6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले से पहले ही एक याचिका सुप्रीम कोर्ट के सामने आ चुकी थी. ये याचिका इस मामले पर थी कि उत्तर प्रदेश को रथ यात्रा के लिए परमिशन नहीं मिलनी चाहिए और बाबरी मस्जिद में कुछ गलत नहीं होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के फॉर्मर जस्टिस रंगनाथ मिश्र ने इसको लेकर ऑर्डर पास किया था. उसके बाद कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट पिटीशन आई और 30 सालों तक रही. अब बाबरी मस्जिद से जुड़े मामलों पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कुछ पुराने मामलों को बंद करने का फैसला किया है. यह निर्णय याचिकाकर्ता और मामले में आरोपी शख्स यानी की दोनों की मौत होने के बाद लिया गया है.