बॉलीवुड किंग शाहरुख खान कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के साथ नजर आते हैं तो वहीं आमिर खान आम आदमी पार्टी और सलमान खान नरेंद्र मोदी के साथ. शाहरुख राहुल और सोनिया के फैंन हैं तो आमिर ने हाल में एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि वो आम आदमी पार्टी के फैन हैं. सलमान ने अहमदाबाद में गुजरात के सीएम और बीजेपी के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी के साथ पतंग उड़ाई. हालांकि, फिल्मी सितारों का सियासत की तरफ झुकाव कोई नई बात नहीं है. लेकिन बॉलीवुड के इन तीनों खान ने कभी खुलकर अपने सियासी कनेक्शन का इजहार नहीं किया है.
फिल्मी कलाकार राजनीति के जरिये सरकारी सम्मान पाने के लिए सियासी मैदान में कूदते हैं तो राजनीतिक दल इन सितारों का इस्तेमाल रैलियों में भीड़ जुटाने और इनके जरिये ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने के लिए करते हैं. भारत में अभिनेता से राजनेता बने चेहरों की लंबी फेहरिस्त है. इनमें बॉलीवुड के साथ साथ दक्षिण भारतीय स्टार्स भी शामिल हैं.
आइए जानते हैं किन-किन फिल्मी सितारों का रहा है सियासी कनेक्शन...
अमिताभ बच्चन
बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने 1980 के दशक में राजनीति में हाथ आजमाया था. हालांकि, अभिताभ की राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं थी लेकिन बचपन के दोस्त रहे राजीव गांधी के कहने पर उन्होंने 1984 में इलाहाबाद से लोकसभा का चुनाव लड़ा और इस सीट पर यूपी के पूर्व सीएम एच एन बहुगुणा को हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की. लेकिन बोफोर्स कांड में नाम आने के बाद अमिताभ ने राजनीति से तौबा कर ली.
सुनील दत्त
मशहूर अभिनेता सुनील दत्त ने 1984 में कांग्रेस के टिकट पर मुंबई उत्तर पश्चिम सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और संसद पहुंचे. सुनील दत्त यहां से लगातार पांच बार सांसद चुने गए. उनके निधन के बाद बेटी प्रिया दत्त को यह सीट विरासत में मिली जो इस वक्त कांग्रेस से सांसद हैं. सुनील दत्त यूपीए-1 में युवा एवं खेल मामलों के कैबिनेट मंत्री भी थे.
गोविंदा
अपने कॉमेडी रोल्स के लिए मशहूर अभिनेता गोविंदा 2004 में मुंबई से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे लेकिन इस अभिनेता को सियासत रास नहीं आई. चुनाव प्रचार के दौरान गोविंदा ने तो जनता से खूब वादे किए, बड़ी-बड़ी बातें की लेकिन सांसद बनने के बाद इन वायदों पर खरे नहीं उतरे. इसे लेकर गोविंदा की आलोचना भी हुई. बतौर सांसद उनका कार्यकाल भी विवादों से घिरा रहा. कभी बर्थ सर्टिफिकेट के मसले पर तो कभी 'कास्टिंग काउच' मामले में फंसे शक्ति कपूर का समर्थन करने पर गोविंदा की किरकिरी हुई. आखिरकार 2008 में उन्होंने सियासत से तौबा कर ली.
विनोद खन्ना
पंजाब के गुरुदासपुर सीट से सांसद रहे विनोद खन्ना बीजेपी के टिकट पर लगातार तीन बार लोकसभा का चुनाव जीते हैं। 2009 के चुनाव में वह कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा से हार गए थे। वह एनडीए सरकार में राज्य मंत्री भी रह चुके हैं। विनोद खन्ना ने कहा है कि अगर मौका मिला तो 2014 के लोकसभा चुनाव में भी गुरुदासपुर सीट से इलेक्शन लड़ सकते हैं.
धर्मेंद्र
अभिनेता धर्मेंद्र 2004 में राजस्थान के बीकानेर से बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. हालांकि, संसदीय क्षेत्र में मौजूद नहीं रहने पर उनकी काफी आलोचना हुई थी.
इसके अलावा जब संसद का सत्र चल रहा होता तो भी वो संसद में नहीं दिखते थे. इस वक्त राजनीति में उनकी सक्रियता कम हो गई है और फिल्मों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं.
हेमामालिनी
गुजरे जमाने की अदाकारा और बॉलीवुड की 'ड्रीम गर्ल' हेमामालिनी भी अपने पति धर्मेंद्र की तरह बीजेपी से जुड़ी हैं. 2004 में हेमामालिनी को पहली बार बीजेपी के सहयोग से राज्यसभा सदस्य बनाया गया. मार्च 2010 में हेमा को बीजेपी का महासचिव भी बनाया गया. हाल में दिल्ली समेत चार राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भी हेमामालिनी ने बीजेपी उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया.
