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SCO: वह संगठन जिसमें पाक-चीन भी शामिल, वर्चुअल बैठक में मोदी से जिनपिंग का सामना

औपचारिक तौर पर शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना 15 जून 2001 में हुई. इसकी स्थापना चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकस्तान और उज्बेकिस्तान ने की. लेकिन धीरे-धीरे संगठन का मकसद और स्वरूप भी बदलता गया. 

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पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फाइल फोटो)
पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • SCO की वर्चुअल बैठक में होगा जिनपिंग से मोदी का सामना
  • लद्दाख में तनाव के बाद पहली बार दोनों नेताओं का सामना
  • भारत, रूस, चीन और पाक समेत SCO में आठ देश

भारत की सरहद पर चीन और पाकिस्तान दोनों ही अपनी गलत नीतियों को आगे बढ़ाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं. चीन से इस वक्त तनाव काफी ज्यादा है. इस बीच ऐसा मौका आने जा रहा है जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सामना पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से होगा. 

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ये तस्वीर सामने आएगी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक से, जहां चीन और पाकिस्तान समेत इस संगठन के अन्य सभी देशों के राष्ट्राध्यक्ष जुटेंगे. SCO एक ऐसा संगठन है जिसमें आठ देश स्थायी सदस्यों के तौर पर शामिल हैं. इनमें चीन, रूस, भारत, पाकिस्तान, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. 

हालांकि, पहले इस संगठन में कम देश थे. SCO का इतिहास देखा जाए तो 1996 में शंघाई में एक बैठक हुई जिसमें चीन, रूस, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान और ताजिकिस्तान के प्रतिनिधि शामिल हुए. इस बैठक में नस्लीय और धार्मिक तनाव से जुड़े विवादों का समाधान करने के लिए आपसी सहयोग पर सहमति बनी. तब इसे शंघाई-फाइव कहा गया. 

6 देशों ने मिलकर बनाया था SCO

औपचारिक तौर पर शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना 15 जून 2001 में हुई. इसकी स्थापना चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकस्तान और उज्बेकिस्तान ने की. लेकिन धीरे-धीरे संगठन का मकसद और स्वरूप भी बदलता गया. 

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संगठन की स्थापना के बाद इसका मुख्य उद्देश्य आतंकवाद से लड़ाई समेत ऊर्जा पूर्ति से जुड़े मुद्दों पर केंद्रित हो गया. साथ ही अन्य आर्थिक और समसामयिक मुद्दों पर आपसी सहयोग बनाना भी संगठन का एक अहम मकसद है.

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2017 में इस संगठन में स्थायी सदस्य के तौर पर भारत और पाकिस्तान की एंट्री हुई तो आतंकवाद का मुद्दा और प्रमुखता से उठने लगा. अब एससीओ के कुल सदस्य आठ हो गए हैं और भारत लगातार आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरता रहता है. 

ये अन्य देश भी SCO से जुड़े

इससे पहले भारत 2005 से एससीओ में एक पर्यवेक्षक के तौर पर शामिल था. अब भी कई देश ऐसे हैं जो एससीओ के स्थायी सदस्य नहीं हैं, लेकिन इस संगठन से जुड़े हैं. ईरान, अफगानिस्तान, बेलारूस और मंगोलिया ऑब्जर्वर के रूप में इस संगठन से जुड़े हैं. जबकि आर्मेनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्की डॉयलॉग पार्टनर के रूप में एससीओ का हिस्सा है. 

मुद्दों पर चर्चा करने व सहमति बनाने के मकसद से हर साल एससीओ की समिट होती है. इस समिट में सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष शामिल होते हैं. एक दूसरे से मुलाकात भी होती है. कई बार सिर्फ आमना-सामना होता है लेकिन बातचीत नहीं होती है. हालांकि, इस बार जो समिट होने जा रहा है उसमें हालात थोड़े अलग है. कोरोना वायरस के खतरे के मद्देनजर ये समिट वर्चुअल होगा.

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10 नवंबर को पीएम मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए समिट में हिस्सा लेंगे जहां स्क्रीन पर उनके सामने जिनपिंग और इमरान खान भी होंगे. ये पहला मौका होगा जब लद्दाख में सीमा विवाद के बाद पीएम मोदी और जिनपिंग आमने-सामने होंगे. 


 

 

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