कोरोना की दूसरी लहर में मौत का जो तांडव देश ने देखा वो भूलने वाली घटना नहीं है. कोई ये भी नहीं भूल पाएगा कि उस समय देश की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई थी. ऑक्सीजन की किल्लत का मामला दिल्ली और इलाहाबाद हाईकोर्ट्स के साथ ही सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था और अदालतों ने कहा था कि मेडिकल ऑक्सीजन की कमी से देश तड़पता है, तो ये बर्दाश्त नहीं होगा लेकिन अब देश की संसद को बताया गया है कि ऑक्सीजन की कमी से कोरोना की दूसरी लहर में एक भी मौत रिपोर्ट नहीं हुई. इस सरकारी जवाब पर खूब राजनीति हो रही है. लिखित जवाब में ये बताया गया कि कोरोना की दूसरी लहर में 9000 मीट्रिक टन तक ऑक्सीजन डिमांड हुई, जबकि पहली लहर में अधिकतम डिमांड 3095 मीट्रिक टन थी लेकिन क्या कोविड की दूसरी लहर में आई तस्वीरों को नकारा जा सकता है? देखें
The government claims that it has no data on death caused by Oxygen shortage during the covid second wave has sparked off a major controversy, Is the government guilty of misleading parliament? Also, there's a concern over deaths beings under reported in the country. But the question is, can we ignored the images of oxygen crisis during second wave?