केंद्र सरकार द्वारा वक्फ बोर्ड की असीमित शक्तियों पर शिकंजा कसने के लिए संसद में एक विधेयक लाने की तैयारी कर रही है. केंद्र के संशोधित विधेयक में वक्फ बोर्ड में महिलाओं की अहम भूमिका होगी. इस विधेयक में किसी भी जमीन को अपनी प्रॉपर्टी बताकर उसपर कब्जा कर सकने की वक्फ की शक्ति पर रोक लगेगी. केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव का मुस्लिम पर्सलन लॉ बोर्ड ने कड़ा विरोध किया है.
इन सबके बीच हमें यह जानना होगा कि आखिर केंद्र को वक्फ बोर्ड को लेकर संशोधित विधेयक लाने की जरुरत क्यों पड़ रही है. दरअसल पूर्व में वक्फ अधिनियम के दुरुपयोग के कई मामले सामने आए हैं, इन्हीं मामलों में एक मामला तमिलनाडु का है जहां किसान राजगोपाल, जो लोन चुकाने के लिए अपनी कृषि भूमि नहीं बेच पाया क्योंकि वक्फ बोर्ड ने दावा किया था कि उसका पूरा गांव (थिरुचेंथुरई) ही उसकी संपत्ति है.
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क्या है पूरा मामला
तमिलनाडु के तिरुचि जिले में एक गांव है जिसका नाम है तिरुचेंथुरई. यहां 1500 साल पुराने मणेंडियावल्ली चंद्रशेखर स्वामी मंदिर की जमीन पर वक्फ बोर्ड ने मालिकाना हक का दावा कर दिया. मंदिर के पास गांव और उसके आसपास 369 एकड़ जमीन है. यहां रहने वाले किसान राजगोपाल गांव में स्थित अपनी 1.2 एकड़ जमीन किसी अन्य शख्स को बेचने की कोशिश की और जब विक्रय संबंधी औपचारिकताएं पूरा करने रजिस्ट्रार के दफ्तर पहुंचे तो उन्हें बताया कि जमीन तो उनकी है ही नहीं बल्कि यह तो तमिलनाडु वक्फ बोर्ड की है. राजगोपाल को वक्फ बोर्ड से NOC लाने के लिए कहा.
इस दावे से किसान और अन्य गांव वाले भी हैरान हैं. क्योंकि मामला एक किसान का नहीं बल्कि गांव में रहने वाले सभी लोगों का है . गांव में 1500 साल पुराना हिंदू मंदिर भी था.यह वाकई हास्यास्पद है कि 1400 साल पुराना धार्मिक बोर्ड 1500 साल पुराने मंदिर पर दावा कर रहा है.
राजगोपाल के अनुसार रजिस्ट्रार ने उन्हें बताया कि तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने डीड्स विभाग को 250 पन्नों का एक पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है कि तिरुचेंदुरई गांव में कोई भी भूमि लेनदेन केवल उसके अनापत्ति प्रमाण पत्र के साथ ही किया जाना चाहिए.
18 गांवों की जमीन पर भी दावा
इसके अलावा तमिलनाडु के 18 गांवों की जमीन पर भी वक्फ बोर्ड ने अपना दावा ठोक चुका है.. जिसमें कहा गया है कि इन गांवों में मौजूद 389 एकड़ जमीन वक्फ बोर्ड की है, जिसे 1954 में सर्वे के आधार पर सरकार द्वारा दिया गया था. बताया जा रहा है कि वक्फ बोर्ड की तरफ से 220 पन्नों का एक दस्तावेज तैयार करके सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में दिया गया है. जिसके आधार पर किसानों के जमीन बेचने पर फिलहाल रोक लगा दी गई है.
अन्य मामले
-हरियाणा के यमुनानगर जिले के जठलाना गांव में वक्फ की ताकत तब देखने को मिलीं, जब गुरुद्वारा (सिख मंदिर) वाली जमीन को वक्फ को हस्तांतरित कर दिया गया. इस जमीन पर किसी मुस्लिम बस्ती या मस्जिद के होने का कोई इतिहास नहीं है.
-नवंबर 2021 में मुगलीसरा में सूरत नगर निगम मुख्यालय को वक्फ संपत्ति घोषित किया गया था. तर्क यह दिया गया था कि शाहजहां के शासनकाल के दौरान, संपत्ति को सम्राट ने अपनी बेटी को वक्फ संपत्ति के रूप में दान कर दिया था, और इसलिए, आज लगभग 400 साल बाद भी इस दावे को उचित ठहराया जा सकता है.
-2018 में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष कहा कि ताजमहल का स्वामित्व सर्वशक्तिमान (Almighty) के पास है, और व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए इसे सुन्नी वक्फ बोर्ड की संपत्ति के रूप में सूचीबद्ध किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट द्वारा शाहजहां से हस्ताक्षरित दस्तावेज़ प्रस्तुत करने के लिए कहे जाने पर, इस निकाय ने दावा किया कि स्मारक सर्वशक्तिमान का है, और उनके पास कोई हस्ताक्षरित दस्तावेज़ नहीं है, लेकिन उन्हें संपत्ति का अधिकार दिया जाना चाहिए.
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वक्फ क्या है
वक्फ अरबी भाषा के वकुफा शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है ठहरना. वक्फ का मतलब, दरअसल उन संपत्तियों से है जो इस्लामी कानून के तहत विशेष रूप से धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए समर्पित हैं. इस्लाम में ये एक तरह का धर्मार्थ बंदोबस्त है. वक्फ उस जायदाद को कहते हैं, जो इस्लाम को मानने वाले दान करते हैं. ये चल-अचल दोनों तरह की हो सकती है.
ये दौलत वक्फ बोर्ड के तहत आती है. जैसे ही संबंधित संपत्ति का स्वामित्व बदलता है तो यह माना जाता है कि यह संपत्ति मालिक से अल्लाह को हस्तांतरित हो गई है. इसके साथ ही यह अपरिवर्तनीय हो जाता है.
‘एक बार वक्फ, हमेशा एक वक्फ’ का सिद्धांत यहां लागू होता है, यानि- एक बार जब किसी संपत्ति को वक्फ घोषित कर दिया जाता है, तो वह हमेशा वैसी ही रहती है. वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए प्रत्येक राज्य में एक वक्फ बोर्ड का गठन किया गया है.