बाल ठाकरे रविवार को पंचतत्व में विलीन हो गए.
उनको लाखों लोगों ने अश्रुपूर्ण नेत्रों से भावभीनी विदाई दी.
उनके सबसे छोटे बेटे और शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ने मुखग्नि दी.
उनकी मौत पर रविवार को मुंबई लगभग बंद रही और बड़े-बड़े मॉल से लेकर छोटी चाय की दुकानें और ‘पान बीड़ी’ की दुकानें भी बंद रहीं.
शव यात्रा के दौरान ‘‘परत या परत या बालासाहेब परत या (लौट आओ, लौट आओ, बालासाहेब लौट आओ), कौन आला रे, कौन आला शिवसेनेचा वाघ आला (कौन आया, कौन आया, शिवसेना का बाघ आया) और ‘बाला साहेब अमर रहे’ के नारे लगते रहे.
ठाकरे के बांद्रा स्थित घर ‘मातोश्री’ से शिवाजी पार्क की सड़क पर उनकी अंतिम झलक पाने के लिए लाखों लोग सड़कों पर उमड़ पड़े.
उनकी शव यात्रा में कई नेता (जिसमें सहयोगी से लेकर विपक्षी तक शामिल थे), फिल्म अभिनेता से उद्योगपति तक शामिल हुए.
ठाकरे ने महाराष्ट्र की कई पीढ़ियों का नेतृत्व किया था. सरकार ने शिवाजी पार्क में उनके अंतिम संस्कार करने को मंजूरी दी जो पहले इस तरह की किसी घटना का स्थान नहीं रहा.
उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया.
ये 1920 में बाल गंगाधर तिलक को दिए गए सम्मान के बाद पहला सार्वजनिक अंतिम संस्कार था.
मुंबई पुलिस के एक दस्ते ने उन्हें बंदूक की सलामी दी.
यह सम्मान बिना आधिकारिक पद वाले किसी व्यक्ति को विरले ही मिलता है.
पूरी मुंबई में सन्नाटा छाया रहा और कोई भी टैक्सी या ऑटोरिक्शा नहीं दिखा. बाजार, रेस्त्रां, सिनेमा हॉल और मल्टीप्लेक्स बंद रहे.
आदित्य ठाकरे बेहद भावुक दिखे.
अमिताभ और अनिल अंबानी की आंखें भी आंसूओं से भर आईं थीं.
बांद्रा-शिवाजी पार्क मार्ग शिवसेना समर्थकों के नारे से गुंजायमान रहा.
अंतिम संस्कार से पहले जब बाल ठाकरे का पार्थिव शरीर मोताश्री से शिवाजी पार्क पहुंचा तो उन्हें अमूमन हर क्षेत्र के दिग्गज शख्सियतों ने श्रद्धांजलि दी.
दशहरा रैली के दौरान ठाकरे जिस स्थान से शिवसेना के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते थे उसी जगह उनकी चिता सजाई गई.
अंतिम संस्कार करने से पहले स्टेज पर लाल तिलक और उनका ट्रेडमार्क काला चश्मा रखा गया था.
बाल ठाकरे को अंतिम विदाई देने के दौरान राज और उद्धव ठाकरे मतभेद भुलाकर साथ-साथ दिखे.
आर. के. लक्ष्मण के साथ अंग्रेजी अखबार फ्री प्रेस जर्नल में कार्टूनिस्ट के तौर पर सफर शुरू करने वाले ठाकरे ने मराठी युवकों को जागरूक किया.
उस वक्त गुजराती, दक्षिण भारतीय, मारवाड़ी और पारसी सहित बाहरी लोग व्यवसाय और नौकरी में बहुलता में थे, उस वक्त ठाकरे ने ‘‘धरती पुत्र’’ का नारा दिया था.
राम नाइक ने भी बाल ठाकरे को श्रद्धांजलि दी.
प्रवीण तोगड़िया भी बालासाहेब को श्रद्धांजलि देने पहुंचे.
उनकी अंतिम विदाई में कई नेता, फिल्म अभिनेता से उद्योगपति तक शामिल हुए.
हर कोई बाल ठाकरे को याद कर रहा था.
जिस तरह ठाकरे की अंत्येष्टि सार्वजनिक रूप से की गई, ऐसा मुम्बई में पहली बार देखा गया.
बालासाहेब के अंतिम दर्शन के लिए मध्य मुम्बई के दादर स्थित शिवाजी पार्क में जनसैलाब उमड़ पड़ा.
बीजेपी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर भी उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे.
मेनका गांधी भी उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचीं.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण भी यहां पहुंचे.
एनसीपी नेता शरद पवार भी यहां पहुंचे.
बीजेपी के वरिष्ट नेता लालकृष्ण आडवाणी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.
ठाकरे ने महाराष्ट्र की कई पीढ़ियों का नेतृत्व किया.
मोताश्री से लेकर शिवाजी पार्क तक बाल ठाकरे के अंतिम दर्शन के लिए लाखों लोग मौजूद थे.