मंगलवार को जारी एक बयान के अनुसार, हरियाणा सरकार की 'परिवार पहचान पत्र' (पीपीपी) योजना को उत्तर प्रदेश के अधिकारियों द्वारा स्टडी किया गया है और वहां भी इसी तरह का कार्यक्रम शुरू किया जा सकता है. हरियाणा सरकार के बयान में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार पीपीपी की तरह 'परिवार आईडी' जारी करेगी. पीपीपी राज्य सरकार के अनुसार नागरिकों को "पेपरलेस" और "फेसलेस" सेवाओं के वितरण को बढ़ावा देने के लिए एक ई-गवर्नेंस योजना है.
परिवार सूचना डेटा डिपॉजिटरी में अब 2.88 करोड़ व्यक्तियों के साथ 73.11 लाख परिवारों का अपडेटेट डेटा है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मंगलवार को कहा कि विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लिए राज्य सरकार की परिवार पहचान पत्र पहल के तहत योग्य लाभार्थियों की पहचान करने के लिए आय मुख्य मानदंड है.
पिछले महीने राज्य विधानसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा था कि 1.80 लाख रुपये तक की स्व-घोषित वार्षिक आय वाले सभी वास्तविक लाभार्थियों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा. बयान में कहा गया है कि हरियाणा सरकार ने पारदर्शिता लाने और लोगों के जीवन को आसान बनाने के लिए पिछले कुछ वर्षों में कई नई पहल की हैं. इसने कहा कि देश भर में इनकी सराहना हुई है, कई योजनाओं का अन्य राज्यों द्वारा भी अनुकरण और कार्यान्वयन किया जा रहा है.
ऐसी ही एक योजना पीपीपी है, जिसका प्राथमिक उद्देश्य हरियाणा में सभी परिवारों का प्रामाणिक, सत्यापन योग्य और विश्वसनीय डेटा तैयार करना है. बयान में कहा गया है कि पीपीपी डेटाबेस में उपलब्ध डेटा का उपयोग पात्रता निर्धारित करने के लिए किया जाता है, जिसके माध्यम से लाभार्थियों को स्वचालित रूप से योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए चुना जाता है, जिसके लिए वे पात्र हैं.
हाल ही में, गुजरात और उत्तराखंड के प्रतिनिधिमंडलों ने क्रमशः राज्य की खेल नीति और ऑनलाइन स्थानांतरण नीति को स्टडी करने के लिए राज्य का दौरा किया था. बयान में कहा गया है, "इसी तरह, कई अन्य राज्य भी हरियाणा सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं का अध्ययन कर रहे हैं और इन जन-समर्थक नीतियों को लागू करने की योजना बना रहे हैं."