पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में माओवादियें ने भुवनेश्वर-दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस को 5 घंटे तक रोके रखा जिससे यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा.
माओवादी छत्रधर माहतो नाम के अपने नेता को छोड़ने की मांग कर रहे थे.
पीपुल्स कमिटी अगेंस्ट पुलिस एट्रोसिटीज (पीसीपीए) ने ट्रेन को रोके जाने की जिम्मेदारी ली और कहा कि पुलिस की ज्यादतियों के खिलाफ ये कदम उठाया गया है.
पांच घंटे से भी ज्यादा समय तक यात्री वहीं फंसे रहे. बाद में एक राहत ट्रेन को घटनास्थल पर भेजा गया और फिर सुरक्षाकर्मियों ने वहां पहुंचकर यात्रियों व ट्रेन को सुरक्षित किया. तब जाकर यात्रियों ने राहत की सांस ली.
माओवादियों ने पटरी पर लाल झंडे लगाकर और पेड़ों गिराकर रास्ता रोक लिया था जिसकी वजह से ड्राइवर को ट्रेन रोकनी पड़ी.
माओवादियों ने ट्रेन की कुछ बोगियों के शीशे भी पत्थर मारकर तोड़ दिए.
पीपुल्स कमिटी अगेंस्ट पुलिस एट्रोसिटीज (पीसीपीए) के माओवादियों ने अपनी मांगों को लाल रंग से ट्रेन के डिब्बों पर भी लिख दिया.
सुरक्षा बलों और राहत ट्रेन के वहां पहुंचने के बाद ही राजधानी एक्सप्रेस को रवाना किया जा सका.
माओवादियों द्वारा रोकी गई भुवनेश्वर-दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस के अंदर की तस्वीर.
केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम भी लगातार घटना पर नजर बनाए हुए थे.
पीपुल्स कमिटी अगेंस्ट पुलिस एट्रोसिटीज (पीसीपीए) के माओवादियों ने अपनी मांगों को लाल रंग से ट्रेन के डिब्बों पर भी लिख दिया.
रेल मंत्र ममता बनर्जी भी लगातार अधिकारियों के संपर्क में थीं और स्थिति का जायजा ले रही थीं. हालांकि उन्होंने पश्चिम बंगाल की सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था नाम की चीज नहीं रह गई है और आए दिन ऐसी घटनाएं राज्य में होती ही रहती हैं.
माओवादियों ने अपनी मांगों के समर्थन में बांग्ला भाषा में लिखे बैनर पटरियों पर लगा रखे थे.
माओवादियों ने ट्रेन की कुछ बोगियों के शीशे भी पत्थर मारकर तोड़ दिए.
माओवादियों ने ट्रेन की कुछ बोगियों के शीशे भी पत्थर मारकर तोड़ दिए. ट्रेन के एक डिब्बे में पड़ा पत्थर का टुकड़ा.
माओवादियों द्वारा रोकी गई भुवनेश्वर-दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस के ड्राइवर से बात करते आज तक के संवाददाता.