भगवान जगन्नाथ मंदिर (Lord Jagannath Temple) के दुर्लभ खजाने को आज खोल दिया गया है. इस खजाने को इससे पहले साल 2018 में खोलने की कोशिश की गई थी, लेकिन फिर कोशिश बंद कर दी गई. पिछली बार साल 1985 में इस तहखाने को खोला गया था. इस दौरान राजाओं के मुकुट से लेकर खजानों से भरी तिजोरियां देखने को मिली थीं. दरअसल, रत्न भंडार में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के कीमती आभूषण और खाने-पीने के बर्तन रखे हुए हैं.
खजाने में वो चीजें हैं, जो उस दौर के राजाओं और भक्तों ने मंदिर में चढ़ाए थे. 12वीं सदी के बने मंदिर में तब से ये चीजें रखी हुई हैं. इस भंडारघर के दो हिस्से हैं, एक बाहरी और एक भीतरी भंडार.
खजाने के बाहरी हिस्से को समय-समय पर खोला जाता है. त्योहार या अन्य किसी भी मौके पर खोलकर गहने निकालकर भगवान को सजाया जाता है. रथ यात्रा के समय ये होता ही है. रत्न भंडार का अंदरूनी चैंबर पिछले 46 साल से बंद है. आखिरी बार इसे साल 1978 में खोला गया था. वहीं साल 1985 में भी इन चैंबर को खोला गया, लेकिन इसका मकसद क्या था और भीतर क्या-क्या है, इस बारे में कहीं कुछ नहीं बताया गया.
अंदर कितना खजाना है?
साल 2018 में विधानसभा में पूर्व कानून मंत्री प्रताप जेना ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि आखिरी बार यानी 1978 में इसे खोलने के समय रत्न भंडार में करीब साढ़े 12 हजार भरी (एक भरी 11.66 ग्राम के बराबर होता है) सोने के गहने थे, जिनमें कीमती पत्थर जड़े हुए थे. साथ ही 22 हजार भरी से कुछ ज्यादा के चांदी के बर्तन थे. साथ ही बहुत से और गहने थे, जिनका तब वजन नहीं किया गया था.
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साल 2018 में ओडिशा हाईकोर्ट ने सरकार को निरीक्षण के लिए मंदिर का ये कक्ष खोलने का निर्देश दिया था. हालांकि चैंबर की चाबियां नहीं मिल सकी थीं, जिससे पूरे राज्य में नाराजगी देखने को मिली थी. बीते लोकसभा चुनाव में रत्न भंडार (खजाना कक्ष) की गुम हुईं चाबियों का मुद्दा उठा था.
जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को लेकर ओडिशा के लोगों में गहरी आस्था है. जगन्नाथ मंदिर के तहखाने में रत्न भंडार स्थित है. रत्न भंडार में सदियों से भक्तों और पूर्व राजाओं द्वारा दान में दिए गए बहुमूल्य आभूषण रखे हुए हैं. इसे आखिरी बार 14 जुलाई 1985 को खोला गया था.
पढ़ें साल 2018 में खजाना खोलने की क्या है कहानी
indiatoday.in पर प्रकाशित खबर के मुताबिक, यह साल 2018 था. ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ मंदिर के बाहर जमा भीड़ से सोलह लोग अंधेरी गुप्त गली में प्रवेश कर गए. उनके हाथों में टॉर्च और दिल में उत्सुकता थी. भुवनेश्वर से विशेष बचाव कर्मी और सांप पकड़ने वाली टीम बाहर मुस्तैद थी. 16 लोगों की टीम लंबे अंतराल के बाद जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में प्रवेश कर रही थी. हालांकि, यह अभियान ज्यादा दिन नहीं चला. टीम भगवान जगन्नाथ के रत्न भंडार के मुख्य कक्ष में नहीं जा सकी.
जगन्नाथ पुरी का रत्न भंडार आखिरी बार साल 1985 में खोला गया था. इसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के आभूषण रखे हुए हैं, साथ ही सोने-चांदी के बर्तन भी हैं. इस खजाने को खोलने के लिए ओडिशा सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के कहने पर हाईकोर्ट ने साल 2018 में इसे खोलने का आदेश दिया था, लेकिन प्रोसेस पूरी नहीं हो सकी थी. इसकी वजह भी बड़ी अजीब बताई गई थी, तब कहा गया था कि चैंबर की चाबी नहीं मिल रही है.
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ये चाबी नियम के मुताबिक, पुरी कलेक्टर के पास होती हैं. तत्कालीन कलेक्टर अरविंद अग्रवाल थे. उन्होंने माना था कि उनके पास चाबी की कोई जानकारी नहीं. इसके बाद पूरे स्टेट में काफी बवाल मचा था. यहां तक कि तत्कालीन सीएम नवीन पटनायक को दखल देना पड़ा था. उन्होंने इसकी तहकीकात का आदेश दिया था.
इंक्वायरी कमेटी ने लगभग 2 हफ्तों बाद बताया था कि उन्हें एक लिफाफा मिला है, जिसके ऊपर लिखा है- भीतरी रत्न भंडार की डुप्लीकेट चाबियां. इसके साथ ही एक लंबी-चौड़ी रिपोर्ट भी दी गई, लेकिन इसमें क्या लिखा है, ये कभी सार्वजनिक नहीं हो सका. ओडिशा के रत्न भंडार का रहस्य अकेला नहीं है, देश में एक और मंदिर भी है, जिसके दरवाजे के बारे काफी बातें होती हैं.
इस मंदिर का खजाना भी बना हुआ है रहस्य
केरल का श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर सबसे ज्यादा दौलतमंद मंदिरों में गिना जाता है. कहते हैं कि इसके गुप्त तहखाने में इतना खजाना छिपा है, जिसका कोई अंदाजा भी न लगा सके. ऐसे 7 तहखाने हैं, जिसमें से छह खोले जा चुके हैं, लेकिन सातवें का पट अब भी बंद है. सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में ये दरवाजे खोले गए, जिसमें से काफी खजाना मिला. ये मंदिर ट्रस्ट में जमा करने के बाद जैसे ही सातवें दरवाजे को खोलने की कोशिश की, कई मुश्किलें आने लगीं. इतिहासकार और सैलानी एमिली हैच ने अपनी किताब- त्रावणकोर: एक गाइड बुक फॉर द विजिटर में मंदिर के रहस्यमयी दरवाजों का जिक्र किया था.