जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता रहे सैयद अली शाह गिलानी (SA Geelani) के निधन को अभी एक हफ्ते भी नहीं हुए हैं और उसके करीबी रहे मसरत आलम भट (Masrat Alam Bhat) को हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का नया अध्यक्ष बना दिया गया है. मसरत आलम टेरर फंडिंग मामले में तिहाड़ जेल में बंद है. इतना ही नहीं, उस पर तीन दर्जन से ज्यादा एफआईआर और पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत 20 से ज्यादा केस दर्ज हैं.
लेकिन पाकिस्तान (Pakistan) ने जेल में किसी व्यक्ति को हुर्रियत का नेता क्यों चुना? इसका जवाब ये है कि 50 साल का मसरत आलम कट्टर पाकिस्तान समर्थक है. पाकिस्तान अशरफ सहराई को अध्यक्ष बनाना चाहता था, लेकिन मई 2021 में उसकी मौत हो गई. उसके बाद मसरत आलम ही पाकिस्तान की पहली पसंद था.
आलम का नाम 2010 में तब चर्चा में आया जब उसने कश्मीर घाटी में पत्थरबाजों को इकट्ठा किया और कई महीनों तक घाटी में उपद्रव मचाया. आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि मई से 21 सितंबर 2010 के बीच पत्थरबाजी से जुड़ी घटनाओं में घाटी में 110 लोगों की जान गई थी और 537 आम नागरिक घायल हुए थे. सूत्र बताते हैं कि गिलानी जो ऐलान करता था मसरत आलम उसे अंजाम देता था. ये लोग पाकिस्तान और लश्कर का खुलेआम समर्थन करते थे. 15 अप्रैल 2015 को एक जुलूस निकाला गया जिसमें 'तेरा मेरा क्या अरमान, कश्मीर बनेगा पाकिस्तान' और 'हाफिज सईद का क्या पैगाम, कश्मीर बनेगा पाकिस्तान, जीवे जीवे पाकिस्तान' जैसे नारे खुलेआम लगाए गए थे.
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तिहाड़ में बंद है मसरत आलम
मुस्लिम लीग के अध्यक्ष मसरत आलम को अक्टूबर 2010 में गिरफ्तार किया गया था, जिसे मार्च 2015 में रिहा कर दिया गया था. उसे फिर से 17 अप्रैल 2015 को गिरफ्तार कर लिया गया और श्रीनगर की सेंट्रल जेल भेज दिया गया. फिलहाल आलम दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है.
सूत्रों ने बताया कि क्योंकि आलम पर कई सारे केस दर्ज हैं, इसलिए उसका जेल से बाहर आ पाना मुश्किल है, लेकिन फिर भी पाकिस्तान ने उसे इसलिए चुना क्योंकि युवाओं में वो लोकप्रिय है. आर्टिकल 370 हटने के बाद हुर्रियत भी लगभग निष्क्रिय हो गया था. लेकिन आलम के जेल में रहने के बावजूद मुस्लिम लीग एक्टिव रहा और उसने कई सारी वारदातों को ऐसे वक्त अंजाम दिया, जब केंद्र सरकार उस पर बैन लगाने का विचार कर रही थी.
कश्मीर पर पाकिस्तान नेशनल असेंबली की विशेष समिति के अध्यक्ष शहरयार अफरीदी ने आलम की नियुक्ति का स्वागत किया है. हुर्रियत पर केंद्र सरकार की कार्रवाई के बाद से पाकिस्तान अलगाववादी संगठन को दोबारा एक्टिव करने की कोशिश कर रहा है.
मसरत आलम भट कट्टर पाकिस्तान समर्थक है और युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय है. आलम के हुर्रियत की कमान संभालने के बाद अब अगले कुछ दिनों में घाटी में विरोध प्रदर्शनों की आशंका भी बढ़ गई है.