देश के राजधानी दिल्ली में इस साल जुलाई में महीने में कुछ अजीब मौसम देखने को मिला. यहां कभी बारिश हुई तो बेतहाशा बारिश हुई, या फिर कभी मॉनसूनी बरसात के लिए लोग तरफ गए लेकिन इस बीच उमस वाली गर्मी हमेशा बरकरार रही. दिल्ली में इस महीने कहीं बारिश तो कहीं सूखा वाला मौसम भी रहा लेकिन उमस हर इलाके में सता रही है. हालांकि ये हाल सिर्फ देश की राजधानी की नहीं है. देश के अधिकतर राज्यों में भीषण गर्मी के बीच बारिश का सिलसिला जारी है. लेकिन उमस इतनी बढ़ गई कि लोगों का हाल-बेहाल है.
आसमान में सूरज की लुका-छिपी जारी है लेकिन गर्मी का कहर लगातार बना हुआ है. जिस्म पर चिपचिपापन और पसीने से गीले कपड़े इन दिनों की आम परेशानी है. बढ़ती उमस यानी आर्द्रता सुबह से लेकर रात तक परेशानी का सबब बनी हुई है. दिल्ली में जुलाई का औसत अधिकतम तापमान 35.8 डिग्री सेल्सियस रहा है. लेकिन इस वक्त की खतरनाक गर्मी जून के 48 डिग्री के तापमान से भी ज्यादा सता रही है. क्या आपने सोचा है कि बारिश होने के बाद उमस इतनी बढ़ क्यों जाती है और ये उमस भरी गर्मी मई-जून की चिलचिलाती गर्मी से भी ज्यादा क्यों रुलाती है? आइये जानते हैं..
कैसे बढ़ जाती है उमस?
दरअसल, मई और जून में इतनी भीषण गर्मी होती है कि ये मौसम को एकदम शुष्क बना देती है और वातावरण में मौजूद नमी बेहद कम हो जाती है. लेकिन इसके बाद जब बारिश पड़ती है तो ये राहत नहीं कहर बन जारी है. इस दौरान तपती धरती पर पानी की कुछ बूंदें पड़ती है तो गर्म जमीन से भाप निकलती है. ये भाप वातावरण में नमी को बढ़ाती है. इस बारिश से तापमान में गिरावट तो आती है लेकिन ये मामूली गिरावट होती है, तो बारिश के बाद हमें बढ़ते तापमान के साथ नमी भी महसूस होती है, जिससे उसम भी झेलनी पड़ती है. हालांकि इस साल बारिश भी असामान्य है. एक दिन भयंकर बारिश होती है तो अगले 10 दिन एक बूंद भी नहीं बरसती. ऐसे में बारिश के समय तापमान कम होने वाली वक्ती राहत भी नहीं मिल रही.
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उमस वाली गर्मी में आता है ज्यादा पसीना!
अब सवाल उठता है कि उमस भरी गर्मी में इतना पसीना क्यों आता है? इसकी वजह भी वातारण में बढ़ती नमी ही है. पसीना आना प्राकृतिक क्रिया है, जो शरीर को ठंडा रखने के लिए आता है. मनुष्य के शरीर का सामान्य तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होता है. लेकिन जब बाहर का तापमान बढ़ने होने लगता है तो शरीर को ठंडा करने के लिए पसीना आने लगता है. पसीना निकलने से शरीर का तापमान सामान्य बना रहता है.
Humidity में क्यों लगती है रुलाने वाली गर्मी?
मई-जून में सूखी गर्मी यानी वातावण में नमी की कमी होती है, इस दौरान पसीना आने पर ये जल्द ही हवा में उड़ जाता है यानी हवा पसीने को सोख लेती है और हमें शुष्क गर्मी का एहसास होता है इसलिए इस दौरान ज्यादा पानी पाने की भी सलाह दी जाती है. वहीं, उमस वाली गर्मी के दौरान यानी जब वातावरण में नमी आ जाती है तो गर्मी के चलते शरीर से पसीना तेजी से निकलता है. लेकिन इसके सोखने की क्रिया धीमी हो जाती है क्योंकि वातावरण में नमी पहले से ही मौजूद होती है. ऐसे में हमें चिपचिपापन महसूस होने लगता है और हमारे कपड़े पसीने से तर हो जाते हैं.
यही वजह है कि बारिश के बाद वाली यानी उमस भरी गर्मी हमें ज्यादा परेशान करती है. इस दौरान बढ़े तापमान और नमी दोनों से शरीर का टकराव होता है. इसीलिए लोग उमस वाली गर्मी में ज्यादा चिढ़चिढ़ापन और खुद को बेचैन महसूस करते हैं.