अलगाववादी नेता यासीन मलिक के टेरर फंडिंग में दोषी पाए जाने पर NIA की स्पेशल कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. दिल्ली में बुधवार को कड़ी सुरक्षा के बीच यासीन को तिहाड़ जेल से कोर्ट लाया गया था. यासीन मलिक ने सुनवाई के दौरान कबूल कर लिया था कि वह कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल था. यासीन प्रतिबंधित संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का चीफ है. इस केस में 5 साल पहले यासीन को गिरफ्तार किया गया था. तब के एनआईए के आईजी रहे जीपी सिंह ने आज तक को बातचीत में उस पूरे घटनाक्रम के बारे में जानकारी शेयर की है.
जीपी सिंह कहते हैं कि ये फैसला राष्ट्र हित में है. राष्ट्र दोह के ऊपर राष्ट्र प्रेम की जीत है. जो भी लोग राष्ट्र दोह में संलिप्त हैं, उनके लिए क्लियर वार्निंग है. नए भारत में इस तरह की किसी भी गतिविधि के लिए स्थान नहीं है. जीपी सिंह बताते हैं कि 2017 में जब ये केस दर्ज हुआ था, उस समय भारत सरकार की तरफ से क्लियर आदेश था कि कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को पनाह देने वाले लोगों पर एक्शन लिया जाए और हर तरह के सबूत उनके खिलाफ जुटाए जाएं.
सरकार के आदेश की कड़ी में एनआईए के तत्कालीन महानिदेशक ने हमें आदेश दिया था. इसके बाद एनआईए के कई बड़े अधिकारियों ने कश्मीर में जाकर कैंप किया और अपनी पहचान गुप्त रखी थी. हुर्रियत कांफ्रेंस के अलग-अलग कार्यालय कहां हैं, उनके कागजात कहां रखे गए हैं, इस सारी चीजों को कलेक्ट किया गया और उन्हीं सबूतों के आधार पर यासीन मलिक की गिरफ्तारी हुई थी और उसके बाद चार्जशीट दाखिल की गई थी.
कोर्ट में तमाम कागजात और सबूत पेश किए गए. अभी सारे आरोपी हैं. उनका ट्रायल चल रहा है. एविडेंस के बारे में बताना अभी ठीक नहीं है, लेकिन इतना कह सकता हूं. सबूत काफी पुख्ता हैं और इसी वजह से इस केस में यासीन मलिक ने खुद गुनाह कबूल किया. बता दें कि आईजी जीपी सिंह को भी इस केस का हिस्सा बनाया गया था. जबकि मामले की जांच अरविंद नेगी ने की थी. एनआईए अफसर अनिल शुक्ला सुपरवाइजर थे.
बता दें कि यासीन मलिक ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि वो सजा पर कुछ नहीं कहेगा. कोर्ट दिल खोल कर मुझे सजा दे. यासीन ने कहा कि मेरी तरफ से सजा के लिए कोई बात नहीं की जाएगी. यासीन मलिक कोर्ट में करीब 10 मिनट तक शांत खड़ा रहा.
यासीन ने कोर्ट में कहा कि उसने भारत के कई प्रधानमंत्रियों के साथ हरसंभव बातचीत की. मुझे जब भी कहा गया. मैंने समर्पण किया. बाकी कोर्ट को जो ठीक लगे, वो उसके लिए तैयार है.