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गेहूं की सरकारी मंडियों में सन्नाटा, निजी खरीदारों को गेहूं बेच रहे किसान, 18.7 मिलियन टन कम हुई खरीद

Wheat procurement: सरकार ने गेहूं खरीद को लेकर बड़ा फैसला लिया है. जिन राज्यों में गेहूं खरीद की समय सीमा 15 तक समाप्त हो रही थी उसे बढ़ाकर 31 मई तक कर दिया गया है. चिंता की बात यह है कि किसान सरकारी मंडियों में गेहूं बेचने नहीं आ रहे हैं.

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सरकारी मंडी में गेहूं नहीं बेच रहे हैं किसान (फाइल फोटो- पीटीआई)
सरकारी मंडी में गेहूं नहीं बेच रहे हैं किसान (फाइल फोटो- पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सरकार ने गेहूं खरीद की तारीख बढ़ाई
  • निजी खरीदारों की ओर जा रहे किसान
  • गेहूं को लेकर सतर्क है सरकार

हरियाणा और पंजाब में गेहूं की सरकारी मंडियां सूनी पड़ी हैं. इस बार किसान अपना गेहूं बेचने के लिए सरकारी मंडी की ओर नहीं आ रहे हैं. इसलिए केंद्र सरकार ने हरियाणा और पंजाब में गेहूं खरीद की तारीख बढ़ा दी है. अब हरियाणा और पंजाब में गेहूं की खरीद 31 मई तक की जाएगी. हरियाणा की सरकारी मंडियों में गेहूं खरीद की तारीख 15 मई तक थी अब 31 मई तक सरकार किसानों से गेहूं खरीदेगी.

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एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार खाद्य मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि हरियाणा में गेहूं की खरीद की तारीख 31 मई तक बढ़ा दी गई है. पंजाब में गेहूं खरीद की तारीख 31 मई तक थी लेकिन किसान गेहूं बेचने मंडी तक आ ही नहीं रहे थे, इसलिए पंजाब सरकार 31 मई से पहले ही मंडियों में गेहूं खरीद को बंद करना चाहती थी. लेकिन खाद्य मंत्रालय ने पंजाब सरकार से अनुरोध किया है कि महीने के अंत तक गेहूं खरीद की प्रक्रिया जारी रखे.

बढ़ाई गई MSP मगर सरकार को गेहूं नहीं बेच रहे किसान

बता दें कि 2021-22 के मुकाबले केंद्र सरकार ने 2022-23 में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1975 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2015 रुपये कर दिया है. लेकिन किसान सरकारी मंडी का रुख नहीं कर रहे हैं.

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प्राइवेट खरीदारों को गेहूं बेच रहे हैं किसान

खाद्य मंत्रालय ने कहा है कि इस साल गेहूं की खरीद कम हुई है. क्योंकि  किसानों को बाजार में MSP से ज्यादा कीमत मिल रही है. इसलिए किसान निजी खरीदारों को गेहूं बेच रहे हैं.  

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14 मई तक 18 मिलियन टन गेहूं ही खरीद पाई सरकार

अगर आंकड़ों की बात करें तो साल 2022-23 में 14 मई तक सरकार मात्र 18 मिलियन टन गेहूं ही खरीद पाई है जो एक साल पहले के 36.7 मिलियन टन के आंकड़े से काफी कम है. यानी कि सरकार अबतक पिछले साल के मुकाबले 18.7 मिलियन टन कम गेहूं खरीद पाई है. इसलिए सरकार ने गेहूं खरीद की समय सीमा बढ़ा दी है. लेकिन ये ट्रेंड सरकार के लिए चिंता का विषय है. क्योंकि ऐसा होने से सरकार का अनाज भंडार खाली रह सकता है और इसका असर अगले कुछ महीनों में गेहूं की बढ़ती कीमतों के रूप में देखने को मिल सकता है. 

13 मई को गेहूं के निर्यात पर रोक लगा चुकी है सरकार 

इधर देश में पिछले कुछ दिनों से गेहूं की कीमतें लगातार बढ़ रही है. गेहूं की बढ़ती कीमतों पर रोक लगाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने 13 मई को गेहूं के निर्यात पर अस्थायी रोक लगा दी है. इससे गेहूं की कीमतें स्थिर होने की उम्मीद है.

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इस बीच पंजाब सरकार के खाद्य और सप्लाई मंत्री ने कहा है कि उन्होंने राज्य की 232 मंडियों को 31 मई तक गेहूं की खरीद करने को कहा है. खाद्य मंत्रालय के अनुसार दिल्ली और जम्मू-कश्मीर में 31 मई तक खरीद जारी रहेगी. राजस्थान में 10 जून तक सरकारी मंडियों में किसान गेहूं बेच सकेंगे. मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में 15 जून तक गेहूं की खरीद सरकार करेगी और उत्तराखंड में 30 जून तक ये प्रक्रिया जारी रहेगी. 

सरकारी ने अपनी नोडल एजेंसी भारतीय खाद्य निगम से भी कहा है कि वो सेंट्रल पूल के अंतर्गत गेहूं की खरीद जारी रखे. 


 

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