लोकसभा की बैठकें जब भी होती हैं तब संसद टीवी के जरिए इनका लाइव टेलीकास्ट किया जाता है. संसद के भीतर होने वाली हर गतिविधि पर जनता की नजर होती है और यही लोकतंत्र की खूबसूरती भी है. लेकिन लोकसभा में 'सीक्रेट सिटिंग' को लेकर भी नियम हैं जब सदन की कार्यवाही का टेलीकास्ट रोक दिया जाता है और विजिटर गैलरी को भी बंद कर दिया जाता है. हालांकि देश के इतिहास में अब तक ऐसी कोई बैठक नहीं हुई है.
चीन से जंग के दौरान उठी थी मांग
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक इस नियम के तहत सरकार को संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा के लिए लोकसभा की सीक्रेट सिटिंग बुलाने का अधिकार है. संवैधानिक विशेषज्ञ के मुताबिक 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान कुछ विपक्षी सांसदों ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सदन की गुप्त बैठक बुलाने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू इसके लिए सहमत नहीं हुए थे.
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'लोकसभा में प्रक्रिया और कंडक्ट ऑफ बिजनेस' रूल के चैप्टर 25 में सदन के नेता की मांग पर सीक्रेट सिटिंग बुलाने का प्रावधान है. नियम 248 के सबक्लॉज एक के मुताबिक, सदन के नेता के अनुरोध पर अध्यक्ष सदन की सीक्रेट सिटिंग के लिए एक दिन या उसका एक हिस्सा तय कर सकते हैं. सबक्लॉज 2 में कहा गया है कि जब सदन सीक्रेट मीटिंग करेगा तो किसी भी अजनबी को चैंबर, लॉबी या गैलरी में मौजूद होने की इजाजत नहीं होगी. लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्हें ऐसी बैठकों के दौरान इजाजत दी जाएगी.
बाहर नहीं जाएंगी कार्यवाही की बातें
चैप्टर का एक अन्य नियम कहता है कि अध्यक्ष यह निर्देश दे सकता है कि सीक्रेट सिटिंग की कार्यवाही की रिपोर्ट उस तरीके से जारी की जाए, जैसा अध्यक्ष को ठीक लगे. लेकिन कोई अन्य मौजूद व्यक्ति किसी सीक्रेट सिटिंग की कार्यवाही या फैसले का कुछ भी नोट या रिकार्ड नहीं रखेगा, या ऐसी कार्यवाही की कोई रिपोर्ट जारी नहीं करेगा, या उसका कोई जिक्र भी नहीं करेगा.
जब यह माना जाता है कि किसी सीक्रेट सिटिंग की कार्यवाही के संबंध में गोपनीयता बनाए रखने की जरूरत खत्म हो गई है और अध्यक्ष की सहमति के आधार पर सदन का नेता या कोई अधिकृत सदस्य प्रस्ताव पेश कर सकता है कि ऐसी बैठक के दौरान की कार्यवाही को अब सीक्रेट नहीं माना जाए. अगर प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो सेक्रेटरी जनरल सीक्रेट सिटिंग की कार्यवाही की रिपोर्ट तैयार करेंगे और उसे पब्लिश करेंगे.
नेहरू ने खारिज किया था प्रस्ताव
नियमों में चेतावनी दी गई है कि किसी भी व्यक्ति की ओर से किसी भी तरीके से गुप्त कार्यवाही या बैठक की कार्यवाही या फैसले का खुलासा करना सदन के विशेषाधिकार का सख्त उल्लंघन माना जाएगा. संविधान विशेषज्ञ और लोकसभा के पूर्व महासचिव पी.डी.टी. अचारी ने कहा कि सदन की गुप्त बैठक आयोजित करने का कोई मौका अब तक नहीं आया है.
उन्होंने पुराने लोगों से अपनी बातचीत का हवाला देते हुए कहा कि 1962 में चीन-भारत युद्ध के दौरान कुछ विपक्षी सदस्यों ने संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा के लिए गुप्त बैठक का प्रस्ताव रखा था. लेकिन नेहरू ने इस पर सहमति नहीं जताई और कहा कि इस मुद्दे के बारे में जनता को पता होना जरूरी है.