यमनी लड़ाकों (हूती विद्रोहियों) ने दो बड़े सैन्य अभियानों को अंजाम देकर ग्लोबल कम्यूनिटी का ध्यान फिर से अपनी ओर खींचा है. उनके इन हमलों ने एक बार फिर तेल व्यापार और समुद्री मार्गों की सुरक्षा को लेकर वैश्विक परिदृष्य में बड़ी चिंता खड़ी कर दी है. पहला बड़ा हमला अमेरिकी तेल जहाज "ओलंपिक स्पिरिट" पर किया गया. यह जहाज लाल सागर में स्थित था. इस ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए हुती ल़़ड़ाकों ने 11 बैलिस्टिक मिसाइलों और दो ड्रोन का इस्तेमाल किया. इस हमले से जहाज को गंभीर क्षति हुई है.
तेल परिवहन मार्ग को अस्थिर करने की कोशिश
इस ऑपरेशन को संयुक्त रूप से हूती की मिसाइल फोर्स, ड्रोन एयर फोर्स, और नौसेना बलों ने मिलकर अंजाम दिया. उनके अनुसार, यह हमला दुश्मन की समुद्री गतिविधियों को नियंत्रित करने और उन्हें चेतावनी देने के उद्देश्य से किया गया था. बता दें कि लाल सागर, एक प्रमुख तेल परिवहन मार्ग है और इस हमले के बाद यह परिवहन मार्ग और अधिक अस्थिर हो सकता है.
हिंद महासागर में भी जहाज पर किया हमला
हूती लड़ाकों ने दूसरा बड़ा हमला हिंद महासागर में मौजूद "सेंट जॉन" नामक जहाज पर किया. इस हमले में क्रूज मिसाइल का इस्तेमाल किया गया और जहाज पर सीधा हमला किया गया, जिससे वह भी क्षतिग्रस्त हुआ. हूती बलों ने इन हमलों के जरिए ये संकेत देने की कोशिश की है कि, उनकी सैन्य शक्ति और समुद्र के बीच युद्ध लड़ने की उनकी क्षमता को कम न आंका जाए, साथ ही यह भी कि, वे अपने शत्रुओं के खिलाफ किसी भी स्थिति में आक्रामक कार्रवाइयां कर सकते हैं.
"इजरायल" के खिलाफ नौसैनिक नाकेबंदी रहेगी जारी
हूती बलों ने इस हमले के बाद घोषणा की है कि वे "इजरायल" के खिलाफ अपनी नौसैनिक नाकेबंदी जारी रखेंगे. उनका कहना है कि जब तक "आक्रमण" नहीं रुकता, वे अपनी सैन्य कार्रवाइयों को बंद नहीं करेंगे. उनके अनुसार, वे समुद्री परिचालन क्षेत्र में सक्रिय रहेंगे और अपने दुश्मनों के खिलाफ इस तरह के हमले जारी रखेंगे. इन हमलों के बाद, अंतरराष्ट्रीय समुदाय विशेष रूप से अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की चिंताएं बढ़ गई हैं, क्योंकि ये हमले तेल और व्यापारिक मार्गों पर सीधा प्रभाव डालते हैं. लाल सागर और भारतीय महासागर में हुई इन कार्रवाइयों ने समुद्री सुरक्षा को गंभीर संकट में डाल दिया है.
अभी तक इस हमले पर वैश्विक शक्तियों की तरफ से कोई बड़ी प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन यह निश्चित है कि ये हमले निकट भविष्य में भू-राजनीतिक तनाव को बढ़ा सकते हैं.