कांग्रेस और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) ने आंध्रप्रदेश से अलग तेलंगाना राज्य के गठन पर सर्वसम्मति से अपने समर्थन की मुहर लगा दी हालांकि इस संबंध में तेलंगाना क्षेत्र से बाहर के नेताओं के भारी विरोध का भी सामना करना पड़ा.
कांग्रेस की सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई ‘कांग्रेस कार्य समिति’ ने अपनी बैठक में एक प्रस्ताव पारित कर निश्चित समय सीमा के भीतर 29वें राज्य के रूप में तेलंगाना राज्य गठित करने की दिशा में कदम उठाने का केन्द्र से आग्रह करने का निर्णय किया.
कांग्रेस ने केन्द्र सरकार से हैदराबाद को 10 साल के लिए आंध्रप्रदेश और प्रस्तावित तेलंगाना राज्य की संयुक्त राजधानी बनाने की सिफारिश करने का भी निर्णय किया. इस अवधि के भीतर आंध्र के लिए सीमांध्र क्षेत्र में अलग नयी राजधानी की पहचान की जायेगी.
कांग्रेस कार्य समिति की करीब एक घंटे चली बैठक में पारित प्रस्ताव के अनुसार, ‘प्रस्ताव किया है कि निश्चित समय सीमा के भीतर केंद्र सरकार से भारत के संविधान के दायरे में पृथक तेलंगाना राज्य के गठन के लिए पहल करने का आग्रह किया जायेगा.’
अलग तेलंगाना राज्य के गठन के बारे में कांग्रेस कार्य समिति और यूपीए का यह महत्वपूर्ण फैसला करीब एक सप्ताह के गहरे विचार विमर्श के बाद सामने आया है.
प्रस्ताव में कहा गया है कि, ‘यह आसान निर्णय नहीं था लेकिन यथासंभव व्यापक विचार विमर्श के बाद यह फैसला किया गया.’ केंद्रीय मंत्रिमंडल बुधवार को नये राज्य के गठन से जुड़े आर्थिक मुद्दों पर मंत्रियों के समूह के गठन पर विचार कर सकती है.
बैठक में सोनिया गांधी ने इस मुद्दे पर ऐतिहासिक परिपेक्ष्य पेश किया. दिग्विजय सिंह ने प्रस्ताव पेश किया जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया.
प्रस्तावित तेलंगाना राज्य में हैदराबाद, मेडक, आदिलाबाद, खम्माम करीमनगर, महबूबनगर, नलगोंडा, निजामाबाद, रंगारेड्डी और वारंगल शामिल होंगे.
बैठक के बाद कांग्रेस महासचिव और पार्टी के आंध्रप्रदेश मामलों के प्रभारी दिग्विजय सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि नये राज्य के गठन की प्रक्रिया में चार-पांच महीने लग जायेंगे.