भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने राजकोट में एक नए जिला न्यायालय भवन का उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने गुजराती में बोलकर लोगों से जुड़ने का प्रयास किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट में सीजेआई के इस प्रयास की सराहना की. पीएम मोदी ने 'गुजरात तक' का एक वीडियो शेयर करते हुए अपने पोस्ट में लिखा, 'हमारे सुप्रीम कोर्ट के माननीय मुख्य न्यायाधीश ने राजकोट को बहुत अच्छी तरह से समझा है! गुजराती में बोलने और लोगों से जुड़ने का उनका यह सराहनीय प्रयास है'.
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कार्यक्रम के दौरान गुजरात के लोगों में अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करने और उद्यमशीलता की भावना के अनूठे मिश्रण की सराहना की, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दोहराया. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि राजकोट के लोग बदलाव और आधुनिकता को अपनाते हुए अपनी सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़े रहते हैं. सीजेआई ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, 'एक गुजराती टी ब्रेक को भी बिजनेस स्ट्रेटजी मीटिंग में बदल सकता है'. दरअसल, वह इस कथन के जरिए गुजरातियों के व्यापार कौशल की सराहना कर रहे थे.
આપણી સર્વોચ્ચ અદાલતના આદરણીય મુખ્ય ન્યાયાધીશ રાજકોટને સારી રીતે સમજી ગયા છે! ગુજરાતીમાં બોલવાનો અને લોકો સાથે જોડાવાનો તેમનો આ સરાહનીય પ્રયાસ….. https://t.co/R15Z1PimwJ
— Narendra Modi (@narendramodi) January 7, 2024
उन्होंने कहा, 'यहां जीवन के हर पहलू में उद्यमशीलता की निहित भावना उजागर होती है. मजाक से परे, गुजरात में प्रगति का मूल सार भी यही है. राजकोट भी अपने लोगों की तरह है. उसने भी अपनी सांस्कृतिक विरासत को बचाए रखते हुए बदलावों को अपनाया है. कल्चर को इनोवेशन के साथ जोड़ने की क्षमता ही असली डेवलपमेंट है'. राजकोट का नया जिला न्यायालय भवन, पांच मंजिला है. इसमें कोर्ट रूम, जजों के लिए रूम, एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हॉल, सरकारी वकीलों के लिए कक्ष, एक कैंटीन, एक लाइब्रेरी और एक बार रूम है.
यह नया जिला न्यायालय भवन राजकोट के लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि पहले शहर भर में फैली हुई 39 अदालतें अब एक छत के नीचे काम करेंगी. इससे न्यायिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने में मदद मिलेगी और अदालत के कर्मचारियों और वादियों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी. सीजेआई चंद्रचूड़ ने अपने संबोधन में कहा, 'इस अदालत भवन का उद्घाटन न केवल ज्यूडिशियल मॉर्डनाइजेशन की दिशा में एक कदम है, बल्कि गुजरात की प्रगतिशील प्रकृति, आधुनिकता के साथ परंपरा के मिश्रण का एक प्रमाण भी है'.