पश्चिम बंगाल के संदेशखाली की टीएमसी नेता के खिलाफ यहां ग्रामीण सड़कों पर उतर गए हैं. संदेशखाली के बेरमाजुर में टीएमसी नेता शंकर सरदार के घर में प्रदर्शनकारियों ने तो़ड़फोड़ की है. साथ ही हलधर अरी के खिलाफ भी प्रदर्शन हुए हैं. अजित मैती की गिरफ्तारी के बाद हलधर अरी को टीएमसी का स्थानीय संयोजक नियुक्त किया गया है. हलधर के बाहर रखे सामान को प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया. अतिरिक्त पुलिस के साथ यहा आरएएफ की भी तैनाती कर दी गई है.
हाईकोर्ट ने कहा- गिरफ्तार हो शाहजहां शेख
इस बीच कलकत्ता हाईकोर्ट ने संदेशखाली मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू कर दी है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने राज्य सरकार से पूछा कि वह स्पष्ट करेंगे कि एसके शाहजहां के खिलाफ पुलिस कार्रवाई पर कोई रोक नहीं है? कोर्ट ने कहा कि पहले से ही शाहजहां शेख के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज है और वह एक आरोपी है और इसलिए शाहजहां को गिरफ्तार किया जाना चाहिए. हाईकोर्ट ने कहा, 'एक गलत धारणा बनाई गई है कि शाहजहां शेख की गिरफ्तारी पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश दिया गया है जबकि इस तरह की कोई भी रोक नहीं लगाई गई है, इसलिए उसे गिरफ्तार किया जाना चाहिए.'
हाईकोर्ट ने कहा, 'यह जानकर आश्चर्य होता है कि क्षेत्र की घटनाओं की सूचना राज्य पुलिस को 4 साल पहले दी गई थी और मामलों को 42 आरोपपत्रों में बदलने में 4 साल लग गए. कोर्ट इस बात पर विचार करेगा कि क्या कानूनी सेवा प्राधिकरण से अनुरोध किया जाना चाहिए.
बीजेपी नेता ने अपनी याचिका में कही ये बात
वहीं संदेशखाली में पीड़ितों के मामले की याचिकाकर्ता भाजपा नेता प्रियंका टिबरेवाल ने कहा कि पीड़ित शिकायत दर्ज करने से डरते हैं.भाजपा नेता प्रियंका टिबरेवाल ने भी एक याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने धारा 144 के मुद्दे उठाए हैं और बताया है कि कैसे टीएमसी मंत्रियों को क्षेत्र का दौरा करने की अनुमति दी जा रही है और बीजेपी नेताओं को नहीं जाने दिया जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया है कि पीड़ितों को टीएमसी मंत्रियों द्वारा डराया जा रहा है.
टिबरेवाल ने कहा कि अगर अन्य सभी के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है तो टीएमसी मंत्रियों को संदेशखाली में प्रवेश की अनुमति कैसे दी जा रही है? इस पर सरकार ने कहा कि मंत्रियों ने उस किसी भी जगह का दौरा नहीं किया है जहां धारा 144 लागू है.
हाईकोर्ट ने कहा कि आज अखबारों की रिपोर्टों से पता चलता है कि सरकार पीड़ितों को भूमि पुनर्वासित कर रही है. इससे अधिक और क्या साबित करने की जरूरत है कि जमीन पर कब्जा हुआ है? मामले की अगली सुनवाई 4 मार्च को होगी.