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राजस्थान में वसुंधरा राजे को लेकर बीजेपी क्यों पसोपेश में है?

राजस्थान में टिकट फाइनल करने में बीजेपी और कांग्रेस देर क्यों कर रही है, कच्चे तेल के दाम में कई महीनों बाद उछाल क्यों आया और अब क्या करेगी सरकार और अगस्त महीने में आपके खाने की थाली पिछले साल की तुलना में कितनी महंगी हो गई? सुनिए 'आज का दिन' में.

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vasundhra raje
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देश में इस वक़्त जी20 की धूम है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन समेत कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष आज दिल्ली पहुंच रहे हैं. कुछ तो पहुंच भी चुके हैं. जी20 के इस अंतरराष्ट्रीय चकाचौंध के चलते ख़बरों में देश की पॉलिटिक्स ने भले ही बैकसीट ले ली हो, लेकिन जिन राज्यों में चुनाव होने हैं वहां राजनीतिक हलचल कम नहीं हुई है. चाहे मध्य प्रदेश हो, राजस्थान या फिर छत्तीसगढ़, तीनों राज्यों के सीएम लगातार राज्य का दौरा कर रहे हैं, पब्लिक कार्यक्रमों में शिरकत कर रहे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी लगातार चुनावी राज्यों का दौरा कर रहे हैं. अभी एक दिन पहले वो राजस्थान में थे, आज छत्तीसगढ़ में होंगे.

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बीजेपी ने एक क़दम आगे बढ़कर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कुछ कैंडिडेट्स का ऐलान कर दिया. कांग्रेस को लेकर भी चर्चा है कि एमपी और छत्तीसगढ़ के लिए जल्द ही कुछ उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर सकती है. लेकिन राजस्थान में दोनों ही पार्टियां टिकट बंटवारे के मोर्चे पर शिथिल नज़र आती हैं. ऐसा क्यों है, क्या बीजेपी की टॉप लीडरशिप मजबूरी में ही सही वसुंधरा राजे को ही आगे करने जा रही है राजस्थान की लड़ाई में? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें. 

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दुनिया में तेल उत्पादक और निर्यातक देशों का एक संगठन है ओपेक+. कच्चे तेल का प्रोडक्शन कितना बढ़ाना या घटाना है, ऐसे फैसले ये आपस में मिलकर करते हैं. ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में इसका हेड क्वॉर्टर है. ईरान, इराक, कुवैत, लीबिया, वेनेज़ुएला, सऊदी अरब और रूस जैसे देश इसका हिस्सा हैं. दो दिन पहले सऊदी और रूस ने इस साल के अंत तक कच्चे तेल का उत्पादन 13 लाख बैरल कम करने की बात कही. तेल उत्पादन में कटौती की इस घोषणा के साथ ही इंटरनेशनल मार्केट में तेल की कीमतों में भारी उछाल देखने को मिला. कच्चे तेल का बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 90 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर पहुंच गया. जो पिछले साल अक्टूबर से 75 डॉलर से 85 डॉलर प्रति बैरल के बीच रही है.

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सऊदी अरब की सरकारी न्यूज एजेंसी सऊदी प्रेस एजेंसी की तरफ से कहा गया कि देश अभी भी ऑयल मार्केट को मॉनिटर कर रहा है और यदि जरूरत पड़ी तो आगे भी इस कटौती को जारी रखेगा. वहीं रूस की समाचार एजेंसी TASS ने उप प्रधानमंत्री और पूर्व ऊर्जा मंत्री अलेक्जेंडर नोवाक के हवाले से कहा कि रूस तेल उत्पादन में प्रतिदिन तीन लाख बैरल की कटौती को कंटिन्यू करेगा. तो इन देशों ने तेल उत्पादन में कटौती का फैसला क्यों किया है और इस फैसले का कितना इम्पैक्ट भारत पर पड़ने वाला है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें. 
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रेटिंग एजेंसी क्रिसिल हर महीने ईयर ऑन ईयर बेसिस पर बताती है कि आपके खाने की थाली कितनी महंगी या सस्ती हुई है. तो कल फूड प्लेट कॉस्ट का जो ताज़ा मंथली इंडीकेटर आया है, उसके मुताबिक़ वेजिटेरियन थाली यानी शाकाहारी थाली की लागत एक साल पहले के मुकाबले अगस्त 2023 में 24 फीसदी महंगी रही. यानी पिछले साल अगस्त के मुक़ाबले इस साल क़रीब एक चौथाई दाम और बढ़ गया. हालाँकि, नॉन-वेज थाली पर महंगाई की मार थोड़ी कम पड़ी और वहां ये 13 फीसदी बढ़ी है. क्रिसिल खाने पीने की चीजें जैसे अनाज, दाल, सब्जी, मसाले, खाने के तेल, चिकेन और रसोई गैस की कीमतों के आधार पर एक थाली की औसतन कीमत निकालती है. इससे लोगों के खानपान पर आ रहे खर्च और इसकी कीमत में आ रहे बदलाव का पता लगाने में आसानी होती है. अगस्त महीने में फ़ूड प्लेट के महंगे होने के पीछे वजह क्या रही और आगे इस मोर्चे पर कुछ राहत मिलने के आसार दिखते हैं क्या? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें. 

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