इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा की विरासत कर को लेकर दिए गय बयान से सियासी घमासान मचा हुआ है. बुधवार को पीएम मोदी ने कहा, 'कांग्रेस के शहजादे का कहना है कि ये देश के हर घर, हर अलमारी और हर परिवार की संपत्ति का एक्सरे करेंगे. हमारी माताओं और बहनों के पास जो थोड़ा बहुत स्त्रीधन है, गहने और जेवर हैं, कांग्रेस उनकी भी जांच कराएगी...'
मामले ने तूल पकड़ा तो कांग्रेस ने पित्रोदा की टिप्पणी से खुद को अलग कर लिया. पार्टी प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा कि हकीकत यह है कि पूर्व पीएम राजीव गांधी ने 1985 में संपत्ति शुल्क समाप्त कर दिया था.
क्या कहा था पित्रोदा ने
पित्रोदा ने कहा था कि अमेरिका में विरासत टैक्स लगता है. अगर किसी शख्स के पास 10 करोड़ डॉलर की संपत्ति है. उसके मरने के बाद 45 फीसदी संपत्ति उसके बच्चों को ट्रांसफर हो जाती है जबकि 55 फीसदी संपत्ति पर सरकार का मालिकाना हक हो जाता है.उन्होंने कहा कि ये बहुत ही रोचक कानून है. इसके तहत प्रावधान है कि आपने अपने जीवन में खूब संपत्ति बनाई है और आपके जाने के बाद आपको अपनी संपत्ति जनता के लिए छोड़नी चाहिए. पूरी संपत्ति नहीं बल्कि आधी, जो मुझे सही लगता है.
पित्रोदा ने कहा, 'लेकिन भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है. यहां अगर किसी के पास 10 अरब रुपये की संपत्ति है. उसके मरने के बाद उनके बच्चों को सारी की सारी संपत्ति मिल जाती है, जनता के लिए कुछ नहीं बचता. मुझे लगता है कि इस तरह के मुद्दों पर लोगों को चर्चा करनी चाहिए. मुझे नहीं पता कि इस चर्चा का निचोड़ क्या निकलेगा. हम नई नीतियों और नए प्रोग्राम की बात कर रहे हैं, जो लोगों के हित में हो ना कि सिर्फ अमीरों के हित में हो.'
विरासत कर (Inheritance Tax) क्या है?
टीओआई के मुताबिक, यह एक ऐसा टैक्स यानि कर है जो किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर विरासत में मिली संपत्ति पर लगाया जाता है. टैक्स फाउंडेशन के अनुसार,संपत्ति और विरासत कर मोटे तौर पर समान हैं क्योंकि दोनों आम तौर पर मृत्यु के बाद लगाए जाते हैं, संपत्ति कर मृत्यु की तारीख पर मृत व्यक्ति के स्वामित्व वाली संपत्ति के कुल मूल्य पर लगाया जाता है. इसके विपरीत, फाउंडेशन की परिभाषा के अनुसार, संपत्ति के प्राप्तकर्ताओं पर विरासत कर लगाया जाता है.
असमानता से निपटना...
कुछ मामलों में विरासत कर को "अवसर की समानता" सुनिश्चित करने के लिए उचित ठहराया गया है. ओईसीडी के एक पेपर में कहा गया है कि संपत्ति के एकाधिकार को तोड़कर और प्राप्तकर्ताओं के नियंत्रण से परे कारकों में सुधार के माध्यम से विरासत और उपहार कराधान लोगों के बीच बराबरी करने में योगदान दे सकता है, और इस तरह अवसर की समानता बढ़ सकती है और सामाजिक गतिशीलता में सुधार हो सकता है. इसमें थॉमस पिकेटी, सैज़ और ज़ुकमैन का हवाला दिया गया है, जिन्होंने तर्क दिया था कि योग्यतावादी दृष्टिकोण से, विरासत में मिली संपत्ति पर अर्जित आय और स्व-निर्मित संपत्ति की तुलना में अधिक दरों पर कर लगाया जाना चाहिए. इस कर के ख़िलाफ अमेरिकी आलोचकों का कहना है कि इसे ख़त्म करने से निवेश बढ़ाने, नौकरियाँ पैदा करने और अर्थव्यवस्था के विस्तार में मदद मिलेगी.
विश्व में कहां लगता है विरासत कर
अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, फ्रांस और फिनलैंड सहित कई उन्नत देशों में विरासत कर यानि इनहेरिटेंस टैक्स की दर 7% से 55% तक है. टैक्स फाउंडेशन के आंकड़ों के मुताबिक, 2000 के बाद से 11 देशों और दो कर न्यायक्षेत्रों ने संपत्ति या विरासत कर को खत्म कर दिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने विरासत कर की दर को 61% तक बढ़ाने का समर्थन किया है.
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क्या भारत में विरासत कर लागू था?
भारत में भी विरासत कर लागू था और 85% संपत्ति शुल्क की दर से लगाया जाता था जिसे 1985 में समाप्त कर दिया गया. संपत्ति के मालिक की मौत के बाद संपत्ति शुल्क पर देनदारी देनी होती थी.देश में सामाजिक समानता लाने के लिए कई उपाय लागू किए गए हैं, जिनमें उपहार कर, संपत्ति कर और संपत्ति शुल्क शामिल हैं. उपहार कर को 1998 में वापस ले लिया गया था. 2020 में ऐसी अटकलें थीं कि केंद्रीय बजट संपत्ति शुल्क (estate duty) को वापस ला सकता है। 2014 में, तत्कालीन कनिष्ठ वित्त मंत्री जयंत सिन्हा ने विरासत कर (inheritance tax) लाने के विचार का समर्थन किया था, लेकिन यह विचार आगे नहीं बढ़ सका.