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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन मोदी का अहमदाबाद के यूएन मेहता अस्पताल में निधन हो गया. 100 साल की हीरा बा को बीते बुधवार को ही तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. पीएम मोदी का मां से खास लगाव था. गुजरात के मुख्यमंत्री रहे और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी व्यस्ततम दिनचर्या के बीच कई बार मां से मिलने अहमदाबाद जाया करते थे. PM ने बीते 18 जून को मां के 100वें जन्मदिन पर बचपन से जुड़ी तमाम यादों को भी लोगों के साथ साझा किया था.
अपने जीवन से जुड़े प्रंसगों के जरिए पीएम मोदी ने यह भी साफ किया था कि आखिर मां हीरा बा उनके साथ कभी सार्वजनिक कार्यक्रमों में क्यों नहीं दिखती थीं? दरअसल, गाहे-बगाहे सोशल मीडिया समेत दूसरे मंचों पर यह चर्चा होती रहती थी कि पीएम मोदी के साथ उनके सरकारी आवास में मां क्यों नहीं रहतीं? या फिर हीरा बा अपने प्रधानमंत्री बेटे के संग कभी किसी कार्यक्रम नजर क्यों नहीं आईं?
पहले सवाल यानी मां को अपने साथ नहीं रखने के सवाल पर PM मोदी ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था, ''पहली बात तो यह कि अगर मैं प्रधानमंत्री बनकर घर से निकला होता तो स्वभाविक रूप से मेरा भी मन करता कि मां और परिवार के साथ रहूं. मैं जिंदगी की बहुत छोटी आयु में सबकुछ छोड़ चुका हूं. इसलिए लगाव या मोह-माया नहीं रख पाया. दूसरी बात यह है कि मैंने मां को अपने साथ बुला लिया था, काफी दिन उनके साथ बिताए भी थे. लेकिन मां ही मुझसे कहती रहीं कि तुम मेरे पीछे क्यों समय खराब करते हो. मैं तुम्हारे साथ रहकर यहां क्या करूंगी? जबकि वहां यानी गांव के घर में तो लोगों से मिलना-जुलना होता रहता है. तीसरी बात यह कि मैं भी उनको समय नहीं दे पाता था. काम में ही लगा रहता था. एकाध बार उनके साथ में खाना खा लेता था. फिर मुझे ही दर्द महसूस होता था कि मैं रात को 12 बजे आता हूं और मां इंतजार करती करती हैं.''
वहीं, दूसरे सवाल मतलब कभी मां किसी कार्यक्रम में क्यों साथ नहीं दिखतीं? इसको लेकर PM मोदी खुद अपने शब्दों में लिखा, ''आपने भी देखा होगा, मेरी मां कभी किसी सरकारी या सार्वजनिक कार्यक्रम में मेरे साथ नहीं जाती हैं. अब तक दो बार ही ऐसा हुआ है जब वो किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में मेरे साथ आई हैं.
श्रीनगर से लौटा बेटा तो सम्मान समारोह में आईं मां
एक बार मैं जब 'एकता यात्रा' के बाद श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहरा कर लौटा था, तो अहमदाबाद में हुए नागरिक सम्मान कार्यक्रम में मां ने मंच पर आकर मेरा टीका किया था. मां के लिए वो बहुत भावुक पल इसलिए भी था, क्योंकि एकता यात्रा के दौरान फगवाड़ा में एक हमला हुआ था, उसमें कुछ लोग मारे भी गए थे. उस समय मां मुझे लेकर बहुत चिंता में थीं. तब मेरे पास दो लोगों का फोन आया था. एक अक्षरधाम मंदिर के श्रद्धेय प्रमुख स्वामी जी का और दूसरा फोन मेरी मां का था. मां को मेरा हाल जानकर कुछ तसल्ली हुई थी.
दूसरी बार वो सार्वजनिक तौर पर मेरे साथ तब आई थीं, जब मैंने पहली बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. 20 साल पहले का वो शपथग्रहण ही आखिरी समारोह है, जब मां सार्वजनिक रूप से मेरे साथ कहीं उपस्थित रही हैं. इसके बाद वो कभी किसी कार्यक्रम में मेरे साथ नहीं आईं.
मुझे एक और वाकया याद आ रहा है. जब मैं CM बना था तो मेरे मन में इच्छा थी कि अपने सभी शिक्षकों का सार्वजनिक रूप से सम्मान करूं. मेरे मन में ये भी था कि मां तो मेरी सबसे बड़ी शिक्षक रही हैं, उनका भी सम्मान होना चाहिए. हमारे शास्त्रों में कहा भी गया है- माता से बड़ा कोई गुरु नहीं है- 'नास्ति मातृ समो गुरुः.' इसलिए मैंने मां से भी कहा था कि आप भी मंच पर आइएगा. लेकिन उन्होंने कहा, ''देख भाई, मैं तो निमित्त मात्र हूं. तुम्हारा मेरी कोख से जन्म लेना लिखा हुआ था. तुम्हें मैंने नहीं, भगवान ने गढ़ा है.'' ये कहकर मां उस कार्यक्रम में नहीं आई थीं. मेरे सभी शिक्षक आए थे, लेकिन मां उस कार्यक्रम से दूर ही रहीं.''
PM के आगे लिखते हैं, ''मां हीराबा अपने नागरिक कर्तव्यों के प्रति मां हमेशा से बहुत सजग रही हैं. जब से चुनाव होने शुरू हुए पंचायत से पार्लियामेंट तक के इलेक्शन में उन्होंने वोट देने का दायित्व निभाया. कुछ समय पहले हुए गांधीनगर म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन के चुनाव में भी मां वोट डालने गई थीं.
कई बार मुझे वह कहती हैं, ''देखो भाई, पब्लिक का आशीर्वाद तुम्हारे साथ है, ईश्वर का आशीर्वाद तुम्हारे साथ है, तुम्हें कभी कुछ नहीं होगा. वह बोलती हैं कि अपना शरीर हमेशा अच्छा रखना, खुद को स्वस्थ रखना क्योंकि शरीर अच्छा रहेगा तभी तुम अच्छा काम भी कर पाओगे.''
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन ने बीते 18 जून को ही अपने 100वें वर्ष में प्रवेश किया था. उस दौरान PM ने गांधीनगर में अपनी मां के पैर पखारे और उस पानी को अपनी आंखों से लगाया था. मां हीराबा ने भी जन्मदिन पर मिलने पहुंचे बेटे का मुंह मीठा कराया और आशीर्वाद दिया था.
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