G20 समिट में शामिल होने के लिए भारत आए जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने कहा कि 5 दिनों के दौरान मैंने जकार्ता और दिल्ली में शिखर सम्मेलन में भाग लिया. मैं पीएम मोदी और इंडोनेशियाई राष्ट्रपति को उनके नेतृत्व के लिए बधाई देता हूं. उन्होंने कहा कि G20 शिखर सम्मेलन में वैश्विक नेताओं ने चुनौतियों पर चर्चा की. जैसे स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, डिजिटल. मैंने इन क्षेत्रों में जापान की पहल के बारे में बताया. भारत की अध्यक्षता में हम निष्कर्ष पर पहुंचे जो सार्थक उपलब्धि है.
G20 समिट के दौरान नई दिल्ली घोषणा-पत्र में रूस की निंदा न किए जाने के सवाल पर भी जापानी प्रधानमंत्री ने जवाब दिया. उन्होंने कहा कि सभी G20 देश यूएन चार्टर में क्षेत्रीय अखंडता और बल प्रयोग के खिलाफ उल्लेखित सिद्धांतों पर सहमत हैं. उन्होंने कहा कि रूस समेत सभी G20 सदस्य ऐसी शर्तों पर सहमत हुए हैं जैसे सभी देशों को क्षेत्रीय अधिकार हासिल करने या अधिग्रहण के लिए धमकी या बल प्रयोग से बचना चाहिए. G20 के अधिकांश सदस्य संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांत को फॉलो करते हैं. यूक्रेन मुद्दे पर फुमियो ने कहा कि रूस की परमाणु धमकी और आक्रामकता बिल्कुल अस्वीकार्य है.
जापानी पीएम किशिदा ने यूक्रेन और रूस के मुद्दे को लेकर कहा कि यूक्रेन पर रूस की आक्रामकता को लेकर जापान ने सभी बैठकों में रूसी सैनिकों की तत्काल वापसी के लिए दबाव डाला है. यूक्रेन में न्यायसंगत और टिकाऊ शांति के लिए हमने अपनी बात उठाई है. रूस के न्यूक्लियर खतरे को लेकर उन्होंने कहा कि परमाणु हथियार बिल्कुल अस्वीकार्य है. मैंने एक कमजोर आबादी को वैश्विक समुदाय से सहायता के महत्व बात की है.
बता दें कि पिछले साल G20 देशों ने जिस घोषणापत्र पर सहमति जताई थी, उसमें अधिकांश सदस्यों ने यूक्रेन में युद्ध की कड़ी निंदा की थी, इसका रूस ने विरोध किया था. वहीं किशिदा ने कहा कि भारत की अध्यक्षता में G20 घोषणापत्र को अपनाया गया. साथ ही कहा कि G20 संयुक्त राष्ट्र की जगह नहीं ले सकता.