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असम-मिजोरम सीमा पर हुई हिंसा की पूरी कहानी, घायल पुलिस वालों की जुबानी

असम और मिजोरम की की सीमा पर लैलापुर इलाके में 26 जुलाई को हुई हिंसा (Assam-Mizoram Border Issue) में अब तक कुल 6 पुलिसकर्मी शहीद हो चुके हैं. 

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असम-मिजोरम सीमा विवाद में घायल जवान
असम-मिजोरम सीमा विवाद में घायल जवान
स्टोरी हाइलाइट्स
  • असम-मिजोरम हिंसा में छह पुलिसकर्मी शहीद
  • कई पुलिसकर्मियों का अस्पताल में चल रहा है इलाज

असम और मिजोरम की की सीमा पर लैलापुर इलाके में 26 जुलाई को हुई हिंसा (Assam-Mizoram Border Issue) में अब तक कुल 6 पुलिसकर्मी शहीद हो चुके हैं. पांच पुलिसवालों ने गोली लगने के बाद इलाज के पहले ही दम तोड़ दिया तो एक पुलिस वाला इलाज के दौरान सिलचर मेडिकल कॉलेज में शहीद हो गया.

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असम पुलिस ने इस पूरी घटना की जांच के लिए आदेश जारी कर दिए है, वहीं केंद्र सरकार भी मामले के समाधान के लिए दोनों राज्यों के उच्चस्तर के अधिकारियों को दिल्ली बुला चुकी है. इसके अलावा, 26 जुलाई की हिंसा में गोलियों से छलनी कई पुलिसवालों का अब भी सिलचर मेडिकल कॉलेज में इलाज किया जा रहा है.

घायल जांबाज पुलिस कर्मियों ने 'आजतक' के साथ बातचीत में उस दिन के मंजर के बारे में विस्तार से बताया.  सिलचर में तैनात असम पुलिस के कांस्टेबल गोपी कांत सिन्हा 26 जुलाई को लैलापुर में असम और मिजोरम की सीमा पर मौजूद थे. गोपी कांत बताते हैं कि जब भीड़ को हटाने के लिए असम पुलिस आगे बढ़ी तो मिजोरम की तरफ से भी पुलिस वाले आए.

मिजोरम की ओर से स्थानीय लोगों ने ना सिर्फ पत्थरबाजी की, बल्कि पक्षी मारने वाले बंदूकों से छर्रों की फायरिंग भी की, जिससे पुलिसवालों को चोट भी आई. गोपी कांत के मुताबिक, जब दोनों राज्यों के सीमावर्ती जिलों के एसपी स्तर के अधिकारी आपस में बात कर रहे थे, तभी अचानक मिजोरम की तरफ से ऊंचाई वाले इलाकों से लाइट मशीन गन से अंधाधुंध फायरिंग होने लगी. गोपी कांत के पैरों में गोली लगी और घायल अवस्था में वह लगभग 300 मीटर रेंगते हुए गोलियों की बौछार के बीच से सुरक्षित इलाके तक पहुंचे. 

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गोपी कांत बताते हैं कि कैसे उनके सामने पुलिस वाले गोलियां खा रहे थे. गोपी कांत कहते हैं कि कभी ऐसी हिंसक वारदात दोनों राज्यों के पुलिस के बीच नहीं हुई, बल्कि उनके रिश्ते बेहद अच्छे हुआ करते थे, लेकिन एक ही देश में एक राज्य की पुलिस दूसरी राज्य के पुलिस पर गोली चला रही है ऐसी तस्वीर को देखकर उन्हें बड़ा दुख है. 

26 जुलाई की हिंसा में घायल कछार के सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस को ‌इलाज के लिए एअरलिफ्ट करके मुंबई भेजा गया जबकि पांच अन्य पुलिस वालों को इलाज के लिए एअरलिफ्ट करके गुवाहाटी भेजा गया. सिलचर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ बाबुल बेज़बरुआ कहते हैं कि मुख्यमंत्री के आदेश पर उन्होंने सभी पुलिस वालों को अच्छा इलाज देने की कोशिश की है और कई पुलिसवालों को अस्पताल से डिस्चार्ज भी कर दिया गया है लेकिन जब उन्हें लाया गया था तो वह बेहद गंभीर अवस्था में थे, कइयों को गोली लगी थी. 

गोलीबारी में घायल जवान का हो रहा इलाज
गोलीबारी में घायल जवान का हो रहा इलाज

वहीं, उन्हीं बहादुर पुलिसवालों में एक थे कॉन्स्टेबल जहर उल इस्लाम, जिन्हें पॉइंट टू जीरो की 13 गोलियां लगी थी. यकीन करना मुश्किल है, लेकिन 13 गोलियों से छलनी होने के बावजूद कॉन्स्टेबल जहर उल इस्लाम मानो किसी चमत्कार से बच गए हैं. उनकी वर्दी खून से लथपथ है और गोलियों के निशान शरीर पर जिंदा है. वहीं, अब भी शरीर से सारी गोलियां नहीं निकली हैं और जो गोलियां शरीर में रह गई हैं उन्हें बाद में सर्जरी के जरिए निकाला जाएगा. जहर उल इस्लाम बताते हैं कि जब गोलियां चलनी शुरू हुई तो उन्हें पता ही नहीं चला कि स्थिति कैसी हो गई है और बस वह किसी तरह बचने मैं कामयाब हुए. वह बताते हैं कि उन्हें कुल 13 गोलियां लगीं. पॉइंट टू जीरो की ये गोलियां उनके पैरों में कमर में और सीने में भी निशान छोड़ गई हैं. 

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बता दें कि असम के सीमावर्ती इलाकों में कुछ क्षेत्रों को लेकर के इसका विवाद नागालैंड के साथ भी है और मिजोरम के साथ भी है. हिंसा की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं, लेकिन इस तरह की आक्रामकता और ऐसी गोलीबारी शायद ही पहले कभी देखी गई हो जब पुलिस वालों को गोलियों से छलनी कर दिया जाए. हालात पर काबू पाने के लिए तमाम कोशिशें की जा रही हैं लेकिन जमीनी हालात अभी भी तनावपूर्ण बने हुए हैं और सभी एजेंसियां चौकस है कि दोबारा ऐसी घटना ना होने पाए. 

 

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