दिल्ली में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के दो दिन के अधिवेशन में रविवार को दारुल उलूम देवबंद के प्रमुख और जमीयत के धर्मगुरु मौलाना अरशद मदनी के बयान से विवाद खड़ा हो गया है. अरशद मदनी ने कहा कि ओम और अल्लाह एक ही हैं और सवाल का जिक्र भी कर दिया कि जब धरती पर कोई नहीं था, तब मनु किसे पूजते थे? इतना ही नहीं, उन्होंने आदम को ही हिंदू और मुसलमान का पूर्वज बताया. वहां मौजूद दूसरे कई धर्मगुरुओं ने विरोध किया और मंच का बहिष्कार कर दिया.
सवाल उठ रहा है कि जिस मंच से एक दिन पहले ही मजबही दुश्मनी भुलाकर गले लगने की अपील की गई थी, उसी मंच पर बयान से बवाल मच गया. विवाद के बाद मौलाना अरशद मदनी ने फिर बयान दिया और कहा- वहां हिन्दू, सिख बाकी धर्म के लोग भी बैठे थे, कोई और नहीं उठा. हमारा मानना है कि उन्हें (जैन धर्मगुरु लोकेश मुनि) बैठे रहना चाहिए था. ओम और अल्लाह एक ही हैं. जो लोग घर वापसी के बात करते हैं, उनको पता होना चाहिए कि हम तो अपने घर में ही बैठे हैं. जो सबसे पहला इंसान था वो किसकी इबादत करता था?
उन्होंने आगे कहा- उस वक्त और कोई नहीं था- वो सिर्फ अल्लाह को मानते थे. हमें (मुसलमान) जो बोलते हैं कि अपने पूर्वज की तरफ चले जाओ. इस दुनिया में सबसे पुराना आदमी जन्नत से उतरा, वो हमारे पूर्वज हैं और वो हिंदुस्तान की सर जमीन पर ही उतरे थे. अरशद ने कहा- हमने जमीयत उलेमा ए हिंद (JAMIAT ULEMA-E-HIND) में अपनी बात रखी है कि मुसलमान लड़कियों के लिए अलग स्कूल होना चाहिए, जिसमें उनको इस्लाम की भी पढ़ाई करवाई जाए, ताकि उनको पता हो कि वो मुसलमान हैं.
अधिवेशन में अरशद मदनी ने क्या कहा था... पूरा बयान
''हम इस मुल्क के अंदर भाई-भाई की तरह रहते आ रहे हैं. हुकूमत बदलते-बदलते बीजेपी की सरकार आई. हमने कभी ये आवाज नहीं सुनी थी. हमने ये सुना कि इन 20 करोड़ मुसलमानों को घरवापस करो. ये आवाज इससे पहले कभी नहीं आई थी. फिरकापरस्त जहनियत हो गई कि वो ये समझती है कि हम 20 करोड़ मुसलमानों को दोबारा वापस करके अपने घर की तरफ ले जाएंगे यानी इसका मतलब हम उनको हिंदू बनाएंगे. इसलिए कि हिंदू उनका घर है. उनके बाप-दादा हिंदू थे. यहां पर धर्म गुरु बैठे हैं और मैं मुसलमानों को ही नहीं, पूरे मुल्क को ये बात पहुंचाना चाहता हूं कि ऐसा कहने वाले लोग ना अपने मुल्क के बारे में जानते हैं, वो जाहिल हैं. ना अपने मजहब के बारे में जानते हैं. मैं जो बात कर रहा हूं, वो सही कह रहा हूं. मैंने इस मसले पर गौर किया है. धर्म गुरुओं को भी ये बात समझनी चाहिए.''
''अल्लाह ने सबसे आखिरी नबी को अरब की सरजमी में उतारा. बिल्कुल उसी तरह हजरत आदम को.. जो नबी थे, उनको भारत की धरती के अंदर उतारा. अगर वो चाहते तो आदम को अफ्रीका, अरब, रूस के अंदर उतार देते. वो भी जानते हैं. हम भी जानते हैं कि आदम को उतारने के लिए भारत की धरती को चुना. आदम सबसे पहले आदमी हैं जिन्हें अल्लाह ने आसमान से उतारा. मैंने बड़े-बड़े धर्म गुरुओं से पूछा कि आसमान से उतरने वाले सबसे पहले आदमी आदम किसकी पूजा करते थे. कोई नहीं था. दुनिया के अंदर तन्हा एक आदम थे. उस आदम को कहते क्या हो. लेकिन, चूंकि कोई आसमानी किताब नहीं है, इसलिए लोग मुख्तलीब बातें कहते थे.''
