नोएडा के अवैध ट्विन टावर्स (Twin Towers) अब इतिहास के पन्नों में दफन हो चुके हैं. तय प्लान के मुताबिक 28 मार्च की दोपहर 2.30 बजे दोनों इमारतों को ध्वस्त कर दिया गया. नोएडा के जिस सेक्टर 93-ए पर गगनचुंबी ट्विन टावर हुआ करते थे, वहां अब सिर्फ धूल की परत, कंक्रीट के टुकड़े और आसपास की बिल्डिंग्स के चारों तरफ सेफ्टी के लिहाज से लगाए गए पर्दे फटी हुई अवस्था में बचे हैं.
सुपरटेक के अवैध ट्विन टावर्स के जमींदोज होने का आसपास की इमारतों पर बेहद बुरा असर पड़ा. ट्विन टावर्स को ढहाने के लिए जैसे ही ब्लास्ट किया गया, बिल्डिंग्स के ढहते ही धुंए का कई फीट ऊंचा गुबार उठा. देखते ही देखते यह गुबार आसपास की सोसाइटी और सड़कों में समाता चला गया. कई किलोमीटर दूर से लोगों ने इसे देखा. वहीं नोएडा के ज्वाइंट कमिश्नर (लॉ एंड ऑर्डर) ने कहा कि अब तक आस-पास के इमारतों को नुकसान की कोई सूचना नहीं है. हालांकि आसपास की इमारतों का निरीक्षण किया जा रहा है और ये पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि कई कोई नुकसान तो नहीं हुआ है.
पुलिस की लाख समझाइश के बाद भी हजारों की तादाद में लोग ट्विन टावर्स को ढहते हुए देखने जुटे थे. टावर्स गिरने के बाद लोग सोसाइटी की तरफ जाने की कोशिश करने लगे, लेकिन पुलिस का सख्त पहरा होने के कारण उन्हें कामयाबी नहीं मिली. अभी किसी को भी वहां जाने की अनुमति नहीं है. धूल का गुबार शांत होने के बाद पहले एक टीम वहां का निरीक्षण करेगी.
नोएडा अथॉरिटी की सीईओ रितु माहेश्वरी ने बताया कि अभी इलाके में साफ-सफाई की जा रही है. इलाके में गैस और बिजली की आपूर्ति जल्द बहाल कर दी जाएगी. शाम 6.30 बजे के बाद आसपास रहने वाले लोगों को उनकी सोसायटी में प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी.
कैसे ढहाए गए ट्विन टावर्स
1. भारतीय माइनिंग ब्लास्टर चेतन दत्ता ने अपने साथियों के साथ मिलकर 2.30 बजे ब्लास्ट का बटन दबाया.
2. जोर का धमाका हुआ. जैसे-जैसे इमारत नीचे समाती गई, धुंए का गुबार तेजी से दूर-दूर तक फैलता गया.
3. ट्विन टावर्स के गिरते ही मलबे का कुछ हिस्सा सड़क पर और कुछ हिस्सा एटीएस सोसाइटी की दीवार की तरफ भी गिरा.
4. ब्लास्ट के कुछ देर बाद ही नोएडा एक्सप्रेस-वे का रास्ता खोल दिया गया. लोगों की आवाजाही शुरू हो गई.
5. सोसाइटी के आसपास धूल को बैठाने के लिए पेड़-पौधों पर टैंकर से पानी छिड़का गया.
3 महीने में साफ होगा मलबा
सुपरटेक के अवैध ट्विन टावर्स की ऊंचाई कुतुब मीनार से भी ज्यादा थी. यह 28 अगस्त को दोपहर 2.30 बजे 14 सेकंड में ध्वस्त होने वाले भारत के सबसे ऊंचे ढांचे बन गए. Apex (32 मंजिला) और Ceyane (29 मंजिला) के डिमॉलिशन के बाद लगभग 80,000 टन मलबा निकलने की उम्मीद है. इतना मलबा साफ होने में कम से कम 3 महीने लगेंगे.