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'गेहूं निर्यात से तुरंत बैन हटाए सरकार', पंजाब के 23 किसान संगठनों ने किया चंडीगढ़ मार्च का ऐलान

गेहूं निर्यात पर केंद्र सरकार की ओर से लगाए गए बैन के विरोध में अब किसान संगठन सड़क पर उतर आए हैं. 23 किसान संगठनों ने आज मोहाली से चंडीगढ़ मार्च करने का ऐलान किया है.

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सरकार ने गेहूं के निर्यात पर लगाई है रोक (प्रतीकात्मक तस्वीर)
सरकार ने गेहूं के निर्यात पर लगाई है रोक (प्रतीकात्मक तस्वीर)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सूखे से नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजे की मांग
  • मोहाली से चंडीगढ़ मार्च करेंगे किसान

केंद्र सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दिया है. केंद्र सरकार की ओर से गेहूं के निर्यात पर बैन लगाए जाने को लेकर एक तरफ जहां दुनियाभर में खलबली मच गई है. वहीं दूसरी तरफ अब अपने ही देश में भी विरोध के स्वर उभरने लगे हैं. गेहूं के निर्यात पर बैन का 23 किसान संगठनों ने विरोध किया है. ये किसान संगठन गेहूं निर्यात पर लगाया गया बैन तुरंत हटाने की मांग कर रहे हैं.

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किसान संगठनों ने गेहूं निर्यात पर लगा बैन हटाने समेत अन्य मांगों को लेकर चंडीगढ़ में आज यानी 17 मई से विरोध-प्रदर्शन का ऐलान किया है. किसान संगठनों की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक मोहाली से चंडीगढ़ तक मार्च किया जाएगा. चंडीगढ़ मार्च की शुरुआत मोहाली के गुरुद्वारा अंब साहिब से दिन में 11 बजे होगी.

ये भी पढ़ें- गेहूं के निर्यात पर क्यों लगाई गई रोक, सरकार को कितनी जरूरत, किसानों पर क्या होगा असर?

किसान संगठनों ने सूखे के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा नहीं मिलने पर अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है. किसान संगठन 500 रुपये प्रति कुंतल के हिसाब से मुआवजे की मांग कर हैं. इससे पहले किसान संगठनों ने सरकार से गेहूं के निर्यात पर लगा बैन तत्काल प्रभाव से हटाने की मांग की थी.

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किसान संगठनों की ओर से कहा गया था कि निर्यात पर लगा बैन नहीं हटाया गया तो उनको नुकसान होगा. किसान संगठनों ने दावा किया था कि इससे उन आढ़तियों को फायदा होगा जिन्होंने उनका गेहूं पहले ही खरीद कर रखा हुआ है. किसान संगठनों की ओर से ये भी कहा गया था कि वे पहले ही सूखे की मार झेल रहे हैं.

किसानों का अपना तर्क है. किसान कह रहे हैं कि निर्यात बैन की वजह से वे अब कम कीमत पर अपना गेहूं बेचने के लिए मजबूर होंगे. सरकार की ओर से खरीद नियमों में ढील का फायदा पहले ही किसानों से गेहूं खरीद चुके निजी प्लेयर्स को होगा. मोहाली के किसान जसप्रीत सिंह, किसान नेता रुलदु सिंह मानसा ने भी सरकार के फैसले को किसान विरोधी बताया था.

रुलदु सिंह मानसा ने कहा था कि खरीद के नियमों में ढील का फैसला बहुत देर से लिया गया. किसान तो पहले ही अपनी उपज बेच चुके हैं. इसका लाभ किसानों की उपज खरीद चुके आढ़तियों को मिलेगा. कभी भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल रहे शिरोमणि अकाली दल की ओर से भी केंद्र के फैसले पर सवाल खड़े किए गए थे.

 

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