शत्रुघ्न सिन्हा
बीजेपी के स्टार प्रचारकों में से एक शत्रुघ्न सिन्हा इस वक्त पटना साहिब सीट से लोकसभा सदस्य हैं. हालांकि इन दिनों पार्टी के साथ उनका तालमेल ठीक नहीं बैठ रहा है. हाल के दिनों में पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी करना शत्रुघ्न सिन्हा को भारी पड़ा है. पिछले दिनों बीजेपी की प्रदेश इकाई द्वारा जारी 31 सदस्यीय बिहार बीजेपी संसदीय चुनाव समिति में शत्रुघ्न सिन्हा को जगह नहीं मिली है. पिछले दो दशक में ऐसा पहली बार हुआ है जब शत्रुघ्न सिन्हा को राज्य चुनाव समिति में जगह नहीं मिली है.
हो सकता है कि बहुत जल्द आप 'डिस्को डांसर' मिथुन चक्रवर्ती को संसद में देखेंगे. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रदेश में आगामी राज्यसभा चुनाव के लिए अपनी पार्टी टीएमसी से उम्मीदवार के तौर पर 'मिथुन दा' के नामांकन का ऐलान किया है. इसके चुनाव फरवरी में होंगे.
एमजीआर के तौर पर मशहूर अभिनेता एम जी रामचंद्रन ने कई फिल्मों में अभिनय
और निर्देशन का काम किया. ये लगातार तीन बार तमिलनाडु के सीएम रहे.कहा जाता है कि एमजीआर ने ही जयललिता को राजनीति में लॉन्च किया था. हालांकि, जयललिता इससे इनकार करती रही हैं.
एआईडीएमके प्रमुख और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता राजनीति में आने से पहले अभिनेत्री थीं. इन्होंने हिंदी के अलावा
तमिल, तेलुगु और कन्नड़ भाषा की फिल्मों में काम किया था.
मशहूर धारावाहिक रामायण में सीता का किरदार निभाने वाले दीपिका चिखलिया ने बीजेपी ज्वाइन किया. 1991 के लोकसभा
चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर दीपिका ने गुजरात की बडौदा सीट से चुनाव लड़ा और विजयी
विजयाशांति आंध्र प्रदेश में मेढक से टीआरएस सांसद हैं. 2004 में राजनीति की दुनिया में कदम रखने से पहले विजयाशांति ने हिंदी, तमिल, तेलुगु, मलयालम सहित सात भाषाओं की सैकड़ों फिल्मों में काम किया है.
एनटीआर के नाम से मशहूर एनटी रामाराव अभिनेता, निर्देशक और निर्माता के साथ साथ राजनेता भी रहे. एनटी रामाराव आंध्र
प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे. इन्हें 1972 में बेस्ट एक्टर (तेलुगु) का पहला फिल्मफेयर अवार्ड मिला था.
बीजेपी की राष्ट्रीय सचिव वाणी त्रिपाठी थिएटर, टीवी और फिल्मों में अभिनय कर चुकी हैं. वाणी ने पिछले साल कश्मीरी मूल के कारोबारी हेमंत टिक्कू के साथ शादी की.
बॉलीवुड अदाकारा रवीना टंडन का झुकाव बीजेपी की तरफ रहा है. केंद्र में जब एनडीए की सरकार थी तो रवीना को 2003 में
चिल्ड्रन्स फिल्म सोसायटी का चेयरपर्सन बनाया गया. हालांकि, सोसायटी की गतिविधियों में दिलचस्पी लेने की शिकायतें आने के बाद सितंबर 2005 में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
मशहूर धारावाहिक 'महाभारत' में भीम का किरदार निभाने वाले प्रवीण कुमार आम आदमी पार्टी में शामिल हुए. वजीरपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव भी लड़ा लेकिन हार गए.
अभिनेता सुरेश ओबेरॉय और उनके एक्टर बेटे विवेक ओबेरॉय बीजेपी के करीबी हैं. सुरेश ओबेरॉय चुनावों के दौरान बीजेपी उम्मीदवारों के लिए वोट मांगते दिख जाते हैं. विवेक ओबेरॉय एक बार संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ भी दिखे.
टीवी परिवार की बहू रह चुकीं स्मृति ईरानी आज बीजेपी में उपाध्यक्ष के पद पर हैं. 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' की 'तुलसी वीरानी' यानी स्मृति ईरानी अब टीवी सीरियल में नहीं बल्कि टीवी चैनलों पर गंभीर मसलों पर बहस करते और पार्टी की राय रखती दिखाई देती हैं. बीजेपी की राष्ट्रीय महिला मोर्चा की अध्यक्ष रह चुकीं स्मृति इस वक्त राज्यसभा सदस्य हैं.
