उन्होंने ही हमें प्यार का ककहरा सिखाया था. मुहब्बत के लिए जीना और मरना भी उन्होंने सिखाया था. लेकिन आज 'किंग ऑफ रोमांस' यश चोपड़ा हमारे बीच नहीं हैं तो सवाल खड़ा है कि अब कौन दिखाएगा मुहब्बत को मंजिल.
उन्होंने जिंदगी में प्यार के ऐसे-ऐसे रंग भरे कि उनके बिना सब बेनूर लगने लगा है. हमारी जिन्दगी में उन रंगों की उन हसीन तस्वीरों को उकेरने की जिम्मेदारी अब कौन उठाएगा?
यश चोपडा ने अपनी फिल्मों के जरिए हर दिल को मुहब्बत से सजा दिया.
लंदन में फिल्म 'जब तक है जान' की शूटिंग के दौरान यश जी ने अपनी जादूगरी का रंग आखिरी बार बिखेरा.
प्यार को शायद ही पहले कभी इतना प्यारा दिखाया गया हो, जितना यश जी ने दिखाया.
प्यार की उनकी अपनी पाठशाला थी और उन्होंने यहां जो कुछ पढ़ाया लोगों के जहन पर छप गया.
यश चोपड़ा जैसा व्यक्तित्व अब शायद ही बॉलीवुड को मिले.
लंदन की सड़कों पर बिखेरा आखिरी बार प्यार का सुरूर.
यश जी 'जब तक है जान' में प्यार के कुछ और रंग डालना चाहते थे लेकिन उससे पहले ही सांसों ने उन्हें धोखा दे दिया.
अपनी अंतिम फिल्म को बड़ी बारीकी से बनाया था यश चोपड़ा ने.
'जब तक है जान' की ज्यादातर शूटिंग लंदन और कश्मीर के लद्दाख में हुई है.
'जब तक है जान' में यश चोपड़ा ने न सिर्फ शाहरुख और कैटरीना को प्यार करना सिखाया है बल्कि इस महकते गुलदस्ते के कुछ फूल अनुष्का शर्मा के हिस्से भी आए हैं.
एक बार फिर यश चोपड़ा मरने के बाद भी लोगों के दिलों को धड़कने पर मजबूर कर देंगे.
सभी को उम्मीद है कि यश जी की आखिरी फिल्म 'जब तक है जान' लोगों के दिलों में उतर जाएगी.
'जब तक है जान' में यश जी ने अपने पूरे जीवन का एक्सपीरियंस उडेल दिया है.
स्विटजरलैंड और यश जी का प्यार इतना गहरा है कि उनके नाम से यहां झील और ट्रेन हैं.
फिल्म 'सिलसिला' के लिए पहली बार यश जी स्विटजरलैंड गए थे और उसके बाद यश जी और स्विटजरलैंड दोनों ने एक दूसरे के लिए खूब प्यार निभाया.
प्यार के लिए उनका प्यार उनकी फिल्मों में दिखता है. 'जब तक है जान' का गाना 'सांस में तेरी मेरी सांस मिली तो, मुझे सांस आयी...' उनके रोमांस को दर्शाता है.
उनके इस रोमांस के दीवाने करोड़ों में हैं जो उनकी रुमानी कहानियों पर कभी मुस्कुराते हैं तो कभी आंसू बहा देते हैं.
प्यार का वो अहसास ही यश जी की खास बात है जो वो अपनी फिल्मों में डालते रहे.
80 साल की उम्र में उन्होंने 'जब तक है जान' में रोमांस के अपने स्टूडेंट के साथ कैटरीना और अनुष्का की जोड़ी बनायी और उन्हें इश्क करना सिखाया.
रोमांस के जादूगर ने स्विटजरलैंड को प्यार और रोमांस का प्रर्याय बना दिया लेकिन यह विडम्बना ही है कि उनकी आखिरी फिल्म के लिए स्विटजरलैंड में शूटिंग नहीं हो पायी.
मुहावरों में आसमान का टूटना सुना था, लेकिन मोहब्बत की जमीन इसे महसूस कर रही है. न आएंगे कभी पलटके जाने वाले. जैसे मीत की आखों से प्रीत रूठ गया है.
ये दिल के दुर्ग द्वार पर दुखों की असह्य चोट है. अब कोई नहीं जो भावनाओं के पाताल से खींच लाए प्रेम के फड़फड़ाते हुए परिंदों को.
उनके जाने से ऐसे लगा जैसे एक आदमी नहीं गया हो, एक यात्रा रुक गई हो. जैसे बहुत कसके रूठ गया हो जज़्बात के आसमान का सूरज कि वो कभी नहीं आएगा, कभी नहीं आएगा.
