प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में कैबिनेट की एक अहम बैठक हुई. इस बैठक में कैबिनेट ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट करने को मंजूरी दे दी है. अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि यह NPR क्या है और यह जनगणना है या फिर कुछ और? केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कैबिनेट की बैठक के बाद इस बड़े फैसले के बारे में विस्तार से बताया. आइए हम आपको इसके हर एक पहलू के बारे में बताते हैं.
1. जनगणना का ही नया रूप NPR
नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) हर 10 वर्ष में होने वाली जनगणना का ही नया रूप है. NPR तैयार करने का मकसद देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान का डेटाबेस बनाना है. इस डेटा में जनसांख्यिकी के साथ बायोमेट्रिक जानकारी भी शामिल होगी. हालांकि यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा.
2. NPR के दायरे में हर भारतीय
नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) पर 1
अप्रैल 2020 से काम शुरू होगा और 30 सितंबर तक चलेगा. NPR के तहत डेटाबेस
बनाने के लिए इस बार कई बदलाव किए गए हैं. नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर में हर
नागरिक की जानकारी रखी जाएगी. असम के नागरिकों को छोड़कर NPR सभी भारतीय नागरिकों पर लागू होगा.
3. नहीं मांगे जाएंगे कोई दस्तावेज
एनपीआर में कोई प्रूफ, कोई डॉक्युमेंट और बायोमेट्रिक की आवश्यकता नहीं होगी. इसमें नागरिक जो भी सूचना देंगे, वह सही मान ली जाएगी. यानी जनगणना के लिए किसी भी दस्तावेज की जरूरत नहीं होगी.
4. खास ऐप के जरिये होगी NPR
सरकार की ओर से बताया गया कि इस बार की
जनगणना तकनीक पर आधारित होगी. इसके लिए बकायदा एक खास ऐप बनाया गया है और
उसी APP के जरिए NPR अपडेट किया जाएगा. सरकार का मानना है कि ऐप की मदद की
जनगणना बेहद आसान होगी.
5. अंग्रेजों के जमाने से चल रहे नियम में बदलाव
अभी तक देश में 15 बार जनगणना हुई है, आजादी के बाद 7 बाद जनगणना हुई, जबकि आजादी से पहले आठ बार अंग्रेजों के द्वारा जनगणना करवाई गई थी. अभी तक जनगणना अंग्रेजों के जमाने की तरह ही होती रही है. लेकिन इस बार बदलाव किया जा रहा है.
6. यूपीए सरकार में NPR की हुई थी शुरुआत
एनपीआर पहली बार 2010 में यूपीए सरकार में शुरू हुआ और सारे लोगों का रजिस्टर बना था. 2015 में इसका अपडेशन हुआ. मोदी सरकार की मानें तो जनगणना का काम हर 10 साल में होता है, इसलिए 2020 में जनगणना का काम पूरा करना है.
7. NPR से योजनाओं का सही लोगों को मिलेगा लाभ
सरकार का तर्क है कि इस एनपीआर से सरकारी योजनाओं के सही लाभार्थियों की पहचान हो पाएगी और यह भी पता चल पाएगा कि योजना का लाभ उन तक पहुंच रहा है या नहीं. यानी NPR से सही लोगों को योजना का लाभ मिल पाएगा. आयुष्मान, उज्ज्वला, सौभाग्य जैसी योजनाओं के लिए लाभार्थियों की पहचान होगी.
8. NPR में पूछे जाएंगे ये सवाल
एनपीआर में देश की जनता को कुछ जानकारियां देनी होंगी. जिसमें व्यक्ति का नाम, पता, शिक्षा, पेशा जैसी सूचनाएं दर्ज होंगी. NPR में दर्ज जानकारी लोगों द्वारा खुद दी गई सूचना पर आधारित होगी. नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों के तहत स्थानीय, उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है.
9. किसके लिए NPR?
कोई भी निवासी जो 6 महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में निवास कर रहा है तो उसे NPR में अनिवार्य रूप से पंजीकरण करना होता है. NPR और जनगणना के लिए 13,000 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं.
10. ऐसी होगी NPR की पूरी प्रक्रिया
पॉपुलेशन रजिस्टर में तीन प्रक्रियाएं होंगी. पहले चरण में एक अप्रैल 2020 लेकर से 30 सितंबर के बीच केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी घर-घर जाकर आंकड़े जुटाएंगे. वहीं दूसरा चरण 9 फरवरी से 28 फरवरी 2021 के बीच पूरा होगा. तीसरे चरण में संशोधन की प्रक्रिया 1 मार्च से 5 मार्च के बीच होगी.