''ये धर्म नया धर्म नहीं है. आज कहते हो कि घर चलो. हमने तो मनु की चौखट पर सिर रख रखा है. हम कहां जाएंगे. हमारा घर कोई नहीं है. मैं कहता हूं कि ये बात कहने वाले लोग तो जाहिल हैं. मुल्क और धर्मों के बारे में नहीं जानते हैं. लेकिन, मुझे हैरत है कि बहुत पढ़ा-लिखा आदमी, समझदार आदमी, आरएसएस का प्रमुख कहता है कि मुसलमान अगर चाहें तो अपने धर्म पर रहें और चाहें तो अपने पूर्वजों की तरफ लौट जाएं. क्या मतलब हिंदू बन जाएं. हमारा सबसे पहला पूर्वज मनु है, हम तो उसके चरण के ऊपर सिर रखे हुए हैं और दुनिया को कहते हैं कि आओ, आओ मनु के चरणों के ऊपर सिर रखो. हमारा ये धर्म है. हमको क्या कहते हो. हम अपनी जगह पर है. हम किसी को छेड़ते नहीं हैं. हम कभी अपने मजहब पर नहीं बोलते. आज पहली बार मजहब पर बोल रहा हूं. क्योंकि हमारे मजहबी मामलों में दखल क्यों देते हो. हम कहते हैं कि तुम जाहिल हो. तुम्हें पता नहीं है. तुम इस मुल्क के बारे में नहीं जानते हो.''
''हम तुम्हें बताते हैं कि मुल्क के बारे में. अल्लाह ने.. ओम ने, इसी धरती के ऊपर मनु को उतारा है. मनु यानी आदम को उतारा है. उनकी बीवी को हम हव्वा कहते हैं. वो हमवती कहते हैं, उसी को उतारा है. वो ही हमारे पूर्वज हैं. सबके पूर्वज हैं. नबी के पूर्वज हैं. रसूलों के पूर्वज हैं. हिंदुओं के पूर्वज हैं. मुसलमानों, ईसाइयों और यहूदियों के पूर्वज हैं. सारी दुनिया के पूर्वज हैं. हमने उनके कदमों के ऊपर सिर रख रखा है. हम मर जाएंगे, मगर वहां से सिर नहीं उठाएंगे. हम मुसलमान हैं. हमारा ये अकीदा है. अल्लाह यानी ओम... एक हैं. उसका कोई सरीक नहीं है. 1400 साल से इस मुल्क के अंदर रह रहे हैं. हमें कभी छेड़ा नहीं गया है. तुमने छेड़ा है तो तुम्हें पूर्वज के बारे में बताते हैं. तुम्हारे पूर्वज हिंदू नहीं थे. तुम्हारे सबसे पहला दादा-परदादा...मनु था. मनु एक अल्लाह की... एक ओम की इबादत करने वाला था. मैंने ये बात इसलिए कही है कि ताकि तुम इस मुल्क पर फख्र करो. हर मुसलमान को समझना चाहिए कि सबसे पहला नबी, अल्लाह ने... ओम ने इसी भारत की धरती के अंदर पैदा किया. हमारी नस्लें यहीं से चली हैं. शरीयत अलग-अलग है. लेकिन दीन एक है. लोग रास्ते से भटक गए और दूसरे की इबादत करने लगे.''
कौन हैं अरशद मदनी...
मौलाना अरशद मदनी, जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष हैं. 8 फरवरी 2006 को अरशद मदनी को उनके बड़े भाई मौलाना असद मदनी के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिन्द का अध्यक्ष चुना गया था. 2012 में वह मुस्लिम वर्ल्ड लीग, मक्का, केएसए के सदस्य चुने गए. इसके साथ ही मदनी सहारनपुर में दारुल-उलूम देवबंद में हदीस के प्रोफेसर हैं और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य हैं.
अरशद मदनी कई धार्मिक संस्थानों के संरक्षक और सलाहकार भी हैं. उनके पिता मौलाना सैयद हुसैन अहमद मदनी भी जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष रहे हैं. माल्टा में कैदी रहे हैं. इसके साथ ही हुसैन अहमद मदनी, दारुल उलूम में हदीस के शिक्षकों और प्रोफेसर के प्रमुख भी थे.
अरशद ने 1997 में मदनी चैरिटेबल ट्रस्ट बनाया, जो पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में धार्मिक शिक्षण संस्थानों को संचालित करता है. ट्रस्ट ने औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र भी स्थापित किए हैं. अरशद मदनी 1996 से 2008 तक दारुल उलूम, देवबंद में स्टडी डायरेक्टर भी थे. इसी संस्थान में उन्हें 1982 में टीचर नियुक्त किया गया था.