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पहलवानों की सरकार से टूटी आस, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा WFI का केस: दिन भर, 24 अप्रैल

नीतीश कुमार 2024 में कांग्रेस की छतरी को बड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं, रूठों को मनाने पहुंच रहे हैं, आज उन्होंने मुलाक़ात की ममता बनर्जी और अखिलेश यादव से...लेकिन क्या नीतीश के पास ऐसे प्रस्ताव होंगे कि ममता और अखिलेश पिघल जाएं, कुश्ती संघ के खिलाफ़ पहलवानों की लड़ाई का मामला अब पहुंच गया है सुप्रीम कोर्ट. ऐसा लगता है कि इस मसले के हल के लिए पहलवानों की सरकार से आस अब नहीं रही, कोर्ट जाने के बाद इस मामले में क्या हो सकता है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज मध्य प्रदेश के रीवा में थे जहां उन्होंने राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर एक सम्मेलन में हिस्सा लिया. आज इसी बहाने हम पंचायती राज की बात करेंगे, क्यों भारत में इस शासन व्यवस्था को इतना महत्व दिया जाता है, बात देश के उस आइकॉनिक कोर्ट केस की, जिसे आज पचास साल पूरे हो गए हैं...इस केस को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हार के तौर पर देखा जाता है. क्या क्या बदला इस फैसले के बाद, सुनिए 'दिन भर' में

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बेकार जाएगी नीतीश की कोशिश?
 

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मैं चाहती हूं कि BJP ज़ीरो हो जाए. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज ये बात कही, जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उनसे मिलने कोलकाता पहुंचे थे.  

ममता के बाद नीतीश ने लखनऊ के लिए उड़ान भरी और वहां सपा प्रमुख अखिलेश यादव से उनकी मुलाक़ात हुई/होनी है. इन दोनों मुलाक़ातों में नीतीश के साथ आरजेडी नेता और उनके डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी साथ थे. ममता बनर्जी और अखिलेश यादव, इन दोनों नेताओं की पार्टियां 2024 चुनाव में कांग्रेस की छतरी से अलग जाने की इच्छा जता चुके हैं. याद रखना चाहिए कि नीतीश कुमार 2024 में अब कांग्रेस के साथ हैं और ऐसा लगता है कि वो कांग्रेस से रूठे दलों को साथ लाने के लिए नए सिरे से दलों को अप्रोच कर रहे हैं. नीतीश कुमार कह चुके हैं कि अगर कांग्रेस के साथ सारे विपक्षी दल मिलकर चुनाव लड़ेंगे तो 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी 100 सीटें भी नहीं ला पाएगी. लेकिन क्या नीतीश के पास वो गर्मजोशी और प्रस्ताव होंगे कि वो ममता बैनर्जी को मना सकेंगे, सुनिए 'दिन भर' में

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 तीन महीने बाद भी FIR क्यों नहीं?

भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष और BJP सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों की लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. विनेश फोगाट समेत 8 कुश्ती खिलाड़ियों ने सुप्रीम कोर्ट में बृजभूषण के खिलाफ FIR दर्ज करने की अपील की है. दो महीने पहले जब कई महिला पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह पर सेक्शुअल हरासमेंट का आरोप लगाया था, लेकिन अब तक इस मामले में FIR नहीं की गई है. ओलिंपिक एसोसिएशन और स्पोर्ट्स मिनिस्ट्री ने एक जांच कमेटी बनाई थी, वो जांच पूरी हो गई है लेकिन अब तक उसका नतीजा सार्वजनिक नहीं हुआ है. पहलवानों का आरोप है कि कमेटी ने बृजभूषण शरण सिंह को क्लीन चिट दे दी है, इसलिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है.  

खिलाड़ी एक बार फिर जंतर मंतर पर धरने पर बैठे हैं. पहलवान बजरंग पुनिया ने खाप पंचायतों और राजनीतिक दलों से समर्थन की अपील की है, सुनिए 'दिन भर' में

 

पंचायती राज क्यों है खास?

तीस बरस पहले 24 अप्रैल को देश के संविधान में 73वीं बार संशोधन किया गया. इससे लोकतंत्र को ज़मीनी स्तर तक पहुंचाने के लिए पंचायती राज संस्थान को संवैधानिक दर्जा दिया गया. इसलिए 2010 से भारत में हर साल 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के तौर पर मनाया जाता है. हालाँकि इस व्यवस्था की नींव काफी पहले पड़ गई थी. केंद्रीय बिजली व्यवस्था में सुधार लाने के मक़सद से बलवंत राय मेहता की अगुआई में एक समिति बनाई गई थी. इस कमिटी के सुझावों के बाद साल 1959 में गांधी जयंती के दिन पंडित नेहरु ने राजस्थान के नागौर से इसकी शुरुआत की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज मध्‍य प्रदेश के रीवा में पंचायती राज दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे. इस कार्यक्रम में उन्होंने 17,000 करोड़ रुपये की लागत की कई परियोजनाओं की आधारशिला रखी. उन्होंने पंचायती राज को कमज़ोर करने के लिए कांग्रेस की पुरानी सरकारों पर निशाना भी साधा. तो पंचायती राज व्यवस्था क्या है और भारत जैसे देश में इसकी क्या अहमियत है? सुनिए 'दिन भर' में

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सबसे बड़े केस के 50 साल पूरे

हिंदुस्तान के सबसे आइकॉनिक जजमेंट में से एक कहे जाने वाले केशवानंद भारती जजमेंट के पचास साल पूरे हो गए हैं. आज आपको इसकी कहानी बताते हैं. 

1973 में केरल के इडनीर मठ के मठाधीश, केशवानंद भारती केरल सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. मामला भूमि सुधार के कानून से जुड़ा था जिसके जरिए सरकार मठों की संपत्ति ज़ब्त करना चाहती थी, लेकिन कुछ ही दिनों बाद इस केस  में केंद्र सरकार की भी एंट्री हुई. पहली बार किसी केस पर 13 जजों की बेंच बैठी. सुनवाई का मुख्य बिंदु ये था कि क्या कोई सरकार संविधान की मूल भावना को बदल सकती है. 

 

केस का फैसला केशवानंद भारती के पक्ष में आया और इसे इंदिरा गांधी के हार के रूप में देखा गया. तो आज इस केस को 50 साल हो गए हैं, लेकिन क्यों इस केस को ज्यूडिशियल सिस्टम के लिए बेंचमार्क केस कहा जाता है, इसकी कहानी क्या है, सुनिए 'दिन भर' में

 

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