सेना में स्थाई कमीशन मिलने में हो रही देरी को लेकर महिला ऑफिसर्स ने अब सरकार को कानूनी नोटिस भेजा है. यह नोटिस रक्षा मंत्रालय को उन 72 महिलाओं ने भेजा है जिनको सेना में स्थाई कमीशन देने के लिए योग्य ठहराया गया था. महिला अफसरों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए ऑर्डर में स्थाई कमीशन देने की बात हो चुकी है. नोटिस में कहा गया है कि स्थाई कमीशन ना देना सुप्रीम कोर्ट की अवज्ञा करने जैसा है. नोटिस डिफेंस सेक्रेटरी और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत को भी भेजा गया है.
महिला अफसरों की तरफ से वकील सुधांशु पांडे ने कहा है कि उनकी क्लाइंट्स भारतीय सेना की अनुशासित अधिकारी हैं, वे इस मामले को आगे ज्यादा खींचना नहीं चाहती हैं. नोटिस में आगे कहा गया है कि ऐसा लगता है कि मामले को उच्च अथॉरिटी को अगवत करवाए बिना सबोर्डिनेट अथॉरिटी देख रही है.
25 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 25 मार्च को दिए अपने आदेश में कहा था कि स्थाई कमीशन में महिलाओं की नियुक्ति को लेकर सेना के पैमाने बेतुके और मनमाने हैं. कोर्ट ने कमीशन को लेकर महिलाओं के लिए मेडिकल फिटनेस की आवश्यकता को 'मनमाना' और 'तर्कहीन' बताया था. साथ ही कहा था कि 'हमारे समाज की संरचना पुरुषों द्वारा पुरुषों के लिए बनाई गई है.'
पढ़ें - क्या है स्थाई कमीशन, सेना में काम कर रहीं महिलाओं को ऐसे मिलेगा फायदा
कोर्ट ने कहा था कि स्पेशल 5 सेलेक्शन बोर्ड के असेसमेंट में 60 फीसदी अंक हासिल करने वाली महिला सैन्यकर्मियों को स्थायी कमीशन में नियुक्ति दी जाए. कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय को यह करने के लिए दो महीने का वक्त दिया था. दो महीने निकलने के बाद आर्मी अथॉरिटी ने कोर्ट का रुख किया था और कहा था कि 60 फीसदी अंक के बावजूद ये 72 महिलाएं अनफिट हैं. इसके पीछे कई अन्य वजहें गिनाई गई थीं. नोटिस में बताया गया है कि फिलहाल ये ऑफिसर्स सस्पेंड हैं जिनकी वजह से इनको मानसिक दबाव भी रहता है.