26/11 हमले के दोषी अजमल आमिर कसाब को बुधवार की सुबह 7.36 बजे फांसी दे दी गई.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कसाब की दया याचिका को खारिज कर दिया था और इसके साथ ही कसाब को पुणे के येरवडा जेल में शिफ्ट कर दिया गया
था.
कसाब को पुणे के यरवडा जेल में दी गई है फांसी.
कसाब को यरवडा जेल में ही फांसी दी गई और वहीं दफन भी कर दिया गया.
कसाब की फांसी की पूरी प्रक्रिया को बेहद गुप्त रखा गया. उसे सोमवार को ही आर्थर रोड जेल से पुणे के यरवडा जेल में शिफ्ट किया गया था.
अजमल कसाब को 'ऑपरेशन बुद्धा स्माइल' के तहत दी गई फांसी.
अजमल कसाब की फांसी 5 नवंबर 2012 को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा दया याचिका खारिज करने के बाद ही तय हो गई थी.
7 बजकर 36 मिनट में कसाब को फांसी दी गई और 8:40 में यरवडा जेल में ही दफना दिया गया.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने रद्द कर दी थी कसाब की दया याचिका.
जेल अधिकारियों द्वारा फांसी की बात बताए जाने के बाद कसाब ने पलक तक नहीं झपकी थी.
महाराष्ट्र के गृहमंत्री आर.आर. पाटील ने कहा, पूरी दुनिया के सामने अजमल कसाब का अपराध साबित हुआ और आखिरकार उसे फांसी दे दी गई. यह 26/11 के हमले में मारे गए निर्दोष लोगों और शहीद हुए अधिकारियों के लिए श्रद्धांजलि है.
कसाब ने फांसी से पहले कोई अंतिम इच्छा नहीं की थी जाहिर
कसाब को ऑर्थर जेल से सोमवार को ही यरवडा जेल ले आया गया था.
कसाब की फांसी की पूरी प्रक्रिया को बेहद गुप्त रखा गया और इसे 'ऑपरेशन बुद्धा' कोड नाम दिया गया.
यरवडा जेल अधिकारियों के मुताबिक फांसी से पहले कसाब तनाव में था और किसी से कोई बात भी नहीं कर रहा था.
सुशील कुमार शिंदे ने बताया कि पाकिस्तान को फांसी की बात बताई गई लेकिन उन्होंने चिट्ठी लेने से इंकार कर दिया. इसके बाद पाकिस्तान को फैक्स के जरिए इस बात की जानकारी दी गई.
गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा, 'जैसे ही राष्ट्रपति महोदय की तरफ से कसाब की दया याचिका खारिज करने की सूचना मिली हमने तय समय के अनुसार ही फांसी की सजा देने की प्रक्रिया पर कार्रवाई की. कसाब के मृत शरीर को अगर पाकिस्तान मांगता तो हम दे देते लेकिन उन्होंने इसकी मांग नहीं की इसलिए उसे यहीं दफनाया जाएगा. पाकिस्तान को इसकी इत्तला कर दी गई है.'
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के प्रेस सचिव वेणु राजमणि ने बताया कि राष्ट्रपति ने कसाब की दया याचिका खारिज कर दी थी. राष्ट्रपति ने इस दया याचिका को संविधान की धारा 72 के तहत दया याचिका खारिज की.
बीजेपी उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नक्वी: देर आए दुरुस्त आए, फैसला ठीक हुआ है. एक आतंवादी की फांसी नहीं है ये आतंकवाद के लिए चेतावनी है
जो खुलेआम इस तरह की शैतानी हरकतों को अंजाम देते हैं.
कसाब की फांसी की पूरी प्रक्रिया को गुप्त रखने के लिए इसे ऑपरेशन एक्स कोड नाम दिया गया था. इससे संबंधित सभी सूचनाओं को गुप्त रखा गया था.
उज्ज्वल निकम ने कहा, 'मुझे लगता है कि कसाब की फांसी के जरिए दहशतगर्दों तक संदेश जाएगा कि हमारे देश में दहशतगर्दी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.'
प्रकाश जावडेकर ने कहा इतने बेगुनाहों को मौत के घाट उतारा वाले को सजा मिलनी जरूरी थी. आतंकवाद के लिए यह एक चेतावनी है.
बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'आतंकवाद के खिलाफ लड़ना होगा.'
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण ने कसाब की फांसी के बाद इसकी पुष्टि की और बताया कि उसने कोई अंतिम इच्छा जाहिर नहीं की थी.
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ट्विट करके कहा, 'अफजल गुरू का क्या हुआ जिसने संसद पर हमला किया था.
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, '2001 में लोकतंत्र के मंदिर पर हमला करने वाले का क्या हुआ?'
सलमान खुर्शीद ने कहा पाकिस्तान में कसाब के परिवार को गृह मंत्रालय की तरफ से इस बारे में जानकारी दे दी गई थी. उनकी ओर से शव मांगा जाता तो उन्हें दे दिया जाता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
पाकिस्तान की तरफ से कसाब के शव की भी मांग नहीं की गई जिसके बाद उसे यहीं दफना दिया गया.
आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने कहा कसाब ने जो किया उसे उसकी सजा मिली.