सिरिल अमरचंद मंगलदास के पार्टनर ऋषभ श्रॉफ ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2025 में बताया कि भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के बावजूद देश के सबसे अमीर लोग विदेश क्यों जा रहे हैं. 'A Case for Tomorrow' सेशन में, जिसे बिजनेस टुडे के एडिटर सिद्धार्थ ज़राबी ने मॉडरेट किया, श्रॉफ ने बताया कि हाई-नेट-वर्थ इंडिविजुअल्स (HNWIs) तेजी से विदेशी पासपोर्ट ले रहे हैं और अपनी संपत्ति विदेशों में स्थानांतरित कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि भले ही देश की 1.7 अरब की आबादी में से बाहर जाने वाले लोगों की संख्या कम लगे, लेकिन इनका असर बड़ा है. ये लोग बिजनेस लीडर, जॉब क्रिएटर और बड़े टैक्सपेयर हैं. इनके जाने से भारत में वेल्थ मैनेजमेंट, बिजनेस ऑपर्च्युनिटी और इकॉनमिक पॉलिसी पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं.
डिस्कशन के दौरान सिद्धार्थ जराबी ने कहा कि भारत में बिजनेस करना पहले से आसान हुआ है, फिर भी कई सेकंड जनरेशन बिजनेस फैमिलीज और अमीर लोग विदेश का रुख कर रहे हैं. इस पर श्रॉफ ने जवाब दिया, 'मुझे सटीक आंकड़ा याद नहीं, लेकिन 2023-24 में करीब 7,000 लोग भारत छोड़कर गए. ये वो 1% या 1% का भी 1% हैं. ये लोग दुबई, सिंगापुर, अमेरिका और यूके में पासपोर्ट ले रहे हैं.'
उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 'गोल्डन कार्ड' स्कीम लॉन्च की, जो खासतौर पर ऐसे लोगों को नागरिकता या रेजिडेंसी देने के लिए बनाई गई, जो वहां निवेश करते हैं.
श्रॉफ के मुताबिक, सबसे बड़ी वजह 'ग्लोबल डायवर्सिफिकेशन' है. भारत के कई अमीर लोग देश की फाइनेंशियल मार्केट से बाहर निकलकर प्राइवेट डेट, क्रिप्टोकरेंसी, और मेटा-गूगल जैसी टेक स्टॉक्स में निवेश करना चाहते हैं. लेकिन भारत का रेगुलेटरी सिस्टम उन्हें ऐसा करने से रोकता है.
उन्होंने कहा, 'चाहे आपका पोर्टफोलियो कितना भी डाइवर्स हो- इक्विटी, डेट, रियल एस्टेट- सबकुछ भारत तक ही सीमित रहता है. लेकिन ये लोग ग्लोबल फूटप्रिंट चाहते हैं.'
इसी कारण कई अमीर भारतीय दुबई और सिंगापुर में 'फैमिली ऑफिस' खोल रहे हैं, जहां फाइनेंशियल रेगुलेशन ज्यादा लचीला है. कुछ परिवार तो अपने नेक्स्ट जनरेशन के वारिसों को भी इन देशों में शिफ्ट कर रहे हैं, ताकि वे वहां की इन्वेस्टमेंट ऑपर्च्युनिटी संभाल सकें.