कांग्रेस के दिग्गत नेता शशि थरूर अपने ट्वीट्स को लेकर हमेशा चर्चा में रहते हैं. इस बार उन्होंने ट्वीट के जरिए भारत-ब्रिटेन नीत सौर ऊर्जा पहल के संक्षिप्त रूप ‘ओसोवोग’ (OSOWOG) पर चुटकी ली. उन्होंने मंगलवार को कहा कि ‘वोग’ हम जैसे ‘विली ओरिएंटल जेंटलमैन’ का अपमान करने वाला ब्रिटिश शब्द है.
दरअसल, भारत ने ग्लासगो में COP-26 क्लाइमेट चेंज समिट में ‘एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड’ (OSOWOG) का आह्वान किया, जिसका लक्ष्य जहां सूर्य की रोशनी है वहां सौर ऊर्जा का दोहन करना और उस संचित ऊर्जा की आपूर्ति वहां करना, जहां उसकी सर्वाधिक जरूरत हो.
शशि थरूर ने इसे लेकर ट्वीट किया, 'यकीन नहीं होता है कि ब्रिटेन-भारत की नई पहल 'वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड' (एक सूर्य, एक दुनिया, एक ग्रिड) का संक्षिप्त रूप ओसोवोग (OSOWOG) है. वोग हम जैसे विली ओरिएंटल जेंटलमैन का अपमान करने का शब्द है और 'ओह सो वोग.' यह बहुत भद्दा लगता है. इसका सपना प्रधानमंत्री कार्यालय में सिर्फ कोई कच्चे कान वाला व्यक्ति ही देख सकता है.'
Can't believe the acronym for the new UK-India "One Sun One World One Grid" is OSOWOG. WOG is a Brit term of insult for the likes of us Wily Oriental Gentlemen, and "Oh So Wog!" sounds like a nasty put-down. Can only have been dreamed up by someone at @PMOIndia with a tin ear. https://t.co/dqQPDpTEKF
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) November 2, 2021
मरियम वेबस्टर शब्दकोश के अनुसार, वोग शब्द का उपयोग 'अश्वेत विदेशियों और खास तौर से पश्चिम एशिया या सुदूर पूर्व से आने वालों का अपमान करने के लिए किया जाता है.'
क्या है OSOWOG
वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड (ओएसओडब्ल्यूओजी) एक ऐसी योजना है जिससे पूरी दुनिया को बिजली सप्लाई की जाएगी. इंटरनेशनल सोलर अलायंस (ISA) के मुताबिक, OSOWOG के जरिए एक ऐसी ग्रिड विकसित की जाएगी, जो क्षेत्रीय सीमाओं के परे होगी. यह ग्रिड दुनियाभर से समेटी गई सौर ऊर्जा को अलग-अलग लोड सेंटर्स तक पहुंचाएगी. पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा था कि सूरज कभी अस्त नहीं होता. दुनिया के किसी न किसी कोने में उसकी रोशनी राउंड द क्लॉक पहुंचती रहती है. लिहाजा, इसका इस्तेमाल विभिन्न इलाकों में बड़े पैमाने पर सोलर एनर्जी तैयार करने में हो सकता है.
OSOWOG पर क्या बोले पीएम मोदी
ग्लास्गो में पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा, 'जितनी ऊर्जा पूरी मानव जाति पूरे साल भर में उपयोग करती है, उतनी ऊर्जा सूर्य एक घंटे में धरती को देता है'. 'वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड' दुनिया के लिए जरूरी, इससे क्लीन एनर्जी मिल पाएगी. उन्होंने कहा, कार्बन फुटप्रिंट और ऊर्जा की लागत कम होगी, देशों के बीच सहयोग का मार्ग खुलेगा. ग्रीन ग्रिड इनीशिएटिव के सामंजस्य से वैश्विक ग्रिड का विकास होगा. इसरो दुनिया को सोलर कैलकुलेटर एप्लीकेशन देने जा रही है, इससे विश्व की किसी भी जगह सोलर एनर्जी को मापा जा सकेगा.