रविवार को 30 सितंबर 1993 में महाराष्ट्र के लातूर में आए भूकंप की 19वीं बरसी है.
लातूर में भूकंप सुबह के 3.56 मिनट पर आया, उस वक्त लोग गहरी नींद में सो रहे थे. जिस कारण जान-माल का ज्यादा नुकसान हुआ.
भूकंप का इपिसेंटर किलारी को माना जाता है जहां पर उस समय एक बड़ा सा क्रेटर (ज्वालामुखी मुहाना) था.
भूकंप से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाके लातूर के औसा ब्लॉक और उस्मानाबाद के उमेर्गा थे.
इस भूकंप में 52 गांव पूरी तरह से तहस-नहस हो गए थे.
रिक्टर स्केल पर 6.4 तीव्रता के इस भूकंप में करीब 20 हजार लोगों की जान चली गई थी.
इस भूकंप में 30 हजार लोग घायल हुए, 30 हजार मकान गिर गए और 13 जिलों के करीब 2 लाख 11 हजार महानों में टूट-फूट हुई.
विश्व बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक और कई देशी-विदेशी दान दाता एजेंसियों ने राहत व बचाव कार्य के लिए दान दिया.
कई लोगों को राहत व बचाव कार्य के दौरान सेना व बचाव दल ने मलवे से जीवित निकाल लिया.
इस प्राकृतिक आपदा में विकलांग हुए लोगों के लिए 46.55 लाख की सहायता राशि दी गई.
सरकार ने विश्व बैंक व अन्य दानदाताओं की मदद से पीड़ितों के लिए एक बड़ा रिहैब्लिटेशन कार्यक्रम चलाया.
रिहैब्लिटेशन के कार्य के लिए 769 हैक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया.
भूकंप में जिन लोगों के जानवर मर गए थे उन्हें सरकार की तरफ से जानवर दिए गए.
रेड क्रॉस संस्था ने भूकंप प्रभावित इलाके में 27-27 बैड के तीन ग्रामीण अस्पताल बनाए.
2 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और 11 उप स्वास्थ्य केन्द्र भी रेड क्रॉस ने स्थापित किए.