दो गुटों में हिंसा के बाद छावनी में तब्दील हो चुके मुजफ्फरनगर में हालात पर काबू पाने के लिए हर प्रयास जारी है. यहां अभी तक इस हिंसा में कुल 29 लोगों की मौत हो चुकी है.
शहर में अमन-चैन की बहाली के लिए पुलिस के तमाम आला अफसरों की टीम के साथ-साथ पीएसी (PAC), सीआरपीएफ (CRPF), आरएएफ (RAF) और आईटीबीपी (ITBP) की कई बटालियन की तैनाती की गई है.
मुजफ्फरनगर के संवेदनशील इलाकों में सेना फ्लैग मार्च कर रही है. उत्तराखंड से सटी सीमा सील कर दी गई है. उत्तराखंड में हरिद्वार, उधमसिंह नगर और देहरादून पर खास नजर रखी जा रही है.
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बी एल जोशी ने मुजफ्फरनगर दंगों को लेकर अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी है और इसमें टिप्पणी की गई है कि यूपी सरकार को पहले ही इस तरह की घटना के बारे में आगाह किया गया था, लेकिन सरकार इसे रोकने में नाकाम रही.
एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) अरुण कुमार के अनुसार, जहां हिंसा हो रही है वहां स्थिति सामान्य होने में समय लगेगा. फिलहाल तीन थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगाया गया है.
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुजफ्फरनगर हिंसा को दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. सीएम ने लोगों को अफवाहों से बचने की अपील की है. अखिलेश यादव ने कहा कि हिंसक घटना के लिए जिम्मेदार व दोषी व्यक्तियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा और हर हाल में शांति व्यवस्था कायम की जाएगी.
बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी ने उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है तो मायावती भी पीछे नहीं रहीं. मायावती ने इसके पीछे सपा और बीजेपी का हाथ बताते हुए राष्ट्रपति शासन की मांग की.