सिंघु बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन वाली जगह पर एक शख्स की हत्या हुई. हत्या के कई दिल दहलाने वाले वीडियोज सोशल मीडिया पर तैर रहे हैं. इस हत्या का आरोप निहंग सिखों पर लगा है. कभी गुरु गोबिंद सिंह की इस फौज के बहादुरी के किस्से सुनाए जाते थे, लेकिन पिछले कुछ वक्त से निहंग सिख गलत वजहों से चर्चा में रहे हैं.
निहंग सिखों से जुड़ा सबसे पहला सवाल यह उठता है कि आखिर निहंग सिख कौन हैं? उनका इतिहास क्या है? दरअसल यह पुराने सिख योद्धाओं से निकला एक समूह है. कहा जाता है कि 1699 में जब गुरु गोबिंद सिंह द्वारा खालसा बनाया गया तो उसके साथ ही निहंग सिखों की भी उत्पत्ति हुई. ये लोग आज भी धर्म-संप्रदाय से जुड़ी जगहों पर रहते हैं.
निहंगों ने 18वीं/19वीं शताब्दी में मुगल और अफगान घुसपैठ का मुकाबला किया. अफगान आक्रमणकारी अहमद शाह अब्दाली का निहंगों ने जमकर सामना किया था. लेखक और इतिहासकार, पटवंत सिंह निहंगों को "पौराणिक और कट्टर सेनानियों के रूप में वर्णित करते हैं. जिन्होंने गुरु गोबिंद सिंह के समय से अबतक कई युद्ध जीते.
1818 में महाराजा रणजीत सिंह के सरकार-ए-खालसा बनने श्रेय काफी हद तक निहंग योद्धाओं को जाता है. 'सिखों का इतिहास' में खुशवंत सिंह ने लिखा है, 'मुल्तान की विजय ने पंजाब में अफगान प्रभाव को समाप्त कर दिया और दक्षिण में मुस्लिम राज्यों के ठोस आधार को तोड़ दिया. और इसने सिंध का रास्ता खोल दिया.' 1849 में ब्रिटिश साम्राज्य के वक्त में सरकार-ए-खालसा के पतन ने निहंगों के प्रभाव को भी कम कर दिया था.
निहंग का क्या मतलब है?
संस्कृत, फारसी, श्री गुरु ग्रंथ साहिब से इसके कई अर्थ निकलते हैं. जैसे गुरु शब्द में इसका मतलब तलवार, घड़ियाल/मगरमच्छ, घोड़ा आदि है. वहीं गुरु ग्रंथ साहिब में इसका मतलब एक जिद्दी निडर (निशंक) व्यक्ति है.
पोशाक, हथियार भी होते हैं खास
- नीले कपड़े, योद्धा शैली की पगड़ी जिसमें अर्धचंद्राकार, दोधारी तलवार बैज हो
- तलवार
- जंगी कड़ा या लोहे का कंगन
- करतार या कमरबंद खंजर
- ढाल
- युद्ध के जूते
- टोधादार बन्दूक या राइफल
वर्तमान समय के निहंग के तीन मंडल हैं. इसमें तरुना दल (युवा बल) और बुद्ध दल (बुजुर्ग बल) शामिल हैं. इनके अलावा कुछ ऐसे भी हैं जिनपर कोई केंद्रीकृत नियंत्रण नहीं है.
विवादों से जुड़ा है निहंग सिखों का नाम
- निहंगों पर भांग आदि के सेवन के आरोप लगते हैं, जिनकी सिख धर्म में मनाही है. लेकिन निहंग परंपरा का हवाला देते हुए इसके उपयोग को सही ठहराते हैं
- सिख बुद्धिजीवियों का मानना है कि वर्तमान निहंगों में से कई सिख आचार संहिता की तुलना में बाहरी ड्रेस कोड पर अधिक जोर देते हैं
- आरोप है कि आपराधिक तत्व, भूमाफिया अब निहंगों से जुड़ गए हैं, जिससे दिक्कतें बढ़ी हैं. वर्तमान में कुछ निहंग प्रथाएं मुख्यधारा की सिख परंपराओं के विपरीत हैं.
- बता दें कि कोरान लॉकडाउन के वक्त पटियाला में पुलिस पर निहंग सिखों ने हमला किया था. तब कुछ निहंग सिख ASI का हाथ काटकर फरार हो गए थे.
- दिल्ली में 26 जनवरी के दौरान जो प्रदर्शन हुआ था, उसमें भी कई वीडियोज ऐसे आए थे जिसने निहंगों पर सवाल खड़े किए थे.