1971 ये युद्ध में अरुण खेतरपाल ने जो शौर्य दिखाया उसके सामने आज भी कोई शौर्यगाथा कम ही पड़ जाती है. पूना हॉर्स के सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेतरपाल बहुत ही कम उम्र में सेना में आये. अरुण जब अकादमी से पास आउट हुए तब पाकिस्तान के साथ भारत की जंग शुरू होने ही वाली थी. जब युद्ध शुरू हुआ तो अरुण को उसमें जाने की इजाजत भी नहीं मिली क्योंकि तब उन्हें सेना में आये सिर्फ छह महीने ही हुए थे. उन्हें अफसर ट्रेनिंग कोर्स के लिए भेजा जा रहा था. लेकिन अरुण किसी भी कीमत पर मोर्चे पर जाना चाहते थे. वो लेफ्टिनेंट कर्नल हनूत सिंह के पार रोते हुए पहुंचे. उन्होंने कहा कि उनका नाम इस कोर्स से हटा दिया जाये. देखें पूरी कहानी.
In this war of 1971, the bravery shown by Arun Khetarpal is still remembered. When Arun passed out from the academy, the war had just begun. He was not even allowed to go there because it had been only six months since he had joined the army. He was being sent for a training course. But Arun wanted to go to the front. Know his full story.