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लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया ब्लॉक ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. दिल्ली में अलायंस की चौथी बैठक में सीट शेयरिंग पर चर्चा हुई. इस अलायंस में 28 पार्टियां शामिल हैं. ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि जो दल इंडिया ब्लॉक में शामिल हैं, वे पिछले चुनावों में कैसा प्रदर्शन कर पाए हैं. कहां वोटर्स की पसंद हैं और कहां उनको चुनौती मिलने वाली है? जानिए...
अलायंस की देश में क्या संभावनाएं...
एक्सिस माई इंडिया का एनालिसिस एक महत्वपूर्ण बात से शुरू होता है- विपक्षी दलों के INDIA गठबंधन की संभावना. क्योंकि उत्तर प्रदेश, हरियाणा और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में इस तरह के गठबंधन बनाना एक दूर के सपने जैसा लगता है. एक्सिस माई इंडिया ने इन इलाकों में 'संभव नहीं' के रूप में मार्क किया है. फैक्टर के रूप में कहा जा सकता है कि सत्तारूढ़ दल की मजबूत उपस्थिति या एक खंडित विपक्ष जो विलय करने में असमर्थ दिख रहा है.
पूर्वानुमान बताते हैं कि इंडिया ब्लॉक बिहार, झारखंड, तमिलनाडु, पुडुचेरी, महाराष्ट्र, केरल, जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में प्रभावी हो सकता है. इन राज्यों में गठबंधन का मतलब होगा कि संयुक्त विपक्ष 168 सीटों पर चुनाव लड़ेगा- जो देश की सभी संसदीय सीटों का लगभग एक-तिहाई हिस्सा है.
पश्चिम बंगाल, पंजाब और दिल्ली जैसे राज्यों में भी विपक्षी एकता के लिए राजनीतिक माहौल तैयार है, जिन्हें 'शायद' के रूप में मार्क किया गया है. यहां गठबंधन संभव है और पलड़ा झुकाने में अहम साबित हो सकता है. इससे गठबंधन में 88 सीटें और जुड़ जाएंगी, जिसमें 543 में से 256 सीटें शामिल हो जाएंगी. इस समीकरण का मतलब यह होगा कि इंडिया ब्लॉक हर दो में से एक सीट पर लड़ेगा. इस अनुपात में गठबंधन चुनाव परिणामों पर छाप छोड़ने के लिए तैयार है.
इसके अलावा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों में 134 सीटें हैं, जहां इंडिया अलायंस ज्यादा महत्व नहीं रखता है, क्योंकि पार्टियों के बीच पहले से ही कांटे की टक्कर है.
पिछले चुनावों में कौन पड़ा कमजोर, किसने बनाई बढ़त?
2004 से 2019 तक चार लोकसभा चुनावों के दौरान राजनीतिक परिदृश्य काफी बदल गया है. भारतीय जनता पार्टी का जबरदस्त ग्राफ बढ़ा है. बीजेपी 2004 में 138 सीटों (22.16 प्रतिशत) से बढ़कर 2019 में 303 सीटों (37.3 प्रतिशत) तक पहुंच गई है. दूसरी ओर, कांग्रेस ने इस दरम्यान उतार-चढ़ाव देखा है. 2009 में कांग्रेस 206 सीटों (28.55 प्रतिशत) के साथ टॉप पर पहुंच गई थी, लेकिन फिर 2014 में ग्राफ जबरदस्त नीचे गिर गया. हालांकि, 2019 में मामूली सुधार हुआ है.
भारतीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों का अपना महत्व और ग्राफ है. AIADMK, TMC, YSRCP और DMK जैसी पार्टियों की भूमिका तेजी से प्रमुख हो गई है. इस दरम्यान वाम दलों विशेष रूप से सीपीआई (एम) का ग्राफ घटा है. 2004 में 43 सीटों से घटकर CPI(M) बाद के चुनावों में कम महत्वपूर्ण भूमिका में आ गई.
भविष्यवाणियां और संभावनाएं क्या हैं?
हालांकि ऐसे विविध और गतिशील वातावरण में भविष्यवाणियां चुनौतीपूर्ण हैं. हमारा विश्लेषण बताता है कि पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र जैसे राज्य में राजनीतिक लड़ाई तेज हो सकती है. यहां गठबंधन स्थिति बदल सकते हैं. तमिलनाडु और केरल में क्षेत्रीय दलों की भूमिका राष्ट्रीय संदर्भ में महत्वपूर्ण होगी.
चूंकि देश इस चुनावी चौराहे पर खड़ा है, इसलिए आगामी लोकसभा चुनाव सिर्फ इस बात पर निर्भर नहीं है कि कौन जीतता है या कौन हारता है. यह चुनाव इस बारे में है कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र किस ओर जा रहा है. शतरंज की बिसात बिछ चुकी है, खिलाड़ी तैयार हैं और खेल शुरू होने वाला है.