गत वर्ष अपनी फिल्म आरक्षण पर उपजे विवाद के बाद बॉक्स ऑफिस की रिपोर्ट से निराश हुए निर्माता निर्देशक प्रकाश झा को उम्मीद है कि इस वर्ष उनकी फिल्म चक्रव्यूह को लेकर किसी प्रकार का विवाद नहीं होगा.
उनका मानना है कि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर शानदार सफलता प्राप्त करते हुए आरक्षण के गम को भुलाने मददगार साबित होगी.
पिछली बार फिल्म आरक्षण के जरिए आरक्षण के संवेदनशील मुद्दे को उठाने वाले प्रकाश झा अपनी अगली पेशकश चक्रव्यूह को लेकर एक बार फिर सुर्खियों में हैं.
नक्सलवाद की समस्या पर आधारित इस पॉलिटिकल थ्रिलर में अर्जुन रामपाल, अभय देओल, ईशा गुप्ता, मनोज वाजपेयी, कबीर बेदी और अंजलि पाटिल अहम रोल में हैं.
फिल्म के बारे में प्रकाश झा बताते हैं कि भारत को आजाद हुए भले ही छह दशक से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन भारत के गांवों और जंगलों में आजादी आज भी दिखाई नहीं देती.
ट्राइबल से पूछने पर वे यही जवाब देते हैं कि आजादी के बाद हम सब कुछ खो चुके हैं.
जमीन और प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण रखने की जरूरत में ट्राइबल्स और गांव के लोगों को विस्थापन के एवज में न तो विकास मिला, न ही मुआवजा.
अभिनेता मनोज बाजपेयी का कहना है दिल्ली विश्वविद्यालय में बिताए उनके छात्र जीवन से उन्हें प्रकाश झा की फिल्म ‘चक्रव्यूह’ में नक्सली की भूमिका निभाने में मदद मिली.
फिल्म के प्रचार के लिए बनाए गए एक काल्पनिक नक्सली शिविर में उन्होंने कहा कि प्रकाश, अर्जुन रामपाल और मैंने दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाई की है.
वहां पर मार्क्सवाद की बातें हुआ करती थीं, कुछ प्राध्यापक मार्क्सवादी विचारधारा के थे, कुछ छात्रों में मार्क्सवाद की तरफ झुकाव था और हमारे कई विषय इस पर आधारित थे.मैंने इससे जुड़े कई नुक्कड़ नाटक किए हैं और इससे जुड़ा साहित्य पढ़ा है.
उन्होंने कहा कि इसलिए हमने अपने किरदार को उसी के अनुरूप ढ़ालने की कोशिश की है, यह एक ऐसा किरदार है जो संयुक्त राष्ट्र में जाकर वाद विवाद कर सकता है और वह किसी को मार डालने की हद तक क्रूर हो सकता है.
‘चक्रव्यूह’ 24 अक्टूबर को देशभर के सिनेमाघरों में प्रदर्शित हो रही है.
'चक्रव्यूह' में नक्सलवादी बने अभिनेता अभय देओल ने इसमें चुनौतीपूर्ण दृश्य फिल्माए हैं, लेकिन बावजूद इसके उनके मुताबिक यह उनके द्वारा की गई सबसे आसान फिल्मों में से एक है.
मनोज बाजपेयी का कहना है दिल्ली विश्वविद्यालय में बिताए उनके छात्र जीवन से उन्हें प्रकाश झा की फिल्म ‘चक्रव्यूह’ में नक्सली की भूमिका निभाने में मदद मिली.
फिल्म के प्रचार के लिए बनाए गए एक काल्पनिक नक्सली शिविर में उन्होंने कहा कि प्रकाश, अर्जुन रामपाल और मैंने दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाई की है.
'चक्रव्यूह' में आईपीएस अधिकारी आदिल खान की भूमिका निभाने वाले अभिनेता अर्जुन रामपाल का कहना है कि यह फिल्म उनके दिल के नजदीक है और यह मनोरंजन के साथ-साथ संदेश देने वाली एक असाधारण फिल्म है.
अर्जुन ने कहा है कि 'यह फिल्म मेरे दिल के करीब है क्योंकि ऐसी कुछ फिल्में ही हैं जिसमें महत्वपूर्ण संदेश के साथ, एक्शन और मनोरंजन भी है जो मुझे करना पसंद है.
इसमें बहुत सुंदर प्रेम कहानी है और इससे आपको एक महत्वपूर्ण संदेश मिलेगा.
प्रकाश झा निर्देशित यह फिल्म नक्सलवादी आंदोलन पर आधारित है.
अर्जुन ने कहा है कि 'हमारी फिल्म में संदेश है कि आज देश में दो भारत बसता है पहला जो शहर में है, वह उभरता भारत है और दूसरा अविकसित भारत जो गांवों में है.
नक्सलवादी गतिविधियां इन स्थानों में बढ़ रही हैं.
अर्जुन के मुताबिक इस फिल्म के जरिए लोग इस विषय की गम्भीरता को समझेंगे.
'चक्रव्यूह' में नक्सलवादी बने अभिनेता अभय देओल ने इसमें चुनौतीपूर्ण दृश्य फिल्माए हैं, लेकिन बावजूद इसके उनके मुताबिक यह उनके द्वारा की गई सबसे आसान फिल्मों में से एक है.