यश जी का 80 साल की उम्र में निधन हुआ. लेकिन लगा ऐसे जैसे संभावनाओं की एक पूरी श्रृंखला टूट गई है.
यश चोपड़ा की फिल्में वैसे ही थीं जैसे जाड़े की धूप, जैसे गर्मी की छांह, जैसे बरसात में छत. चाहतों का ऐसा गुलदस्ता जिसने हालात के कांटों के बीच हर फूल को महफूज़ रखा. महकने दी उसकी खुशबू.
सैकड़ों फिल्में बनीं, हजारों गाने लिखे गए. लाखों संवाद लिखे गए, लेकिन जिसे देखते हुए आंखें नम हो आएं और दिल महसूस करे नश्तर की धार को उसे गढ़ने के लिए यश चोपड़ा होना पड़ता है.
कहते हैं प्यार के बाग कभी वीरान नहीं होते. वो आबाद रहते हैं प्यार के पंछियों से. मोहब्बत के महकते हुए फूलों से. लेकिन झूठ कहते हैं वो, हर दरख्त को मोहब्बत की मिट्टी मयस्सर नहीं होती.
प्रेम के युद्ध को गढ़ने के लिए बड़ी नाजुक उंगलियों की दरकार होती है. जरूरत होती है जज़्बात को मुलायमियत के साथ पकड़ने की. लेकिन जो इसे कैमरे के कैनवस पर लिख दे वो तो एक ही हुआ, और शायद आखिरी भी.
आजतक एक ही यश चोपड़ा हुआ और वो गया तो एक शून्य छोड़ गया. अब पीछे मोहब्बत का एक बिलखता हुआ संसार है प्यार के गुलशन में तनहाई के गीत गुनगुनाता हुआ.
नौजवानी की लहरों पर तमन्नाओं का अफसाना हर कोई नहीं लिख देता. उसके लिए दिल चाहिए, दिलदारी चाहिए और मन की पैरोकारी चाहिए. इसीलिए एक ही यश चोपड़ा हुआ आजतक.
वो नजर ही क्या जो पलकों पर प्यार के ख्वाब नहीं सजाती. वो दिल ही क्या जिसके दरवाजों पर कोई दस्तक न हुई हो. वो कौन है जिसका मन न मचला हो कभी अपने मीत के लिए, वो कौन है जो कभी तड़पा न हो एक गीत के लिए.
यश चोपड़ा की हर फिल्म में स्विटजरलैंड दिखायी देता है, लेकिन 'जब तक है जान' में अभी तक यहां शूटिंग ही नहीं हो पायी है.
लंदन की सड़कों पर उन्होंने आखिरी बार अपने रोमांस का अध्याय लिखा.
उनकी आखिरी फिल्म 'जब तक है जान' दीपावली के आसपास रिलीज होनी है.
लंदन में अभी कुछ दिन पहले ही तो यश जी ने नये जमाने के सितारों को मुहब्बत का पाठ पढ़ाया था.
'जब तक है जान' में यश चोपड़ा ने पहली बार कैटरीना कैफ और शाहरुख खान की जोड़ी बनायी.
यश जी अपनी आखिरी फिल्म 'जब तक है जान' के लिए भी स्विटजरलैंड में शूटिंग करना चाहते थे, लेकिन शूटिंग से पहले ही वह दुनिया से चले गए.
यश चोपड़ा की फिल्मों में हीरोइनें जितनी खूबसूरत होतीं थी, लोकेशन भी उतनी ही खूबसूरती बिखेरतीं थी. लेकिन उनकी आखिरी फिल्म में स्विटजरलैंड नहीं है.
आज भी दिल यकीन ही नहीं करना चाहता कि रोमांस का वह किंग हमें छोड़ चला गया है, जिसने मुहब्बत को नया नाम दिया था.
अब कौन यश जी की तरह कैमरे से करामात करवा पाएगा, ये सवाल हर ओर है.
उन्होंने एक से बढ़कर एक खूबसूरत हीरोइनें बॉलीवुड को दी.
यश चोपड़ा फिल्मी दुनिया में नहीं होते तो शायद फिल्मों में प्यार इतना प्यारा और रंगीन नहीं होता.
अमिताभ बच्चन से लेकर शाहरुख खान तक तक बड़े पर्दे पर यश चोपड़ा के दिल की कहानियों को जीते रहे हैं.
उनकी प्रेम कहानियों ने कभी एंग्री यंग मैन को लवर ब्वाय बनाया तो कभी अच्छे भले लड़के को प्यार में साइको बना दिया.