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Earthquake: क्यों बार-बार हिल रही है दिल्ली-NCR की धरती? जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

दिल्ली-एनसीआर और उत्तराखंड समेत उत्तर भारत के कई इलाकों में एक हफ्ते में दूसरी बार भूकंप के तेज महसूस किए गए. इस बीच सवाल उठने लगे हैं कि आखिर दिल्ली-एनसीआर में बार-बार भूकंप आने के पीछे क्या कारण है? आखिर दिल्ली में जमीन के नीचे क्या चल रहा है, कहीं ये किसी बड़े भूकंप की आहट तो नहीं?

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दिल्ली-एनसीआर में भूकंप से किसी नुकसान की जानकारी नहीं है
दिल्ली-एनसीआर में भूकंप से किसी नुकसान की जानकारी नहीं है

Earthquake in Delhi-NCR: दिल्ली-एनसीआर और उत्तराखंड समेत उत्तर भारत के कई इलाकों में एक हफ्ते में दूसरी बार भूकंप के तेज महसूस किए गए. शनिवार देर शाम आए भूकंप के तेज झटकों से लोग घबरा गए और घरों-दफ्तरों से बाहर दौड़ पड़े. इस बीच सवाल उठने लगे हैं कि आखिर दिल्ली-एनसीआर में बार-बार भूकंप आने के पीछे क्या कारण है? आखिर दिल्ली में जमीन के नीचे क्या चल रहा है, कहीं ये किसी बड़े भूकंप की आहट तो नहीं?

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इसके लिए एक्सपर्ट भी चेतावनी जारी कर चुके हैं. जिनका कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है. हालांकि ये कब आए, इसकी पुष्टि अभी नहीं की गई है. दिल्ली-एनसीआर के नीचे 100 से ज्यादा लंबी और गहरी फॉल्ट्स हैं. इसमें से कुछ दिल्ली-हरिद्वार रिज, दिल्ली-सरगोधा रिज और ग्रेट बाउंड्री फॉल्ट पर हैं. इनके साथ ही कई सक्रिय फॉल्ट्स भी इनसे जुड़ी हुई हैं.

जवाहरलाल नेहरू सेंटर ऑफ एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च में प्रोफेसर सीपी राजेंद्रन के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है. लेकिन ये कब आएगा और कितना ताकतवर होगा, ये कह पाना मुश्किल है. सीपी राजेंद्रन ने 2018 में एक स्टडी की थी. इसके मुताबिक साल 1315 और 1440 के बीच भारत के भाटपुर से लेकर नेपाल के मोहाना खोला तक 600 किलोमीटर लंबी सीसमिक गैप बन गई थी. 600-700 सालों से ये गैप शांत है, लेकिन इस पर लगातार भूकंपीय दबाव बन रहा है. हो सकता है कि ये दबाव भूकंप के तौर पर सामने आए. अगर यहां से भूकंप आता है तो 8.5 तीव्रता तक हो सकता है. डराने वाली बात यही है कि दिल्ली में 8.5 तीव्रता का भूकंप आया तो क्या होगा, कितनी बड़ी तबाही आएगी इसका अनुमान लगाना बहुत मुश्किल नहीं है.

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भूकंप क्यों और कैसे आता है?

वैज्ञानिक रूप से समझने के लिए हमें पृथ्‍वी की संरचना को समझना होगा. पृथ्‍वी टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है. इसके नीचे तरल पदार्थ लावा है और इस पर टैक्टोनिक प्लेट्स तैरती रहती हैं. कई बार ये प्लेट्स आपस में टकरा जाती हैं. बार-बार टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्‍यादा दबाव पड़ने पर ये प्‍लेट्स टूटने लगती हैं. ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्‍ता खोजती है. जब इससे डिस्‍टर्बेंस बनता है तो इसके बाद भूकंप आता है.

क्या भूकंप की भविष्यवाणी की जा सकती है?

भूकंप वैज्ञानिक डॉ. रोहताश ने बताया, "इंडियन प्लेट यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है. इसकी वजह से स्ट्रेस लेवल डेवलप होता है. एक लिमिट के बाद इसमें फ्रेक्शन बढ़ जाता है. इसी वजह से भूकंप आता है. दो प्लेटों के टकराने की वजह से ऐसी घटना होती है. भूकंप की भविष्यवाणी का दावा तो बहुत सारे लोग करते हैं, लेकिन उसके पीछे किसी तरह की वैज्ञानिक पद्धति नहीं है."

उन्होंने आगे बताया, "चाइना ने एक समय दावा किया था कि जानवरों के व्यवहार को देखकर भूकंप की भविष्यवाणी की जा सकती है. मगर, यह भी दावा भी सही साबित नहीं हुआ. वैसे भूकंप की भविष्यवाणी तीन दावों पर निर्भर करती है कि भूकंप कब आएगा? भूकंप कहां आएगा? और भूकंप कितनी तीव्रता का आएगा? इन तीनों भविष्यवाणी को लेकर कोई दावा नहीं कर सका है, इसलिए आज तक कोई भी रिसर्च सफल नहीं हुई है."

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कैसे मापी जाती है तीव्रता? 

भूकंप को रिक्टर स्केल पर मापा जाता है. रिक्‍टर स्‍केल भूकंप की तरंगों की तीव्रता मापने का एक गणितीय पैमाना होता है, इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है. रिक्टर स्केल पर भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है. ये स्‍केल भूकंप के दौरान धरती के भीतर से निकली ऊर्जा के आधार पर तीव्रता को मापता है.

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