शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे आखिरकार जिंदगी की जंग हार गए. शनिवार दोपहर साढ़े तीन बजे उनका निधन हो गया. उन्हें दिल का दौरा पड़ा और फिर बाला साहेब संभल नहीं पाए. वह 86 वर्ष के थे.
बाल ठाकरे का जन्म तत्कालीन बोम्बे रेजिडेंसी के पुणे में 23 जनवरी 1926 को एक मराठी परिवार में हुआ. बाल ठाकरे का जन्म का नाम बाल केशव ठाकरे था.
बालासाहब ठाकरे और हिंदू हृदय सम्राट के नाम से भी उन्हें जाना जाता है. बाल ठाकरे हिंदूवादी राजनीति पार्टी 'शिव सेना' के फाउंडर हैं.
ठाकरे की देखरेख कर रहे डॉक्टर जलील पारकर के मुताबिक ठाकरे ने दोपहर बाद 3.30 बजे अंतिम सांस ली.
डॉ. पारकर ने बताया, 'बाल ठाकरे की हृदय गति रुक गई और प्रयासों के बावजूद हम हृदय गति बहाल नहीं कर सके.'
डॉ. पारकर 'मातोश्री' से बाहर आकर ये जानकारी दी.
इस दौरान मातोश्री के बाहर कड़ी सुरक्षा का इंजताम किया गया है.
महानगर में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत कर दी गई है. पुलिस ने मीडिया के लोगों को मातोश्री से थोड़ी दूरी पर रहने को कहा.
ये खबर सुनते ही पूरे देश में शोक की लहर दौड़ पड़ी, जिसने सुना सन्न रह गया. उनके चाहने वालों की आंखों से आंसू छलक आए.
बाला साहेब ठाकरे के निधन के बाद शिवसेना के वरिष्ठ नेता मनोहर जोशी 'मातोश्री' पहुंचे.
बाला साहेब के समर्थकों के लिए ये खबर किसी सदमे से कम नहीं थी. मातोश्री के बाहर मौजूद कई समर्थक अपने आंसू भी नहीं रोक पाए.
निधन के समय उनके परिवार के सदस्य उनके पास मौजूद थे. जबकि मातोश्री के बाहर शिव सैनिकों का भारी जमावड़ा बना हुआ था.
ठाकरे को सांस की बीमारी के अलावा पेंक्रियास की बीमारी थी. उनके परिवार में पुत्र जयदेव और उद्धव हैं.
उनकी पार्टी की महाराष्ट्र में अच्छी पकड़ है और बाहरी लोगों के विरोध के कारण उन्हें ज्यादा पहचान मिली.
बाल ठाकरे ने अपने कैरियर की शुरुआत मुंबई के एक अंग्रेजी दैनिक 'द फ्री प्रेस जर्नल' के साथ एक कार्टूनिस्ट के रूप में की.
960 में बाल ठाकरे ने कार्टूनिस्ट की यह नौकरी छोड़ दी और अपना राजनीतिक साप्ताहिक अखबार मार्मिक निकाला. बाल ठाकरे के कार्टून 'टाइम्स ऑफ इंडिया' में भी हर रविवार को छपा करते थे.
बाल ठाकरे ने एक कलाकार और जनोत्तेजक नेता के रूप में हिटलर की तारीफ करके विवादों के साथ नाता जोड़ा.
1990 के दशक में श्रीलंका में आतंक का प्रयाय बने लिट्टे को खुला समर्थन देने को लेकर भी उनकी खूब आलोचना हुई. वेलेंटाइन डे के विरोध में लड़के-लड़कियों की खुलेआम पिटाई को लेकर भी बाल ठाकरे आलोचना झेल चुके हैं.
निधन के समय उनके परिवार के सदस्य उनके पास मौजूद थे. जबकि मातोश्री के बाहर शिव सैनिकों का भारी जमावड़ा बना हुआ था.
डॉ. पारकर ने बताया, 'बाल ठाकरे की हृदय गति रुक गई और प्रयासों के बावजूद हम हृदय गति बहाल नहीं कर सके.'
इस बीच ठाकरे के निधन के बाद महानगर में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत कर दी गई है. पुलिस ने मीडिया के लोगों को मातोश्री से थोड़ी दूरी पर रहने को कहा.
शिवसेना के नेता संजय राउत ने बाला साहेब ठाकरे के निधन के बाद शिवसैनिकों से शांति और संयम बनाए रखने की अपील की है.
20 नवंबर 2009 को शिव सैनिकों ने मराठी चैनल आईबीएन-लोकमत और हिन्दी चैनल आईबीएन-7 पर पुणे और मुंबई में हमला किया और उनके ऑफिस में जमकर तोड़फोड़ की. बीबीसी ने बाल ठाकरे के बारे में लिखा कि वे पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र के बेताज बादशाह हैं.
वाशिंगटन पोस्ट ने बाल ठाकरे के बारे में लिखा कि वे शिकागो पर राज करने वाले अल कैपन की तरह हैं जो बॉम्बे पर भय और धमकी से राज करते हैं. दक्षिण भारतीयों के खिलाफ 1960 और 70 के दशक में बाल ठाकरे के नेतृत्व में शिव सेना ने 'लुंगी हटाओ पुंगी बजाओ' अभियान चलाया.