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अमेरिका से निर्वासित भारतीयों पर क्या एक्शन होगा, कभी वापस जा सकेंगे US? जानें हर सवाल का जवाब

104 भारतीयों को बुधवार को निर्वासित कर भारत भेजा गया. ट्रंप सरकार द्वारा डंकी रूट से अमेरिका में घुसे भारतीयों की भेजी गई ये पहली खेप है. इनमें हरियाणा और गुजरात से 33-33, पंजाब से 30, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से तीन-तीन और चंडीगढ़ से दो लोग शामिल हैं. इस बीच सवाल ये है कि अमेरिका से निर्वासित हुए भारतीय नागरिकों के भारत लौटने पर अब उनके साथ आगे क्या होगा?

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अमेरिका से बुधवार को 104 भारतीय डिपोर्ट होकर अमृतसर पहुंचे (File Photo)
अमेरिका से बुधवार को 104 भारतीय डिपोर्ट होकर अमृतसर पहुंचे (File Photo)

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनते ही अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्ती दिखानी शुरू कर दी है. इस क्रम में बुधवार को 104 भारतीयों को निर्वासित कर भारत भेजा गया. ट्रंप सरकार द्वारा डंकी रूट से अमेरिका में घुसे भारतीयों की भेजी गई ये पहले खेप है. इनमें हरियाणा और गुजरात से 33-33, पंजाब से 30, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से तीन-तीन और चंडीगढ़ से दो लोग शामिल हैं. अमेरिकी सरकार का कहना है कि ऐसे कई और अवैध प्रवासियों की पहचान की जाएगी और उन्हें निर्वासित किया जाएगा. 

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इस बीच सवाल ये है कि अमेरिका से निर्वासित हुए भारतीय नागरिकों के भारत लौटने पर अब उनके साथ आगे क्या होगा? क्या इन पर कोई एक्शन होगा? क्या ये लोग अब कभी वापस अमेरिका जा पाएंगे और इन लोगों को डंकी रूट से भेजने वाले एजेंटों पर क्या कार्रवाई होगी? इस तरह के तमाम सवाल हर किसी के जहन में हैं. आजतक ने इन्हीं सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करते हुए एक्सपर्ट्स से बातचीत की.

निर्वासित होकर लौटे भारतीयों पर भारत में होगा कोई एक्शन?  

वरिष्ठ अधिवक्ता और दिल्ली बार काउंसिल के अध्यक्ष केके मनन ने बताया कि निर्वासित लोगों को भारत में कोई कानूनी कार्रवाई का सामना नहीं करना पड़ेगा, जब तक कि वे नकली/फर्जी दस्तावेजों के साथ यात्रा नहीं करते. मनन ने कहा, “जब तक उनके पास असली भारतीय पासपोर्ट है और उन्होंने अपने वैध दस्तावेजों का इस्तेमाल किया है, तब तक भारत में उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं होगी. अगर किसी ने नकली पासपोर्ट का इस्तेमाल किया है या किसी और के पासपोर्ट में अपनी तस्वीर लगाई है या डंकी रूट के लिए पासपोर्ट पर अपना नाम/जन्म तिथि या अन्य विवरण बदला है, तो उन्हें पासपोर्ट अधिनियम के तहत मुकदमा का सामना करना पड़ सकता है.” 

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वहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार के दौरान पंजाब के पूर्व महाधिवक्ता, वरिष्ठ अधिवक्ता अतुल नंदा ने कहा कि इस बात की बहुत कम संभावना है कि ये लोग नकली कागजात बनाने में शामिल रहे होंगे क्योंकि ऐसे अधिकांश प्रवासी कम पढ़े लिखे हैं और गरीब परिवारों से हैं. ऐसे में ये लोग फिर से अपने-अपने गांव-इलाके में पहले ही तरह आम जीवन जी सकते हैं.

भारत से अवैध अप्रवासियों के निर्वासन से संबंधित मुद्दों पर काम करने वाले अधिवक्ता कमलेश मिश्रा ने आजतक को बताया कि निर्वासित प्रवासियों पर तब तक कोई मुकदमा नहीं चलाया जा सकता जब तक कि उन्हें मेजबान देश में किसी अपराध के लिए दोषी नहीं ठहराया जाता या वे भारत में किसी पासपोर्ट धोखाधड़ी में शामिल नहीं होते. उन्हें उनके देश (भारत) वापस भेज दिया गया है. उनसे ज़्यादा से ज़्यादा यह पूछा जा सकता है कि देश छोड़ने के लिए उनके पास जो दस्तावेज हैं, वे सही हैं या नहीं.

क्या ये लोग भविष्य में वापस अमेरिका जा सकते हैं? 

वकील इस बात से सहमत हैं कि जिन्हें अवैध प्रवासी के रूप में निर्वासित किया गया है, वे वापस नहीं जा पाएंगे. अधिवक्ता नंदा ने कहा, "जब भी आप वीजा फॉर्म भरते हैं तो एक कॉलम होता है जिसमें पूछा जाता है कि क्या आपको कभी निर्वासित किया गया है. एक बार निर्वासन का दाग लग जाने के बाद अधिकांश देश ऐसे लोगों को वीजा नहीं देते. विशेष रूप से अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ब्रेटन, शेंगेन (यूरोपीय) जैसे देश ऐसे किसी भी व्यक्ति को वीजा नहीं देते हैं, जिन्हें अवैध प्रवासी के रूप में निर्वासित किया गया हो." 

