेप नहीं माना जाएगा. भले ही ये संबंध फिर जबरदस्ती या पत्नी की सहमति के बगैर ही क्यों न बने हों.

- धारा 376 में रेप के लिए सजा का प्रावधान किया गया है. धारा 376 में पत्नी से रेप करने वाले पति के लिए सजा का प्रावधान है, लेकिन इसके लिए पत्नी की उम्र 15 साल से कम होनी चाहिए. इसके तहत अगर पति 15 साल से छोटी पत्नी के साथ रेप करता है तो उस पर जुर्माना या 2 साल की कैद या फिर दोनों सजाएं दी जा सकतीं हैं.

क्या फिर भारतीय महिलाओं को शिकायत का अधिकार भी नहीं?

- घर के अंदर महिलाओं को यौन शोषण से बचाने के लिए 2005 में घरेलू हिंसा कानून (Domestic Violence Act) लाया गया था. ये कानून महिलाओं को घर में यौन शोषण से संरक्षण देता है.

- इसके अलावा हिंदू मैरिज एक्ट (Hindu Marriage Act) भी है जिसमें पति और पत्नी की कुछ जिम्मेदारियों तय है. इसमें प्रावधान है कि सेक्स के लिए इनकार करना क्रूरता है और इस आधार पर तलाक लिया जा सकता है.

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- 11 अक्टूबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में फैसला देते हुए कहा था कि 18 साल से कम उम्र की पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाना अपराध है और इसे रेप माना जा सकता है. कोर्ट ने कहा था कि इसके लिए नाबालिग पत्नी एक साल के अंदर शिकायत दर्ज करा सकती है.

 

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