अभय ने कहा कि 'मैं बहुत दौड़ा, कूद-फांद की, साइकिल चलाया, गोलियां चलाईं और ट्रकों से कूदा. इसलिए शारीरिक रूप से यह थका देने वाला था.
अभय ने कहा कि मैं इसका लुत्फ उठा रहा था इसलिए मुझे थकावट महसूस नहीं हुई. ईमानदारी से कहूं तो यह मेरे द्वारा की गई सबसे आसान फिल्मों में से एक है.
इस फिल्म का निर्देशन प्रकाश झा ने किया और इसमें मनोज वाजपेयी और ईशा गुप्ता भी महत्वपूर्ण भूमिका में हैं.
अभय ने कहा कि 'मैं बहुत दौड़ा, कूद-फांद की, साइकिल चलाया, गोलियां चलाईं और ट्रकों से कूदा. इसलिए शारीरिक रूप से यह थका देने वाला था.
रिलीज होने से पहले विवादों में आई फिल्म निर्माता प्रकाश झा की फिल्म चक्रव्यूह के महंगाई नामक गाने में बाटा शब्द का प्रयोग होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि यह फिल्म गाने में बिना किसी काटछांट के रिलीज होगी.
इसके साथ ही महंगाई गाने के साथ फिल्म रिलीज होने का रास्ता साफ हो गया है.
15 अक्टूबर को कोर्ट ने फिल्म के रिलीज होने पर रोक लगा दी थी और कहा था कि फिल्म निर्माताओं को फिल्म के महंगाई गाने से बाटा शब्द हटाना होगा, तभी फिल्म रिलीज की जाएगी.
प्रकाश झा निर्देशित यह फिल्म नक्सलवादी आंदोलन पर आधारित है.
नक्सलियों के जीवन पर फोकस करती इस फिल्म में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को निशाने पर लेते हुए एक जगह कहा गया है, 'बहुत देखी तेरी सरदारी, जनता महंगाई की मारी.
मगर आश्चर्यजनक रूप से ये डायलॉग और गीत रिवाइजिंग कमिटी को नागवार नहीं लगे.
प्रकाश झा पहले ही कह चुके हैं कि गानों और डॉयलाग्स में इस्तेमाल किए गए नाम केवल प्रतीकात्मक हैं.
किसी व्यक्ति या ब्रैंड को आहत करने अथवा उसका अनादर करने के लिए नहीं हैं.
प्रकाश झा निर्देशित यह फिल्म नक्सलवादी आंदोलन पर आधारित है.
उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर जब हम उद्योगपतियों के बारे में सोचते है तो हम सबसे पहले टाटा-बिड़ला के बारे में ही सोचते हैं.
हमारा इरादा किसी को आहत करने या किसी का अनादर करने का नहीं है.
गत वर्ष अपनी फिल्म आरक्षण पर उपजे विवाद के बाद बॉक्स ऑफिस की रिपोर्ट से निराश हुए निर्माता निर्देशक प्रकाश झा को उम्मीद है कि इस वर्ष उनकी फिल्म चक्रव्यूह को लेकर किसी प्रकार का विवाद नहीं होगा.
उनका मानना है कि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर शानदार सफलता प्राप्त करते हुए आरक्षण के गम को भुलाने मददगार साबित होगी.
पिछली बार फिल्म आरक्षण के जरिए आरक्षण के संवेदनशील मुद्दे को उठाने वाले प्रकाश झा अपनी अगली पेशकश चक्रव्यूह को लेकर एक बार फिर सुर्खियों में हैं.
प्रकाश झा निर्देशित यह फिल्म नक्सलवादी आंदोलन पर आधारित है.
प्रकाश झा की फिल्म 'चक्रव्यूह' को लंदन फिल्म फेस्टिवल में जमकर तारीफ मिली.
चक्रव्यूह बॉलीवुड की पहली ऐसी कमर्शियल फिल्म है जिसे 15 साल बाद लंदन फिल्म फेस्टिवल में आमंत्रित किया गया.
नक्सलवादी गतिविधियों पर आधारित फिल्म 'चक्रव्यूह' 24 अक्टूबर को दशहरा के दिन प्रदर्शित हो रही है.
नक्सलवाद की समस्या पर आधारित इस पॉलिटिकल थ्रिलर में अर्जुन रामपाल, अभय देओल, ईशा गुप्ता, मनोज वाजपेयी, कबीर बेदी और अंजलि पाटिल अहम रोल में हैं.
'चक्रव्यूह' में आईपीएस अधिकारी आदिल खान की भूमिका निभाने वाले अभिनेता अर्जुन रामपाल का कहना है कि यह फिल्म उनके दिल के नजदीक है और यह मनोरंजन के साथ-साथ संदेश देने वाली एक असाधारण फिल्म है.
प्रकाश झा निर्देशित यह फिल्म नक्सलवादी आंदोलन पर आधारित है.
अब देखना है कि विवादों के इस चक्रव्यूह से मुफ्त में मिली पब्लिसिटी से फिल्म को कितना फायदा होता है.