कुछ दिनों तक राजनीति के मैदान में अपनी किस्मत आजमाने के बाद संजय दत्त ने सियासत को अलविदा कह दिया. सपा के टिकट पर लखनऊ विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी के तौर पर अपना राजनीतिक कॅरियर शुरू करने वाले संजय को पार्टी ने महासचिव भी बनाया लेकिन अमर सिंह के साथ हुए बर्ताव के बाद उन्होंने पार्टी छोड़ दी और फिल्मों की दुनिया में लौट गए. मुंबई में 1993 में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के मामले में संजय इस वक्त सजा काट रहे हैं.
अपनी फिल्मों में अक्सर नेताओं और सरकारी अफसरों का रोल अदा करने वाले राज बब्बर ने अपने राजनीतिक पारी की शुरुआत समाजवादी पार्टी से की. राज बब्बर 14वें लोकसभा चुनाव में यूपी के फिरोजाबाद से सपा के टिकट पर सांसद चुने गए लेकिन 2006 में सपा से निलंबित होने के बाद उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन कर लिया. राज बब्बर इस वक्त आगरा से कांग्रेस के टिकट पर सांसद हैं.
अभिनेत्री नगमा कांग्रेस से जुड़ी हुई हैं. वह चुनावों के दौरान कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में वोट मांगती दिखती हैं.
भोजपुरी फिल्मों के स्टार और मशहूर लोक गायक मनोज तिवारी भी सियासत की दुनिया में कदम रख चुके हैं. सपा के जरिये अपनी राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत करने वाले मनोज तिवारी इस वक्त बीजेपी के साथ हैं. मनोज सपा के टिकट पर गोरखपुर से लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं.
शानदार फिल्मी कॅरियर के बाद 90 के दशक में राजनीतिक पारी की शुरुआत टीडीपी की. 1996 में आंध्र प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुनी गईं, लेकिन 2004 में लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने टीडीपी से इस्तीफा दे दिया और समाजवादी पार्टी में शामिल हो गईं. यूपी के रामपुर से सपा के टिकट पर दो बार लोकसभा का चुनाव भी जीतीं. बाद में अमर सिंह के सपा से निकाले जाने के बाद जया प्रदा उनकी पार्टी लोकमंच में शामिल हो गईं. कुछ महीने पहले उनके कांग्रेस में शामिल होने की खबर आई.
साल 2004 में जया बच्चन को सपा के समर्थन से पहली बार राज्यसभा भेजा गया. उस वक्त जया यूपी फिल्म डेवलपमेंट काउंसिल के अध्यक्ष पद पर अपनी सेवाएं दे रहीं थी. कांग्रेस के विरोध के चलते जया यह कार्यकाल पूरा नहीं कर पाईं. जया को सपा के समर्थन से दोबारा राज्यसभा भेजा गया.
तेलुगु फिल्म एक्टर ने भी सियासत की दुनिया में कदम रखा. शुरू में उन्होंने अपनी पार्टी बनाई, जिसका नाम रखा गया, 'प्रजाराज्यम'. 6 फरवरी 2011 को प्रजाराज्यम पार्टी कांग्रेस पार्टी में विलय हो गया. चिरंजीवी इस वक्त केंद्र सरकार में पर्यटन मंत्री भी हैं. तेलंगाना मसले पर उठे सियासी तूफान के बाद चिरंजीवी ने मंत्री पद से इस्तीफा देने की पेशकश भी की थी.
अपने अभिनय के दम पर लंबे समय तक सिनेप्रेमियों के दिलों पर राज करने वाले राजेश खन्ना भी राजनीति से दूर नहीं रहे। राजेश खन्ना नई दिल्ली लोक सभा सीट से कांग्रेस पार्टी के सांसद चुने गए। हालांकि, राजेश खन्ना का सांसद बनने का सफर इतना आसान नहीं था. दरअसल, 1991 के चुनाव में बीजेपी के कद्दावर नेता लाल कृष्ण आडवाणी नई दिल्ली के साथ साथ गांधीनगर से भी चुनाव लड़े थे. आडवाणी दोनों सीटों से चुनाव जीत गए लेकिन दिल्ली में वो बेहद कम अंतर से राजेश खन्ना को हरा सके थे. आडवाणी ने नई दिल्ली की सीट छोड़ दी. आडवाणी के इस्तीफे से खाली हुई नई दिल्ली सीट पर 1992 में उप चुनाव हुए. कांग्रेस ने इस बार भी राजेश खन्ना को अपना उम्मीदवार बनाया. लेकिन इस बार उनका मुकाबला बीजेपी के उम्मीदवार और बालीवुड अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा से था. दो अभिनेताओं के बीच सियासी जंग में पलड़ा राजेश खन्ना का भारी रहा. हालांकि, बाद में राजेश खन्ना ने राजनीति से संन्यास ले लिया था.