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अमेरिकी दूतावास की वेबसाइट के मुताबिक, "किसी व्यक्ति को निर्वासित या हटाया गया हो, तो परिस्थितियों के आधार पर 10 साल तक वीजा के लिए फिर से आवेदन करने से प्रतिबंधित किया जा सकता है. कुछ मामलों में इस कार्रवाई से छूट मिल सकती है."

अमेरिकी विदेश विभाग की वेबसाइट पर भी कहा गया है कि जिन अवैध रूप से घुसे विदेशियों को निर्वासित किया गया है, वे कम से कम 5 वर्षों तक वीजा के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं और उनके वीजा की स्वीकार्यता से संबंधित कई धाराएं निर्धारित की गई हैं.

ट्रैवल एजेंटों के खिलाफ होगी कार्रवाई? 

एडवोकेट केके मनन ने कहा, "अब उन ट्रैवल एजेंटों पर कार्रवाई होनी चाहिए, जिन्होंने लाखों रुपये लेकर उन्हें अवैध तरीके से इन निर्वासित लोगों को भेजा है. अवैध प्रवासियों को निर्वासित करना हर देश का अधिकार है." 

पंजाब के पूर्व अटॉर्नी जनरल अतुल नंदा ने कहा कि अब ध्यान उन ट्रैवल एजेंसियों को पकड़ने और उन पर मुकदमा चलाने पर होना चाहिए, जिन्होंने इन लोगों को अवैध तरीके से अमेरिका भेजा. नंदा ने कहा, "जिन लोगों को कानूनी कार्रवाई का सामना करना चाहिए, वे हैं जिन्होंने इन लोगों को अवैध तरीके से वहां भेजने में अहम भूमिका निभाई. इन निर्वासित लोगों में से अधिकांश कम पढ़े लिखे या फिर अनपढ़ लोग शामिल होंगे. फर्जी कागजात बनाने में इनका हाथ नहीं होगा." 

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पूर्व एडवोकेट जनरल ने यह भी बताया कि पंजाब के कई इलाकों, खासकर दोआबा और ग्रामीण पंजाब में ट्रैवल एजेंसियां ​​अमेरिका, कनाडा या ब्रिटेन में खूबसूरत जिंदगी के सपने दिखाती हैं और लोगों से इन देशों में प्रवास करने के लिए लाखों रुपये मांगती हैं. वे उन्हें दूसरे देश के रास्ते यात्रा (डंकी रूट) करने के लिए भेजते हैं. एजेंट उन्हें विभिन्न स्थानों पर ले जाते हैं, कई बार वे बहुत खराब परिस्थितियों में, कंटेनरों में यात्रा करते हैं. परिवार की पूरी संपत्ति इस उम्मीद में खर्च हो जाती है कि बेटा कहीं जाकर पैसा कमाएगा. निर्वासन अब इन परिवारों के लिए दोहरी मार है, जिन्होंने विदेश में कमाई पर अपनी उम्मीदें टिका रखी थीं.

नंदा कहते हैं, "इस बात की गहन जांच होनी चाहिए कि निर्वासितों को विदेश भेजने वाले लोग कौन हैं और उन्हें कैसे भेजा गया. डंकी सिस्टम नाम की कोई चीज होती है. पिछले 10 सालों में कितने ट्रैवल एजेंट पकड़े गए या दोषी पाए गए? यह निराशाजनक है."

अवैध प्रवास की शिकायतों पर हो सकती है ये कार्रवाई

बता दें कि संसद में भी डंकी सिस्टम का मुद्दा उठाया गया है. 5 दिसंबर, 2024 तक विदेश मंत्रालय ने राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा था कि जब भी अवैध प्रवास/मानव तस्करी की शिकायतें प्राप्त होती हैं, तो ऐसे मामलों को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और पंजाब सरकार द्वारा लागू किए गए पंजाब मानव तस्करी रोकथाम अधिनियम, 2012 जैसे अन्य कानूनों के प्रासंगिक कानूनी प्रावधानों के तहत जांच और अभियोजन के लिए राज्य पुलिस को भेजा जाता है. यानी ऐसे एजेंट जो डंकी रूट से भारतीयों को विदेश भेज रहे हैं, उन पर भी उक्त धाराओं के तहत कार्रवाई हो सकती है.

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साइबर डोमेन में गृह मंत्रालय (एमएचए) और राज्य पुलिस अधिकारियों के सहयोग से अवैध भर्ती एजेंटों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाती है. पंजाब सहित पूरे भारत से अवैध भर्ती एजेंसियों के सोशल मीडिया पोस्टों को हटाने के अनुरोध नियमित रूप से गृह मंत्रालय के साथ साझा किए गए हैं और हाल ही में मंत्रालय और पंजाब पुलिस के संयुक्त अभियान में पंजाब स्थित अवैध भर्ती एजेंसियों के खिलाफ 38 एफआईआर दर्ज की गई हैं.

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